छटा ऐसी, मानो स्वर्ग से धरती पर आए हो देवता

छटा ऐसी, मानो स्वर्ग से धरती पर आए हो देवता
  • देवदीपावली पर अद्भुत, अलौकिक और अतुलनीय दिखी काशी
  • कही दीप मालाएं सजी तो कही दीपों की बनी स्वास्तिक, काशी के 84 घाट हुए रौशनी से जगमग

वाराणसी (रणभेरी): बात सिर्फ प्रसिद्ध काशी में देव दिपावली की नहीं थी यहाँ सुबह नहाने वाले सब श्रद्धालुओं की भीड़ खत्म हुयी नहीं थी कि दोपहर से ही गोधूलि बेला से शुरू होने वाले दियों की सजावट का लोग इन्तजार करने लगे। जैसे-जैसे दिन ढलता गया एक घाट से दूसरे घाट पर लोगों का जमावड़ा शहर की शोर और गाँव की सन्नाटे को छोड़कर घाटों पर दीयों की श्रृंखला का तो कहीं आलेखों का चित्रण दिखा सूर्यास्त से पहले ही शुरू हुई दीयों की जगमगाहट से पूरे चौरासी घाट अपने अलौकिक छटा बिखेरने लगे इन्द्र धनुषी भी इनके आगे फिके पढ़ने लगे हो हर बार की भांति दीपों की लड़ियों ने आसमान के तारों को भी मानो स्पर्धा में खड़ा कर दिया हो इसमें चार चाँद और बड़ा जैसे-जैसे घाटों पर भक्ति शुरू का मंचन, कहीं पारम्परिक नृत्य, गीत-संगीत के मधुर स्वर कानों में गुजा घाटों पर इस दृश्य को देख रहे लोगों की नजरे उस पार तब टिक गयी एक साथ आठ गर्म हवा के गुम्बारे देखे जिनके लिए लाईट शो हुआ साथ में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की तरफ से लगाये गये दिये जगमगा रहे थे। 

युवाओं में उत्साह भर देने वाले आतिशबाजी सभी को रोमांचित कर गया। एक समय ऐसा भी आया जब घाटों पर गति धीमी पड़ गयी हो ब्रह्मा घाट, पंच गंगा घाट से सीढ़ियों की आवाजाही के साथ सिंधिया और मणिकर्णिका से आने वाले सैलानियों सहित स्थानिय लोगों से घाट पर खड़े होने का जगह न रहा हो। इससे मानो गति रुक सी गई द्वीप प्रज्वलित करने के पश्चात लोगों में पंचगंगा घाट पर हजारा द्वीपों के साथ सेल्फी लेने की जदो जहद दिखी। इन सब कार्यक्रम के बीच समीतिया सरकार के सहयोग से अपने कामों को सफलतापूर्वक पूर्ण करने में सक्षम रही। 

कार्यक्रम आधे रात में पूर्णत की ओर अग्रसर रहा। इसके साथ ही लोगों के कदम घरों को लौट चले थे। यूं तो सभी घाटों का अपना कुछ न कुछ खास महत्व होता है किन्तु जो लोगों के मन को मंत्र मुग्ध करदे उसकी बात निराली होती।  घाटों पर विशेष आकर्षण का केन्द्र रंग बिरंगी लाइट रही। कही आटो की बनी दीए तो कहीं बच्चों के द्वारा योग नृत्य ने शश्रद्धालुओं का मन मोह लिया। वही परंपरागत परिधान में जनजाति शोध एवम् विकाश संस्थान समिति द्वारा राम घाट व लाल घाट , बूंदी परकोटा घाट पर कर्मा नृत्य की  प्रस्तुति की गई जो आकर्षण का विशेष केन्द्र बिंदु रहा। इसी क्रम में आस्था से जुड़े विशाखापट्टनम के चंद्रशेखर हर साल अपने परिवार के साथ मीर घाट पर  एक साल को दशार्ते हुए 365 बातियो से निर्मित  दिया 1 लक्षा व एक करोड़ बाती से निर्मित दीए को प्रज्वलित कर चांद को आईने में देखकर अपने इस्ट का सुमिरन करने का परंपरा निभाया। वहीं महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए  गंगा सेवा निधि समिति ने 51 कन्याओं से मंगला आरती कराई तो दूसरी तरफ 42 दुर्गा चरण के छात्राओ को भी अवसर दिया साथ ही मनकंडिका घाट पर विद्यापीठ के आर्कटेक समूह द्वारा रंगोली का प्रदर्शन किया गया उसी घाट पर महिला का रंगो से चित्रण कर महिला सक्तिकरण को दशार्या गया। दरअसल, कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली के मौके पर भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी देवताओं के स्वागत के लिए दीपों की रोशनी को जगमग हो उठी। गंगा का अर्धचंद्राकार किनारा दैवीय आभा से दमक उठा।

सुरसरि के घाटों पर ओर से छोर तक दीपों का तारामंडल इठलाने लगा तो पूनम का चांद भी शरमा सा गया। कहीं फूलों की लड़ियां सजीं तो कहीं रंगोलियां। कहीं हल्दी-चंदन से अल्पनाएं उकेरी गईं तो कहीं फुलझड़ियों की सतरंगी बौछारें उत्सव में आनंद का संचार करती रहीं। इस पार ही नहीं गंगा के उसपार भी असि घाट से लगायत दशाश्वमेध घाट व राजघाट तक की सजावट देखते बन रही थी। गंगा के दोनों तटों पर आतिशबाजी ने चार चांद लगा दिए। लोग पैदल ही इन सजे -संवरे घाटों के नयनाभिराम दृश्यों का अवलोकन कर निहाल हो गए। उनके आनन्द का ठिकाना उनके द्वारा रास्ते भर हर-हर महादेव का उद्घोष रहा। वहीं, लेजर और लाइट से दिसंबर में लोकार्पित हो रहे श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर का अक्स लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। चेतसिंह घाट पर 24 भव्य लेजर और करीब 500 लाइटें लगाई गईं थी। घाट के उस पार रेती तक लेजर की रेंज रही। पूरे किले की दीवारों पर भगवान शंकर, गंगा और राम की ही छाया दिखाई गई। वहीं साउंड पर तांडव की धुन रही, जिस पर लेजर के सहारे बाबा का अनोखा नृत्य भी दिखाया गया। दिल्ली से वाराणसी आई लेजर कंपनी ई-फैक्टर शो ने ही अयोध्या के दीपोत्सव में लेजर शो किया था। इस बार भी यही प्रयास है कि चेत सिंह किला पर अयोध्या की आभामंडल दिखाई गई।

हॉट बैलून से दीदार

अंतरराष्ट्रीय हाट एयर बैलून फेस्टिवल के तीसरे दिन शुक्रवार को काशीवासियों ने आसमान में उड़ते गुब्बारे से लोगों ने झांककर बदलते बनारस की तस्वीर को निहारा। देवदीपावली के मौके पर देर शाम को जैसे ही गुब्बारों ने उड़ान भरी तो हल्की धुंध के बीच सुबह की ठंडी हवा और काशी के नयनाभिराम दृश्य को लोग निहारकर आनंदित हो उठे।हालांकि हवा का रूख ठीक नहीं होने से उड़ान में कुछ दिक्?कत हुई। इसी के साथ ही चेतसिंह घाट पर इस बार भी लेजर शो का शानदार आयोजन किया गया। इसे देखेने के लिए भी लोगों की भीड लगी रही।

सोशल मीडिया में काशी का लोक रंग

फेसबुक पर देव दीपावली गंगा महोत्?सव के आयोजन पर छब्?बीस हजार से अधिक लोगों ने इंटरेस्?ट जताया तो हजारों हजार लोगों ने सोशल मीडिया पर देव दीपावली की महिमा को बखान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वहीं टिवटर पर देव दीपावली और देव दीवाली भी काशी के शीर्ष ट्रेंड में देर रात तक शामिल रहा।

गंगा पार रेती में भी आस्था की खेती

गंगा पार की रेती में भी लोगों ने दीयों से रोशनी कर गंगा के दोनों ही किनारों को उजाले की आस्?था अर्पित की। नाव और बजडों से गंगा पार पहुंचे लोगों ने मां गंगा को दीप अर्पित किए और रेत पर दीपों से आकृतियां उकेर कर रोशनी के पर्व को अनोखे ढंग से मनाया। बीते कुछ वर्षों में घाट से दूर गंगा पार रेती में भी रोशनी कर देव दीपावली मनाने की परंपरा परवान चढ रही है। वहीं गंगा पार के लोग भी अब रेत पर दीयों को जलाकर अनोखे जल पर्व व काशी के एक और लक्?खा मेले को भव्?य बना रहे हैं। 

अर्द्धचंद्रकार घाटों ने पहना दीपों का हारमां गंगा के दोनों किनारों पर दीपों की लड़ियां सजीं तो ऐसा लगा मानो सदानीरा ने दीपों का अर्द्धचंद्राकार हार पहन लिया हो। घाटों की साज सज्जा सभी को मोहित करती रही। गंगा उस पार रेती पर भी आस्थावानों की चहलकदमी रही। 84 घाटों पर एक साथ 15 लाख दीपों की लड़ियों ने आसमान के तारों को भी मात दे दी। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का प्रतिनिधित्व मातृशक्ति स्वरूपा कन्याओं ने किया। नारी सशक्तीकरण का संदेश देने के लिए शुरू हुई इस पहल का हर किसी ने सराहा। इसके साथ ही कार्तिक मास पर्यन्त शहीदों की याद में रोशन होने वाले आकाशदीप का भी समापन हो गया। 

51 कन्याओं ने उतारी मां गंगा की आरती

दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की ओर से आयोजित गंगा आरती में 51 कन्याओं ने मां गंगा की आरती उतारी। अमर जवान ज्योति की अनुकृति पर आशीष तिवारी ने संस्था की ओर से रिथलेईंग की। इसके बाद 39 जीटीसी के जवानों ने बैंड की धुन के साथ गार्ड आफ आनर दिया।मुख्य अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राना एवीएसम, पद्मश्री अनुराधा पौडवाल और एयर कमोडोर अनुज गुप्ता रहे। स्वागत गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने किया। आचार्य रणधीर के नेतृत्व में 21 ब्राह्मणों ने मां गंगा की आरती उतारी। दुर्गा चरण इंटर कॉलेज की 42 कन्याएं रिद्धि-सिद्धि के स्वरूप में चंवर डोला रही थीं। 

चाक चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था

देव दीपावली पर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही। अपराह्न से लेकर कार्यक्रम समाप्ति तक पुलिस गंगा घाटों और प्रमुख चौराहों पर मुस्तैद रही। गंगा में रिवर रेस्क्यू आपरेशन की क्यूआरटी 84 घाटों पर चक्रमण करती रही और नाव पर कहीं भी क्षमता से अधिक यात्री नहीं थे। इसकी निगरानी में जल पुलिस और इलाकाई पुलिस अंतिम समय तक डटी। पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश, अपर पुलिस आयुक्त अपराध व मुख्यालय सुभाष चंद्र दुबे और अपर पुलिस आयुक्त कानून व्यवस्था अनिल कुमार सिंह पूरे समय तक निगरानी व्यवस्था में लगे रहे। सुबह और शाम के समय काशी व वरुणा जोन के डीसीपी, एडीसीपी और सभी एसीपी अपने-अपने सर्किल में थानेदारों के संग मुस्तैद रहे। संदिग्धों की सघन तलाशी ली गई। गंगा घाटों के साथ ही शहर के प्रमुख कुंड और तलाबों पर भी पुलिस का पहरा रहा।