शहर पूछे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है !

शहर पूछे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है !
  • मुसीबत झेलनी है तो एक बार जरुर गिरजाघर आइये, दूभर हुआ है गिरजाघर-गोदौलिया से गुजरना
  • लक्सा से गिरजाघर और गोदौलिया से गिरजाघर आना-जाना हुआ मुश्किल
  • न तो लक्सा से गिरजाघर और न ही गोदौलिया से गिरजाघर जा सकते हैं, रोपवे ने राहगीरों का आवागमन किया बाधित

वाराणसी (रणभेरी):  शहर पूछे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है! गिरजाघर–गोदौलिया का इलाका इन दिनों ऐसा दर्द बन गया है, जिसका इलाज प्रशासन को भी नहीं सूझ रहा। जो भी एक बार इस रूट से गुजर ले, वही समझ जाता है कि वाराणसी के इस हृदयस्थल में मुसीबतें किस हद तक बढ़ गई हैं। लक्सा से गिरजाघर जाना हो या फिर गोदौलिया से गिरजाघर पहुंचना, हर तरफ बंद रास्ते, बैरिकेड और भटकते लोग ही नजर आ रहे हैं।

रोपवे के निर्माण ने मानो पूरे क्षेत्र की धमनियाँ जाम कर दी हैं। शुक्रवार को इस रोपवे का ट्रायल भी किया गया, और तब से आवागमन की समस्या और भी गहरी हो गई है। प्रशासन का तर्क है कि भारी भीड़ और पर्यटकों के सैलाब को नियंत्रित करने के लिए यह रोपवे बनाया जा रहा है। लेकिन सवाल उठता हैक्या एक परियोजना के चलते शहर की पूरी जनता को महीनों तक परेशान होना पड़े ?

गिरजाघर चौराहे पर महीनों से आवागमन बंद

गिरजाघर चौराहे पर पिछले महीने से आने-जाने का रास्ता पूरी तरह बंद है। रोपवे के विशालकाय पोल, लोहे के गाटर, ऐंगिल और मशीनें सड़क के बीचोंबीच जमाई गई हैं। चर्च के पास लगी भारी मशीनरी ने आधा रास्ता तो यूँ ही घेर लिया, उधर हवा में झूलती रोपवे की टोकरी राहगीरों को डराती रहती है।प्रशासन ने हालांकि सड़क किनारे एक संकरा रास्ता बनाया है, लेकिन उससे होकर गुजरना कम खतरनाक नहीं है। वहां न तो ठीक से बैरिकेड हैं, न सुरक्षा प्रबंध। मोटरसाइकिल, पैदल यात्री और श्रद्धालु एक ही पगडंडीनुमा रास्ते पर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं। जरा सी चूक और दुर्घटना तय।

दर्शनार्थी भटक रहे, पूछ रहे- बाबा विश्वनाथ धाम किधर है !

सबसे दिक्कत उन हजारों श्रद्धालुओं को हो रही है जो रोजाना बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए शहर आते हैं। इन श्रद्धालुओं का मुख्य मार्ग गिरजाघर से गोदौलिया होकर ही मंदिर तक जाता है। लेकिन आज हाल यह है कि जो श्रद्धालु गिरजाघर पहुंच रहे हैं, वे चौराहे पर ही उलझ जाते हैं। कई श्रद्धालु बेबसी में स्थानीय लोगों से पूछते दिखे कि बाबा विश्वनाथ धाम किधर है ? रास्ता बंद होने के चलते उन्हें बड़ादेव की ओर से लंबा चक्कर लगाकर जाना पड़ रहा है। बाहर से आए पर्यटक तो और भी परेशान हैं, क्योंकि उन्हें समझ में ही नहीं आता कि शहर के भीतर यह अचानक ‘भूलभुलैया’ क्यों बना दी गई है।

लक्सा से गिरजाघर, गोदौलिया से गिरजाघर, दोनों तरफ रास्ता बंद

इस समय न तो लक्सा से गिरजाघर पहुंचा जा सकता है और न ही गोदौलिया से गिरजाघर आना संभव है। दोनों ओर से मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध कर दिए गए हैं। इसका सीधा असर आम दुकानदार, स्थानीय निवासियों, महिला-पुरुष कर्मचारियों और स्कूली बच्चों तक पर पड़ रहा है। रोज़ गुजरने वालों को कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि ग्राहक कम हो गए हैं, जबकि ऑटो और ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि उन्हें रोजाना अतिरिक्त तेल फूंकना पड़ रहा है।

रोपवे तो ठीक लेकिन लोगों की परेशानी क्यों नहीं दिख रही ?

यह सही है कि शहर में बढ़ती पर्यटक भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए रोपवे एक जरूरी परियोजना है। इससे भविष्य में गोदौलिया-कचहरी-लहुराबीर जैसे रास्तों का दबाव कम होने की उम्मीद है। लेकिन निर्माण प्रबंधन की लापरवाही ने जनता का जीना मुश्किल कर दिया है।
स्थानीय लोगों की मांग है कि प्रशासन कम से कम वैकल्पिक मार्गों को स्पष्ट रूप से बताने के लिए बड़े संकेतक लगाए, जोखिम भरे स्थानों पर सुरक्षा कर्मी तैनात करे और संकरे रास्तों पर अवरोधक हटा कर थोड़ी राहत दे।

इस दर्द की दवा कौन देगा?

शहर पूछ रहा है कि जब एक रोपवे के लिए पूरा मार्ग महीनों तक बंद रखा गया है, तो चालू परियोजना के बीच लोगों की परेशानियों का समाधान क्या है? क्या प्रशासन किसी योजना के तहत काम कर रहा है, या शहर को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है ? जब तक निर्माण चलता रहेगा, गिरजाघर–गोदौलिया मार्ग का दूभर हाल ऐसा ही बना रहेगा। लोगों की स्पष्ट मांग है कि रोपवे जरूरी है, लेकिन शहर की सांसें न रोकिए।