गंगा के जलस्तर में आई 6 सेंटीमीटर की कमी: कम नहीं हुई लोगों की दुश्वारियां, तटवर्ती इलाकों में पलायन शुरू

गंगा के जलस्तर में आई 6 सेंटीमीटर की कमी: कम नहीं हुई लोगों की दुश्वारियां,  तटवर्ती इलाकों में पलायन शुरू

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में पिछले दो दिन से खतरे के लाल निशान की ओर बढ़ रहा गंगा का जलस्तर सोमवार सुबह पांच बजे से घटने लगा है। सुबह नौ बजे गंगा का जलस्तर 69.69 मीटर दर्ज किया गया। इससे तटवर्ती इलाकों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी राहत की सांस ली है। गंगा में भले ही जलस्तर कम होना शुरू हो गया हो, लेकिन लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं। सभी घाटों का आपसी संपर्क खत्म है। बाढ़ की वजह से हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह हो रहा है। जबकि गंगा आरती का स्थल पूर्व में ही छत पर किया जा चुका है। जबकि प्रमुख घाटों का आपसी संपर्क माह भर पहले ही टूटने लगा था जो अगस्‍त की शुरुआत में पूरी तरह से टूट गया तो लोगों की घाट से दूरी भी हो गई।

गंगा के जलस्‍तर में इजाफा होने के बाद से सामने घाट स्थित ज्ञान प्रवाह परिसर में नाले से आए पानी ने चुनौती दी है। जबकि सामने घाट और रमना के बीच काफी जलभराव हो चुका है। वहीं तटवर्ती क्षेत्रों में लोग अब आगे और बाढ़ की आशंका में पलायन करने लगे हैं। गोयनका विद्यालय (अस्सी) सहित कई जगहों पर बाढ़ राहत शिविर बनाया गया है। असि घाट की सड़क पर पानी आने से अब गलियों में नाव का सफर शुरू हो चुका है।  गंगा का जलस्‍तर लगातार कम भले ही हो रहा हो लेकिन दुश्‍वारियां जस की तस हैं। सुबह आठ बजे गंगा का जलस्‍तर 69.71 मीटर दर्ज किया गया। गंगा का चेतावनी स्‍तर 70.262 मीटर है तो खतरा बिंदु 71.262 मीटर है। जबकि वर्ष 1978 में सर्वाधिक 73.901 मीटर गंगा का जलस्‍तर दर्ज किया गया था। जबकि पिछला रिकार्ड 72.320 मीटर था। इस समय दो सेमी प्रति घंटे की गति से गंगा का जलस्‍तर घट रहा है। वहीं प्रशासन की ओर से बाढ़ राहत के लिए 0542-2508550, 09140037137 नंबर जारी किया गया है।

गोयनका विद्यालय (अस्सी) सहित कई जगहों पर बाढ़ राहत शिविर बनाया गया है। फ‍िलहाल यहां पर किचन की सामग्री के साथ इक्‍का दुक्‍का परिवारों ने ही शरण लिया है। मगर आगे बाढ़ का स्‍तर बा‍रिश होने के बाद बढ़ा तो निचले इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुसने पर और भी पलायन की नौबत आ सकती है। वहीं वरुणा नदी में भी पलट प्रवाह की वजह से निचले इलाकों के लोग अपने घरों की छतों का रुख करने लगे हैं। यही हालात बने रहे और पानी कम नहीं हुआ तो बीमारी फैलने की भी आशंका है। पहाड़ों पर बारिश का असर मैदानी इलाकों में आया और पूर्वांचल सहित मैदानी इलाकों में अगर बरसात बेहतर हुई तो बारिश की वजह से गंगा और वरुणा में भी उफान दोबारा आना तय है। इसका असर तटवर्ती लोगों को झेलना पडे़गा। हालांकि, प्रशासन की नजर तटवर्ती क्षेत्रों और बाढ़ की स्थिति पर लगी हुई है।