वाराणसी में हजरत अली की याद में निकाला तुर्बत का जुलूस, अजादारों ने की सीनाजनी

वाराणसी (रणभेरी): पैगम्बर मोहम्मद साहब के दामाद और शिया मुसलमानों के पहले इमाम अली की याद में गुरुवार को 19 वें रमजान की सुबह दालमंडी स्थित मीर नादे अली की मस्जिद से तुर्बत व आलम का जुलूस उठाया गया। सुबह साढ़े पांच बजे उठे इस जुलूस में अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी व मातम किया। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ दरगाह फातमान पर समाप्त हुआ।
बता दें की सन 60 हिजरी में आज ही के दिन नमाज-ए-सुबह के वक्त मस्जिदे कूफा में इमाम अली पर तलवार से वार किया था जबकि वो नमाज में सजदे की हालत में थे।
बता दें कि सन 40 हिजरी में इमाम अली को 19 रमजान को मस्जिद में नमाज के दौरान सजदे की हालत में आतंकवादी अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम ने जहर बुझी तलवार सिर पर मारी थी। इमाम अली जख्मी हालत में घर गए और 21 रमजान की सुबह वो शहीद हो गए। ऐसे में शिया मुसलमान 19 से 21 रमजान तक इमाम अली का गम मनाएंगे।
जुसलू उठने के पहले मस्जिद में नमाज ए फज्र पढ़ी गयी। उसके बाद मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना ने कहा कि इस्लामिक इतिहास की यह दूसरी आतंकवादी घटना थी जब सं 60 हिजरी में 19 रमजान की सुबह अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम ने इमाम अली को नमाज के दौरान सजदे में सर पर तलवार से वार किया था। इसके बाद चरों तरफ कोहराम मच गया। अली 19 रमजान से लेकर 21 रमजान की सुबह तक दर्द से तड़पते रहे और 21 रमजान को नमाज-ए-सुबह के वक़्त दुनिया ए फानी से रुखसत हो गए।
बाद मजलिस तुर्बत इमाम अली और आलम निकला गया। जुलूस में अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने सीना जनी व मातम किया। जुलूस दालमंडी, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, कालीमहल, पितृकुण्डा होते हुए लल्लापुरा स्थित दरगाहे फातमान पर समाप्त हुआ।
शहर में जगह-जगह होगा मजलिसों और जुलूसों का आयोजन
शहर में जगह तीन दिन जुलूस और मजलिसों का आयोजन होगा। गुरुवार की रात इमानिया अरबी कालेज में शब्बेदारी का आयोजन किया गया है। इस बार इस शब्बेदारी का यह 100वां साल है।