बाढ़ के पानी से दुश्वारियां बरकरार

बाढ़ के पानी से दुश्वारियां बरकरार

वाराणसी (रणभेरी सं.)। गंगा के जलस्तर में दो दिनों में आधा मीटर से अधिक की गिरावट आई है, बावजूद इसके अस्सी व मणिकर्णिका की गलियों में बाढ़ का पानी अभी भी लहरा रहा है। जलस्तर में गिरावट के बाद भी शहर से लेकर गांव तक दुश्वारियां बरकरार हैं। गंगा छोड़ गलियों में ही नाव का चलना जारी है। पानी के उतार से तटीय गांवों के लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन डूबी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। लोगों के घरों में घुसा पानी ज्यों का त्यों है, उनमें मच्छर व जलीय कीड़े-मकोड़े पनप रहे हैं। इसके चलते 448 परिवारों के 2860 लोग अभी राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। प्रशासन बाढ़ पीड़ितों में भोजन-पानी, दवा, पशुओं के चारे के लिए भूसा इत्यादि का वितरण करने में लगा है। केंद्रीय जल आयोग की बाढ़ बुलेटिन के अनुसार सुबह 10 बजे गंगा का जलस्तर 70.40 मीटर दर्ज किया गया। गंगा के जलस्तर में दो सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गिरावट हो रही थी।

दोपहर में इसमें आधा सेंटीमीटर की कमी आई और जलस्तर 1.5 सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से नीचे उतर रहा था। शाम को फिर से जलस्तर में दो सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से घटाव होने लगा। शाम को छह बजे गंगा का जलस्तर 70.28 मीटर पहुंच गया और रात आठ गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.26 मीटर से दो सेंटीमीटर नीचे 70.24 मीटर पहुंच गया। बीते 24 घंटे में पानी 26 सेंटीमीटर नीचे उतरा है।

जलस्तर में अब हर घंटे दो सेमी घटाव

गंगा के जलस्तर में गुरुवार को दो सेमी प्रति घंटे का घटाव रिकार्ड किया गया। उधर, प्रयागराज में गंगा चार सेमी प्रतिघंटे घट रही हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि शुक्रवार दोपहर बाद यहां भी हर घंटे चार सेमी प्रतिघंटे घटाव संभव है। केंद्रीय जल आयोग के राजघाट स्थित मीटर गेज पर रात 8 बजे जलस्तर 70.24 सेमी था। हालांकि पिछले 24 घंटे में 30 सेमी पानी घटा है। उधर वरुणा के तटवर्ती और चिरईगांव के ढाब क्षेत्र के लोग प्रभावित हैं। 17 राहत शिविरों में अभी 388 परिवारों के 2301 लोग रह रहे हैं। उन्हें भोजन, फल, दूध, पेयजल आदि सुविधाएं दी जा रही हैं। गुरुवार को सभी शिविरों में कैम्प लगाकर स्वास्थ्य परिक्षण किया गया। प्रशासन का दावा है कि अब तक 1353 पैकेट ओआरएस 9285 क्लोरीन की गोलियां दी जा चुकी हैं। 655 लोगों का उपचार किया गया है। प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक 7134 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 10 हजार लोगों को बाढ़ का दंश झेलना पड़ रहा है। बाढ़ से सलारपुर, सरैया, हुकुलगंज, दानियालपुर, कोनिया, सिकरौल, जैतपुरा, चौकाघाट, डोमरी वार्ड औ? रामपुर ढाब, गोबरहा, लुठा कला, रामचंदीपुर, मोकलपुर, शिवदशा व छोतऊना गांव में जनजीवन प्रभावित है।

घाटों व घरों की साफ-सफाई बनी चुनौती

गंगा का जलस्तर कम होने से घरों और घाटों की साफ सफाई बड़ी चुनौती बनने लगी है। बाढ़ के पानी के साथ आई गंदगी व कूड़ा हटाने में तटवर्ती इलाकों व बाढ़ पीड़ितों को दुश्वारियां झेलनी पड़ रही है। सामने घाट की कॉलोनियों में पानी उतरने से मुहल्लों में बदबू फैलने लगी है। संक्रमण बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। लोगों ने ब्लिचिंग पाउडर व फॉगिंग की मांग की है।

774 परिवारों तक पहुंची राहत सामग्री

बाढ़ से प्रभावित 774 परिवार तक राहत सामग्री एवं 410 महिलाओं को डिग्निटी किट दिया गया। बाढ़ राहत शिविर में अब तब 2376 पीस फल व 2034 पैकेट दूध का भी वितरण किया जा चुका है। बाढ़ से प्रभावित पशुओं के लिए अब तक 802 क्विंटल भूसा का वितरण किया गया है।

अब घरों की साफ-सफाई में जुटे

गंगा का जल स्तर कम होने के बाद घरों की साफ सफाई करने में बाढ़ पीड़ित लग गए हैं। नगवां, गंगोत्री विहार, संगमपुरी कॉलोनी और हरिजन बस्ती में लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। मारुति नगर, गायत्री नगर, रत्नाकर विहार, काशीपुरम कॉलोनी में सैकड़ों परिवार बाढ़ से प्रभावित हो गए थे। घर के भीतर सिल्ट और गंदा पानी भर गया था।

फसलें हो गईं चौपट

शहंशाहपुर में बाढ़ के पानी से खड़ी सारी फसलें चौपट हो गईं। हजारों एकड़ का इलाका जलमग्न होने के कारण सभी फसलें पूरी तरह डूब कर सड़ रही हैं। बाढ़ का पानी चार किलोमीटर दूर पहुंचकर खड़ी फसलों को जलमग्न कर चुका है। फसलें बाढ़ के पानी से पूरी तरह खराब हो चुकी हैं। साथ ही सब्जी की फसल बाढ़ की भेंट चढ़ गई है।

बचाव के लिए लगाई गईं 23नावें

बाढ़ से बचाव के लिए जिला प्रशासन ने बृहस्पतिवार को 23 नावें लगाईं। जिले में एनडीआरएफ की एक टीम एवं जल पुलिस द्वारा भी मोटर बोट लगाकर राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है। लगातार जलस्तर की निगरानी की जा रही है, जलस्तर में वृद्धि होने के कारण आम जनमानस की सुरक्षा के लिए नौकाओं के संचालन पर रोक लगाई गई है।