काव्य-रचना

काव्य-रचना

    समर्पित करूँ     

क्या समर्पित करूँ 
जन्मदिन पर तुम्हें
कुछ पल हैं बचे 
इस उधारी में भी

सौंप दूँ साँसें 
आँचल की एक छोर में
भर दूँ जीवन तुम्हारी 
बहारों से मैं

थामकर हाथ फिर 
जैसे माता और शिव
समर्पित करूँ 
अपना संसार मैं

फिर लगकर गले 
देखूँ आकाश में
आँखें क्रन्दित करें 
साँसें वंदित करें

होश में न रहे 
ये पवन जल धरा
मैं लिपटा रहूँ 
तेरी आगोश में

क्या समर्पित करूँ 
जन्मदिन पर तुम्हें

-कृष्णा