नमो घाट पर काशी तमिल संगमम-4 का भव्य आगाज़, सीएम योगी के मंच की ओर दौड़ा युवक; सुरक्षा में खलबली
वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में नमो घाट पर काशी तमिल संगमम-4 की शुरुआत मंगलाचरण और लगभग पांच मिनट तक चले शंखनाद के साथ भव्य तरीके से हुई। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिमोट से बटन दबाकर किया। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि और पुडुचेरी के उपराज्यपाल के. कैलासनाथन सहित कई विशिष्ट अतिथि मौजूद रहे।
मंच की ओर दौड़ता युवक, तुरंत हिरासत में लिया गया
उद्घाटन के तुरंत बाद कार्यक्रम में उस समय हलचल मच गई, जब एक युवक अचानक मंच की ओर दौड़ पड़ा। इससे पहले कि वह मंच तक पहुंचता, सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया और कार्यक्रम स्थल से दूर ले गए। हालांकि अफरा-तफरी की इस घटना के बावजूद कार्यक्रम सुचारू रूप से जारी रहा।
1400 प्रतिनिधियों की भागीदारी, 15 दिसंबर तक चलेगा आयोजन
तमिल भाषा और संस्कृति को केंद्र में रखकर आयोजित यह संगम 15 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें देशभर से आए 1400 प्रतिनिधि शामिल होंगे। ‘तमिल करकलाम, आइए तमिल सीखें’ इसकी थीम है, जिसका उद्देश्य उत्तर और दक्षिण की भाषाई व सांस्कृतिक विरासत को जोड़ना है।
पहले दल का हुआ भव्य स्वागत
मंगलवार को छात्र, शिक्षक और लेखकों का पहला दल बनारस पहुंचा। स्टेशन पर रेड कारपेट बिछाकर स्वस्तिक मंत्रोच्चार, पुष्प वर्षा और माल्यार्पण कर प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया। कुछ डेलीगेट डमरू और नगाड़े की धुन पर थिरकते भी नजर आए। इसके बाद 216 सदस्यीय दल ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और अन्नक्षेत्र में प्रसाद ग्रहण किया।
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना पर आधारित आयोजन
काशी तमिल संगमम की शुरुआत 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना के तहत हुई थी। इसके पहले तीन संस्करण क्रमशः 2022, 2023 और 2025 में आयोजित किए जा चुके हैं।
वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे को सम्मान
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी ने वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे को सम्मानित किया, जिन्होंने 2000 मंत्रों से युक्त दंडक्रम पारायण को केवल 50 दिनों में बिना किसी बाधा के पूरा किया है। केंद्रीय मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि वे अपने राज्य में हिंदी नहीं सीख पाए, लेकिन दिल्ली आकर सीखी। अब उत्तर प्रदेश में बिना किसी रोक-टोक तमिल भाषा सीखने का अवसर मिल रहा है, जो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के प्रयासों का परिणाम है। मंगलाचरण, मंत्रोच्चार और शंखध्वनि के बीच नमो घाट पर उत्तर और दक्षिण भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाला काशी तमिल संगमम-4 औपचारिक रूप से शुरू हो गया।











