कफ सिरप कांड में एसटीएफ की एक बड़ी कार्रवाही

 कफ सिरप कांड में एसटीएफ की एक बड़ी कार्रवाही

पूर्व सांसद धनंजय का करीबी बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह भी धराया 

(रणभेरी): आखिरकार STF का बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह गिरफ्तार हो गया। मंगलवार को STF ने उसे लखनऊ से पकड़ लिया, जबकि एक दिन पहले ही उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया था। आलोक कोडीनयुक्त नशीले कफ सिरप की तस्करी के मामले में लंबे समय से फरार चल रहा था। उस पर पूर्वांचल के बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह के साथ करीबी संबंध होने की बात पहले से चर्चा में थी और दोनों की कई तस्वीरें भी मौजूद हैं।

पकड़े जाने के बाद पूछताछ में आलोक ने दावा किया कि वह खुद सरेंडर करने जा रहा था और इसके लिए लखनऊ कोर्ट में अर्जी भी दाखिल कर चुका था, लेकिन STF की टीम ने इससे पहले ही उसे दबोच लिया। कफ सिरप कांड में अब तक तीन गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, 27 नवंबर को अमित सिंह उर्फ अमित टाटा, 30 नवंबर को भोला जायसवाल और अब आलोक सिंह।

आलोक के करियर पर नज़र डालें तो सेवा के दौरान उस पर कई गंभीर आरोप लगे। कफ सिरप के धंधे के मामले में फंसने के बाद उसे पहले लाइन हाजिर किया गया और फिर बर्खास्त किया गया। बाद में कोर्ट से फैसला आलोक के पक्ष में आया और 27 सितंबर 2022 को उसकी नौकरी बहाल हो गई। इसी बीच नाका क्षेत्र में व्यापारी से लूट और अन्य आपराधिक आरोप भी उस पर लगे। इसी दौरान उसकी नजदीकियां धनंजय सिंह से बढ़ीं। आरोप है कि रियल एस्टेट और अन्य कारोबार के जरिए उसने तेजी से प्रभाव और संपत्ति बनाई। वर्ष 2019 में हजरतगंज में मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधियों पर हमले में भी उसका और धनंजय सिंह का नाम सामने आया था।

जांच एजेंसियां अब आलोक सिंह से दुबई कनेक्शन और सिंडिकेट को संरक्षण देने वाले सफेदपोशों के नाम सामने आने की उम्मीद कर रही हैं। उसके रियल एस्टेट कारोबार, फर्जी फर्मों और स्लीपर सेल जैसे नेटवर्क की भी परतें खोली जाएंगी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और यूपी STF की संयुक्त पूछताछ की तैयारी है, क्योंकि शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि यह कारोबार 100 करोड़ से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है। बैंकिंग लेनदेन, विदेश यात्राओं और संपर्कों की गहन जांच होगी।

इस पूरे मामले ने राजनीतिक हलचल भी बढ़ा दी है। अमित टाटा की गिरफ्तारी के अगले दिन उसके धनंजय सिंह के साथ फोटो और वीडियो वायरल होने पर धनंजय ने सफाई देते हुए सोशल मीडिया पोस्ट डाला था और खुद पर साजिश रचे जाने की बात कही थी। उन्होंने CBI जांच की मांग की और दावा किया कि वह इस मामले पर पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी को पत्र लिखेंगे।

इस बीच पूर्व IPS अमिताभ ठाकुर ने नया दावा किया है। उन्होंने शिकायत भेजकर आरोप लगाया कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह, उनके परिवार और बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह का नाम जौनपुर के मल्हनी विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट में एक ही मकान संख्या के पते पर दर्ज है। यह दावा राजनीतिक और पुलिसिया जांच दोनों में नई परत जोड़ रहा है।

कोडीन मिक्स कफ सिरप तस्करी के इस नेटवर्क में पहले भी अहम गिरफ्तारी हो चुकी है। 27 नवंबर को गोमतीनगर से STF ने अमित कुमार सिंह उर्फ अमित टाटा को पकड़ा था, जिसके पास से दो मोबाइल, फॉरच्यूनर कार और कई डिजिटल दस्तावेज मिले थे। आरोप है कि वह देशभर में 100 करोड़ की नशीली ड्रग खपाने वाले सिंडिकेट का प्रमुख हिस्सा था और लखनऊ में रहकर नेटवर्क को दोबारा सक्रिय करने की कोशिश कर रहा था। उसके साथ भी धनंजय सिंह की तस्वीरें सामने आई थीं।

आलोक सिंह की गिरफ्तारी से मामले की कड़ियां तेजी से जुड़ने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। अब सवाल यह है कि पूछताछ से सामने आने वाले नाम और कड़ियां आखिर कितनी दूर तक जाएंगी और इस 100 करोड़ के कफ सिरप कांड के पीछे मौजूद असली चेहरा कौन-कौन है। आने वाले दिनों में इस केस के और बड़े खुलासे की संभावना है।