देश के चरित्र को समझने के लिए पढ़िये प्रेमचंद की ईदगाह : मनोज झा

वाराणसी (रणभेरी सं.)। राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय जनता दल के नेता प्रो. मनोज झा ने कहा कि आज गोष्ठी का विषय बड़ा मौजू है और इस देश के चरित्र को अगर समझना हो तो प्रेमचन्द्र की ईदगाह पढ़ लेना। इस देश के इतिहास को अगर महसूस करना है तो गांधी को जान लो। वह पराड़कर स्मृति भवन सभागार में मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर की 18वीं पुण्यतिथि पर आयोजित 'अमृतकाल में आपातकाल की चुनौतियां : धर्म, राजनीति और गांधी' विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता थे। राज्यसभा सांसद प्रो मनोज झा ने कहा कि आज जो सत्ता में बैठी ताकते गांधी के धर्म की परिभाषा के विपरीत जाकर सावरकर के भारत के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है, उसको अगर पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर आज होते तो एक पत्र के माध्यम से मोदीजी को यह पत्र जरूर लिखते कि सत्ता की राजनीति लोक की राजनीति के खिलाफ अगर खड़ी होती है तो वह न केवल इतिहास का काला अध्याय बनता है, बल्कि मानवता और बन्धुत्व पर सवाल खड़ा कर पूरी इंसानियत को ही नष्ट-भ्रष्ट कर देता है।
दूसरे वक्ता एवं आपातकाल के बंदी रहे भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व सदस्य जयशंकर गुप्त ने कहा कि वर्तमान के अमृतकाल में जो छद्म आपातकाल का दौर चल रहा है, उसमें गांधी की धारा को पुन: जिंदा करना होगा। जिस तरीके से धर्म की आड़ में इतिहास की जो पुर्नव्याख्या का दौर चल रहा है, उसमें बाबर के खिलाफ राणा सांगा के साथ लड़ने वाले हसन खां मेवाती को भुलाकर एक ऐसी राजनीति खड़ी की जा रही है, जो गांधी के अंतिम व्यक्ति को ही सशंकित बना रहा है। देश की संवैधानिक संस्थाए जिस तरीके से संविधान के मूल्यों को घोटने का कार्य कर रही है। वह इस अमृतकाल मे पूरा आपातकाल का एहसास करा रहा है। तीसरे वक्ता सांसद चन्दौली वीरेंद्र सिंह ने कहा कि संविधान के प्रस्तावना में जुड़े समाजवाद और धर्म निरपेक्षता पर सवाल खड़ा कर गांधी के देश को हिटलर का देश बनाने का जो कुत्सित प्रयास हो रहा है, उसमें चन्द्रशेखर के जो अनुयायी यहां जुटे है, वह एक आशा पैदा करते हैं। अन्य वक्ता पूर्व विधान परिषद सदस्य अरविंद सिह ने कहा कि गांधी के देश को समय, काल, परिस्थिति को देखकर आज राहुल गांधी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन के संघर्षों में शरीक होना होगा।
तभी गांधी की सर्वोदयी राजनीति जिंदा रहेगी। कार्यक्रम के आयोजक कुंवर सुरेश ने कहा कि चन्द्रशेखर की पुण्यतिथि पर पिछले 18 वर्षों से हम सभी लोग जुट कर गांधी के सपनों का भारत बनाने में जो वैचारिक संघर्ष कर रहे हैं। वह काशी की धरती पर चन्द्रशेखर वादियों द्वारा एक मजबूत आवाज बनकर संघर्ष में मील का पत्थर साबित होगा। इसके अलावा पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटेल ने कहा कि देश जो अमृतकाल में भोग रहा है, वह बहुत कष्टकारी है। महान समाजवादी चन्द्रशेखर की पुण्यतिथि पर यह शपथ लेना होगा कि इस भोग काल को समाप्त किया जाए। पूर्व अध्यक्ष शिव कुमार ने देश को पुन: गांधी के भारत के लिए चन्द्रशेखर, जार्ज फर्नांडीज, मधु लिमये आदि के संघर्षों से सीख लेकर लड़ने का आह्वान किया। विषय प्रस्ताव वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव ने रखा। अध्यक्षता प्रो. सुरेंद्र प्रताप ने की। संचालन डॉ. शम्मी कुमार सिंह ने किया।