नगर निगम की माया, चार सौ परिवारों पर मंडराया मौत का साया

नगर निगम की माया, चार सौ परिवारों पर मंडराया मौत का साया

नोटिस और कागजी खानापूर्ति कर जर्जर भवनों में कार्रवाई का दावा, सीधे तौर पर कार्रवाई से काट रहा कन्नी  

वाराणसी (रणभेरी सं.)। मानसून की दस्तक के बीच जर्जर भवनों के गिरने का सिलसिला जारी है। इसके बाद भी नगर निगम चेत नहीं रहा। नोटिस और कागजी खानापूर्ति कर जर्जर भवनों में कार्रवाई का दावा किया जा रहा है। चूंकि, 400 से अधिक जर्जर भवनों के मामले कोर्ट में लंबित हैं। इसलिए नगर निगम भी इन पर सीधे तौर पर कार्रवाई से बच रहा है। हालांकि, धीमी गति से चल रही सरकारी कार्यवाही जान लेने लगी है।

ज्यादातर जर्जर मकान विवादित

 जर्जर चिन्हित ज्यादातर मकान और बिङ्क्षल्डग विवादित बताए जा रहे हैं। किसी का कोर्ट में केस है तो किसी पर स्वामित्व विवाद है। कुछ का किरायेदारी को लेकर विवाद है। इसी वजह से इन बिङ्क्षल्डग का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। न किराएदार इसे ठीक करा रहे हैं न मकान मालिक। कुछ भवन स्वामियों ने नोटिस देने के विरूद्ध न्यायालय में नगर निगम को भी पार्टी बनाया है। ऐसे आठ केस स्थानीय न्यायालय में तथा आठ प्रकरण उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया की 400 से अधिक जर्जर मकानों में किरायेदारी का विवाद चल रहा है। विवाद कोर्ट में होने के कारण इन पर कार्रवाई लंबित है।

सशुल्क होता ध्वस्तीकरण: उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा-331 (1) के तहत निगम जर्जर भवनों को नोटिस दे सकता है। ऐसे भवन स्वामियों को सात दिनों के भीतर जर्जर हिस्से की मरम्मत कराने या जर्जर भाग को ध्वस्त करने की कार्रवाई करनी होती है। भवन स्वामियों द्वारा ऐसा न करने पर निगम को धारा-331 (2) के तहत जर्जर भवन गिराने व भवन स्वामी से इसका खर्च भी वसूलने का अधिकार है। वहीं, धारा-331 (1)के तहत नोटिस तो देता है लेकिन धारा-331 (2) का उपयोग नहीं करता है। इसके पीछे निगम को पहले मकान को खाली करवाना होगा। इसके लिए मजिस्ट्रेट या न्यायालय की अनुमति लेना अनिवार्य है। कानूनी दांव-पेच के कारण निगम जर्जर भवनों को ध्वस्त करने की कार्रवाई करने से बचता है।

निगम का दावा

नगर निगम के पीआरओ संदीप श्रीवास्तव का कहना है की नगर निगम की टीम ने चिह्नित सभी 489 मकानों को नोटिस भेजा है। कोतवाली जोन के प्रभारी इंद्र विजय सिंह द्वारा जारी सभी नोटिस की शिनाख्त कराई गई है। साथ ही नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने ऐसे सभी भवनों के स्वामियों से सुरक्षित स्थान पर जाने की अपील की है, ताकि सभी की जान-माल की सुरक्षा हो सके।

कब कहां गिरा जर्जर भवन 

  •  काशी विश्वनाथ विशिष्ट परिक्षेत्र के यलो जोन में 6 अगस्त को दो जर्जर मकानों के गिरने से 9 लोग दब गए। इसमें एक महिला की जान चली गई।
  • लालघाट स्थित बुचई टोला में 7 अगस्त को 150 साल पुराने मकान की सीढि गिरने से 11 लोग फंस गए। एनडीआरएफ ने सभी को सुरक्षित निकाला और पुलिस ने मकान खाली कराकर ताला जड़ दिया।
  •  कश्मीरीगंज मोहल्ले में राम मंदिर के करीब जर्जर मकान 8 अगस्त को गिर पड़ा, जिससे आस-पास के लोगों का आवागमन प्रभावित हो गया तथा एक गाड़ी इसकी चपेट में आने से क्षतिग्रस्त हो गई।
  • औरंगाबाद कमलापति कॉलोनी में 8 अगस्त को एक मकान की जर्जर दीवार गिरने से आवागमन बाधित हो गया। घटना में एक कार भी क्षतिग्रस्त हो गई।
  •  सुंदरपुर क्षेत्र में 9 अगस्त को जर्जर भवन की दीवार गिरने से एक व्यक्ति घायल हो गया। सड़क पर मलबा होने से आवागमन भी प्रभावित रहा।