सज-संवर कर तैयार संत शिरोमणि की जन्मस्थली

दो हजार संगत के साथ संत निरंजन दास भी पहुंचे गुरु चरण, स्वागत करने को आतुर हो उठे रैदासी
वाराणसी (रणभेरी सं.)। संत रविदास की जयंती के लिए उनकी जन्मस्थली सज-संवर कर तैयार हो चुकी है। सजावट के साथ ही देश-विदेश से आने वाले अनुयायियों के लिए भी मुकम्मल व्यवस्था की गई है। 10 हजार से अधिक सेवादार पूरी व्यवस्था को संभाले हुए हैं। सुबह से रात तक लंगर चल रहा है। श्री गुरु रविदास जन्म स्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट केएल सरोवा ने बताया कि सीरगोवर्धनपुर क्षेत्र में करीब 100 टेंट बनाए गए हैं। इसमें पांच हजार फीट में जर्मन हैंगर बनाया गया है। 1680 फीट का मंच बना है। इसी में पंडाल में सत्संग होगा। बाकी पंडालों में अगल-अलग राज्यों की संगत के लिए ठहरने, लंगर, भंडारण आदि की व्यवस्था की गई है। करीब सौ स्थायी व अस्थायी शौचालय व स्नानघर बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि दस हजार से अधिक सेवादार खाना बनाने, खिलाने, सफाई के साथ सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाले हुए हैं। वीआईपी के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई।
संगत के साथ संत निरंजन दास भी पहुंचे
अपराह्न 3:49 बजे जैसे ही बेगमपुरा एक्सप्रेस कैंट स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर नौ पर पहुंची, रविदासिया धर्म के प्रमुख संत निरंजन दास का स्वागत करने को रैदासी आतुर हो उठे। दो हजार संगत के साथ संत रविदास की जन्मस्थली काशी पहुंचे संत निरंजन दास को अपने बीच पाकर अनुयायी निहाल हो गए। गुरु के प्रति श्रद्धा और भक्ति में सराबोर अनुयायी उनकी एक झलक पाने को बेताब दिखे। जय गुरुदेव..., धन गुरुदेव... के जयघोष के साथ उनका स्वागत किया। यही नजारा संत के सपनों के गांव सीरगोवर्धनपुर का भी था। यहां भी डेरा सचखंड बल्ला के गद्दीनशीन निरंजन दास का भव्य स्वागत हुआ। कैंट स्टेशन से गुरु की जन्मस्थली सीरगोवर्धनपुर तक गुरु की अगवानी के लिए भीड़ उमड़ी रही। मंदिर पहुंचकर निरंजन दास ने संत रविदास के गुरु के चरणों में सिर झुकाया। उनके दर्शन किए। विभिन्न प्रांतों से एक लाख से अधिक संगत पहुंची है।
माघ मास की पूर्णिमा तिथि यानी 12 फरवरी को संत शिरोमणि गुरु रविदास की 648वीं जयंती मनाई जाएगी। जयंती पर ही ग्रीस के अनुयायी द्वारा भेंट किए गए सोने के निशान को मंदिर में लगाया जाएगा। श्री गुरु रविदास जन्म स्थान पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन संत निरंजन दास का मंदिर के जिंदर बाबा और मैनेजर हर गोपाल ने पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया। मंदिर के बाहर सड़क के दोनों तरफ उनके दर्शन के लिए भीड़ लगी थी। वह सीधे मंदिर में पहुंचे और माला पहनाया और दर्शन किए। इसके बाद मंदिर की परिक्रमा की। फिर गद्दी पर विराजमान हुए। इसके बाद उनके दर्शन के लिए अनुयायियों की कतार लग गई, जो रात तक गुरु के चरणों की बंदगी कर आशीष लेने के लिए भीड़ रही। उधर, उनके साथ आई संगत छोटे-बड़े वाहनों से मंदिर पहुंची। इस दौरान संत निरंजन दास ने ट्रस्टियों के साथ बैठक कर मेथे की व्यवस्था का जायजा लिया। संत मनदीप दास ने बताया कि ग्रीस के एक अनुयायी की ओर सोने का निशान भेंट किया गया है। इसे, इस बार जयंती के दिन यानी बुधवार को मंदिर में लगाया जाएगा। इस दौरान ट्रस्टी बाबा हरदेव, केएल सरोवा, निरंजन चीमा आदि रहे।
ट्रेनें निरस्त होने से ट्रक और पिकअप से आ रहे अनुयायी
महाकुंभ की वजह से कई ट्रेनें निरस्त हो गई हैं। ऐसे में पंजाब और हरियाणा से आने वाले श्रद्धालु वाहनों से काशी पहुंच रहे हैं। ट्रक, पिकअप, ट्रैक्टर से गुरु की जयंती में शामिल होने के लिए संगत पहुंच रही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उतराखंड, बिहार, झारखंड आदि राज्यों से संगत ट्रेन और दूसरे साधन से यहां पहुंच रही है।
तीन दिनों तक कब क्या होगा
संत निरंजन दास तीन दिनों तक अलग आयोजनों में भाग लेंगे। वह मंगलवार को पंडाल क्षेत्र में घूमकर व्यवस्था देखेंगे। शाम छह बजे नगवां पार्क में दीपोत्सव और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेंगे। 12 जनवरी को अमृतवाणी जप में हिस्सा लेंगे। जयंती के दिन सुबह सात बजे संत रविदास के स्मारक पार्क नगवां घाट पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण होगा। मंदिर में सुबह 10 बजे ध्वजारोहण होगा। सुबह आठ से रात आठ बजे तक साधु-संतों का प्रवचन होगा। 12 को मुख्य पंडाल में सुबह 11 से अपराह्न तीन बजे तक संतों का प्रवचन और कीर्तन चलेगा। इसी दिन मंदिर परिसर में झांकियों का स्वागत होगा। 15 फरवरी तक लंगर चलेगा। वहीं, संत रविदास विद्यालय में मालवा लंगर मंगलवार से शुरू हो जाएगा।