विकास का आभार, किन्तु महंगी की मार से डगमगा रही पतवार

विकास का आभार, किन्तु महंगी की मार से डगमगा रही पतवार
  • समस्याओं के भवर जाल में फंसी खुद खेवैया की नैया
  • आत्ममुग्ध करती है काशी के मूल निवासी होने की गाथा पर कथाओं से पेट तो नहीं भर पाता

‘स्थानीय पर्यटक हमारी चाय- पानी चलाने में मदद कर सकते हैं। लेकिन, लॉकडाउन के चलते हम जिस पिछड़ चुकी स्थिति का सामना कर रहे हैं, उसे स्थानीय
पर्यटन के बूते ठीक नहीं किया जा सकता’’ -नाविक

रण में रणभेरी: निश्चित ही उन्हें आत्ममुग्ध करती है आनंद कानन स्वरूपा काशी के मूल निवासी होने की सुनहरी गाथा। बाप दादाओं से सुनी वह कथा भी उनका गौरवबोध जगती है जिसमे उनके कुलपुरुष निषादराज गुह ने सारे जग को तारने वाले श्री राम की नैया पार लगायी थी। ... किन्तु कथाओं और गाथाओं से पेट तो नहीं न भरता साहब! युग बदले- सदियाँ बीती पर कड़वा सच यही है सरकार ! कि तमाम आख्यानों - व्याख्यानो के बाद भी काशी के केवट समाज की झोली आज भी वैसी ही रह गयी है रीती की रीती एक अनौपचारिक चुनावी चर्चा के दौरान कुछ ऐसे ही भावों के साथ फुट पड़ता है शिवाला घाट के निषाद मोनू साहनी का विषाद। 

कहते है- जिंदगी मोमबत्ती के मानिंद टेघरति रही। सरकारें बनती और बिगड़ती रही किन्तु शिक्षा, रोजगार, समाजकिक विकास हो या अवसर की समानता निसाद समुदाय को व्यवस्था में उनके हक की हिस्सेदारी नहीं मिल पायी। विधानसभा चुनाव के फिलदौर माहौल और बीती पांच वर्षों के हसिलात के बारे में उनका कहना है की मुख्यमंत्री योगी के इस पंचवर्षीय हुकूमत के दौर में काशी में विकास की धारा बही यह सच है। खास कर विश्वनाथ धाम की रूप में सामने आयी चटक बहुरंगी तस्वीर ने काशी को एक नया रूप दिया यह भी सच है। कोरोना काल की त्रासद स्तिथियों ने काशी के नाविकों को बदहाली पे जिस कगार पर ला खड़ा किया उससे उबरने में अभी वक़्त लगेगा। फिलवक्त तीर्थांटन का ग्राफ लगातार चढ़ने को अद्यतन मानक माने तो उम्मीद बनती है की विकास यह जादू भविष्य में रंग लाएगा कारोबार के अवसर बढ़ेंगे एक नया सबेरा आएगा। उधर इसी घाट के मांझी गोलू साहनी विकास हुआ है यह तो मां नते है किन्तु इस विकास की कीमत अगर कमर तोड़ महंगी की मार के रूप में अगर ऐसे ही बनी रही तो इस टूटी कमर से कुनबे के योग-क्षेम की गाड़ी मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा। ऊपर से बीते वर्षो में हर रोज नंगी पीठ को लहू लुहान करते प्रशासन के तुगलकी मिजाज वाले सरकारी फरमानो की चबुक ने तो नाविकों का हौसला ही तोड़ दिया है। कभी घाट पर जेटी बांधने के नाम पर नाविकों को खदेड़ देने, कभी वीआईपी आगमन के बहाने डंडा भांज कर नाव वालों को राज घाट पल के पार तक लतेर दें तक जैसे फरमान नाविकों के पेट एंव पीठ दोनों पर वज्र प्रहारसाबित होते रहे है। केदार घाट के नाविक नंदू साहनी भी नून तेल लकड़ी की आसमान छूती महंगाई से त्रस्त नजार आते है कहते है- कोरोना के तीसरे तमाचे के चलते रोजगार अब भी डगमगाया हुआ है ऊपर से क्रूज व् अन्य आलीशान स्टीमरों के संचालन से भी नाविकों का धंधा बेतरह प्रभावित हुआ है हाथ वाली नौकाओं के धंधे की दौड़ से बहार होते जाने असर छोटे मंझोले मांझियों के घर के चूल्हे चौके तक पर पड़ा है। 

हालांकि इन तमाम दिक्कतों - दुस्वारियों के बाद भी जहाँ तक सामने खड़े चुनाव का सवाल है इस बार भी निषाद समाज मुख्यमंत्री उओगी की सरकार को एक और मौका देने की हिमायत करता है पर सामने खड़े उम्मीदवार का काम और व्यवहार भी वोट देते समय याद रखा जायेगा।बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा की कौनसी सरकार इस वचनबद्धत्ता के साथ आगे आती है जिसमे निषाद समुदाय को आगे आने वाले समय में उनकी हैसियत के मुताबिक मान सम्मान व इंतजामत में बराबर की हिस्सेदारी मिले उनके विकास के नए अवसर तलाशे जाये। नई पीढ़ी को सामान अवसरों की भागीदारी का मौका प्राप्त हो।

सत्ता भी परेशान, यूपी में भाजपा की राह नहीं आसान

चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा के विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। यूपी में कुल 7 चरणों में - 10
फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवर, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा। राजनीतिक दलों की बात करें तो इस विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। इन पांच में से चार राज्यों - उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा औरमणिपुर में भाजपा की सरकार है। इन
चारों राज्यों में अपनी सरकारों को बचा कर फिर से जनादेश हासिल करना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है। पांचवें चुनावी राज्य, पंजाब में पार्टी के
लिए अपना विस्तार करना और अपने जनाधार को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है।

पीएम मोदी और सीएम योगी की प्रतिष्ठा उत्तर प्रदेश में दांव पर लगी हुई है। 2017 के पिछले विधान सभा चुनाव में सीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा किए
बिना भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे और अमित शाह की रणनीति के आधार पर चुनाव लड़ा था। अखिलेश सरकार को लेकर मतदाताओं की नाराजगी को भुनाने के साथ ही प्रदेश के जातीय समीकरणों को साधते हुए 2017 में भाजपा को अपने सहयोगी दलों के साथ 325 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। भाजपा को अकेले 40 प्रतिशत के लगभग वोट के साथ 312 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि उसके सहयोगी अपना दल (एस) को 9 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

आप के धमक से यूपी में हलचल

वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव में अब कुछ दिन का समय रह गया है। दिल्ली में दोबारा भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली आप ने अब यूपी में भी अपने पांव मजबूती से रख दी हैं। ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य और यूपी प्रभारी संजय सिंह ने पूरी ताकत झोंक दी है। संजय लगातार प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ मुद्दे उठाकर जनता का समर्थन बटोरने में जुटे हैं। संजय सिंह के मुद्दे योगी सरकार को इस कदर खटक रहे हैं कि उनके खिलाफ यूपी के कई जिलों में एक दर्जन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।

पिछले कुछ महीनों के भीतर आप कार्यकतार्ओं ने भ्रष्टाचार, बिगड़ी कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा, प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी, किसानों की समस्याओं जैसे मुद्दों पर लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में प्रदर्शन कर जनता का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आम आदमी पार्टी ने फ्रंटल संगठनों को भी यूपी में सक्रिय किया है। आप ने क्म्युनिटी और ऐक्टीविटी पर आधारित प्रकोष्ठ तैयार किए हैं। कम्युनिटी आधारित प्रकोष्ठ में अल्पसंख्यक, छात्र, युवा, महिला, किसान प्रकोष्ठ के अलावा आप की छात्र युवा संघर्ष समिति को शामिल किया गया है। हर प्रकोष्ठ का जिले से लेकर गांव तक एक सामानांतर संगठन तैयार किया जा रहा हैं। इसके अलावा शिक्षा, बिजली, स्वास्थ्य जैसे बिंदुओं पर ऐक्टिविटी आधारित विंग का गठन किया गया है। इस विंग के पदाधिकारी संबंधित ऐक्टीविटी पर जनता के बीच चेतना जगाने का कार्य कर रहे हैं।

इससे पहले आम आदमी पार्टी ने कोरोना महामारी के समय आॅक्सीमीटर कैंपन शुरू किया था। इसके लिए पूरे प्रदेश में 10 हजार टीमें बनाई गई थीं जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं को शामिल किया गया था। हर टीम में चार-चार कार्यकर्ता और समर्थक थे।इस प्रकार 40 हजार कार्यकतार्ओं और समर्थकों को गांव में चलने वाले सघन आक्सीमीटर कैंपेन में उतारा गया। आप कार्यकतार्ओं ने तीन महीने के भीतर प्रदेश के एक लाख दस हजार गांव के घर-घर जाकर आक्सीमीटर मशीन के जरिए लोगों के शरीर में आक्सीजन की मात्रा की जांच की। इस तरह आप ने उन युवाओं के लिए पार्टी के दरवाजे खोल रखे हैं जो भाजपा और दूसरी विपक्षी पार्टियों से निराश हैं। इसीलिए आप युवाओं से जुड़े मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठा रही है।