तो ईमान संग जिम्मेदारों ने बेच दिया शिवपुर तालाब!
63 तालाबों की सूची में है नाम दर्ज, फिर भी निगम ने किया उपेक्षित
वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विशेषकर पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के जल-स्त्रोतों जैसे तालाबों और कुओं के जीर्णोद्धार एवं पुनरुद्धार पर विशेष जोर दे रहे हैं। जिससे जल और पर्यावरण की समस्या के साथ साथ इनको पूर्व की स्थिति मे बहालकर ऐसे तालाबों की पौराणिक और ऐतिहासिक महत्ता से जनमानस को परिचित भी कराया जा सके। उनकी मंशा के अनुरूप तालाबों का कायाकल्प भी किया जा रहा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ऐसे ही पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व का ह्शिवपुर तालाबह् जो काशी पंचकोसी परिक्रमा के चौथे पड़ाव के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस तालाब को नगर निगम कर्मियों ने बेच दिया। यह हम नहीं इलाके की जनता कह रही है। विशालकाय यह जलखाता सरकारी संपत्ति है। नगर निगम के अधीन है। यह सरकारी संपत्ति है, इसकी घोषणा खुद नगर निगम करता है। सिगरा स्थित मुख्यालय पर लगे 63 तालाबों के बोर्ड में इस तालाब का नाम भी दर्ज है। मौके पर भी नगर निगम ने सरकारी संपत्ति का बोर्ड लगा रखा है। इसके बाद भी भू माफिया ने कब्जा कर लिया है। प्लाटिंग कर अरबों की जमीन बेचने की फिराक में है। स्थानीय लोगों ने भू-माफिया की करतूत नगर निगम के अफसरों को बताया है। पूर्व पार्षद डॉ. जितेंद्र सेठ ने कानूनी तौर से मोर्चा भी खोल दिया है। कोर्ट ने भी तालाब को बचाने का आदेश नगर निगम को दिया है। इसके बाद भी नगर निगम की ओर से मौन साधे रखना आमजन के मन में आशंकाएं जन्म दे रहा है
उद्धार के लिए दशकों से कर रहा इन्तजार
शिवपुर पंचकोशी मार्ग पर स्थित है (जिसका अराजी नं० 69 मौजा एवं परगना शिवपुर तहसील सदर वाराणसी), अपनी उद्धार के लिए दशकों से इन्तजार कर रहा है। जबकि यह तालाब वाराणसी नगर निगम के 63 तालाबों की सूची में 31वें नंबर पर अंकित है। पूर्व में इस तालाब पर जहां माता जिउतिया का पूजन एवं प्रसिद्ध प्याला का मेला लगता था वही पंचकोसी परिक्रमा करने वाले यात्री खाना बनाकर और खाकर वहीं विश्राम करके पुन: अपने अगले पड़ाव को प्रस्थान करते थे। यह तालाब सैकड़ो पेड़ों से आच्छादित था, तालाब में तमाम जलचर जीव जंतु थे, पशु /पक्षियों का घरौंदा हुआ करता था। आस पास के रहने वाले पुराने लोग बताते है कि कभी यहां साइबेरियन पंछी भी आती थी और वर्ष पर्यंत यह तालाब जल से भरा रहता था।
आज भी इस तालाब पर काशी पंचकोसी परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु परंपरानुसार चौथे पड़ाव के रूप में यहाँ रुकते हैं और विश्राम करने के बाद आगे बढ़ते हैं। लेकिन इसके वावजूद यह बदहाल स्थिति में है और सम्बन्धित विभाग की कृपा दृष्टि का इन्तजार कर रहा है जिससे इसका भी उद्धार हो सके। दरअसल वर्षों पहले इस तालाब पर भू-माफियाओं के कुदृष्टि पड़ी और उन्होंने सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर इसे पाट कर इसके मूल स्वरूप को बदल कर इस पर प्लाटिंग का प्रयास किया लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद वे अपने बुरे मंशा में सफल नहीं हो सके। मामला अदालत तक भी पहुंचा। स्थानीय लोगों द्वारा लगातार विरोध और मामला अदालत मे जाने का परिणाम यह रहा कि कम से कम यह तालाब भू-माफियाओं के अवैध कब्जे से बचा रहा।
22 वर्षों से जारी है संघर्ष
पूर्व सभासद ने बताया कि सन 2002 से अनवरत जारी संघर्ष की ही उपलब्धि रही है कि तत्कालीन मंडलायुक्त नितिन रमेश गोकर्ण के निर्देश पर पाटे गए तालाब पर दो-दो जेसीबी लगाकर खुदाई (खनन) का कार्य प्रारंभ कराया गया, परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप से खुदाई का कार्य अचानक बीच में ही रोक दी गई। यह तालाब नगर निगम वाराणसी की 63 तालाबों की सूची में 31वे में नंबर पर अंकित है। नगर निगम की संपत्ति रजिस्टर में भी यह तालाब दर्ज है। यह तालाब बंदोबस्त के नक्शे में भी अंकित है। उनका कहना है कि जन-विरोध के फल स्वरुप अवैध कबजेदारों ने इस तालाब को मिट्टी से पाट अवश्य दिया है परंतु उस पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य अभी तक नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि पौराणिक धार्मिक महत्व के इस तालाब को उसके मूल स्वरूप में बहाल करने के लिए पुन: एक खूबसूरत जलाशय (तालाब) का निर्माण (रीस्टोरेशन आफ वॉटर बॉडी) करवाने की मांग स्थानीय लोगों द्वारा अपने सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके वाराणसी स्थित संसदीय कार्यालय के माध्यम से और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नगर विकास मंत्री को रजिस्ट्री डाक द्वारा पत्र प्रेषित कर साथ ही जिला प्रशासन एवम नगर निगम वाराणसी से विभिन्न प्रतिनिधि मंडलों द्वारा मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंप कर कर चुके हैं।
कपट पूर्वक नाम दर्ज कराकर पाट दी मिट्टी
वाराणसी नगर निगम के शिवपुर वार्ड, जिस वार्ड मे यह तालाब स्थित है, के पूर्व सभासद डॉ. जितेंद्र सेठ जिन्होंने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर सबसे पहले तालाब के मूल स्वरूप को अवैध रूप से पाट कर बदलने के कुत्सित प्रयास के विरुद्ध आवाज उठायी और तालाब को मूल स्वरूप में लाने के लिए वर्षों से प्रयासरत हैं, बताते हैं कि ऐसे जीवंत सार्वजनिक तालाब को पहले अवैध कब्जेदारों ने धारा 229-ब कराकर भ्रष्ट अधिकारियों /कर्मचारियों की मिली भगत से अपना नाम कपट पूर्वक दर्ज कराकर जब मिट्टी डालकर पाटा जाने लगा तो आस पास के क्षेत्रीय नागरिकों ने इसका पुरजोर विरोध किया। यह मामला सड़क से लेकर नगर निगम सदन तक उठाया गया और कई बार धरना-प्रदर्शन भी हुए। डॉ. सेठ आरोप लगाते हैं कि मामला जिला प्रशासन, उत्तर प्रदेश शासन के संज्ञान में भी लाया गया, परंतु भू माफियाओं ने पुन: भ्रष्ट्र अधिकारियों/कर्मचारियों की मिली भगत से नगर निगम वाराणसी द्वारा तालाब की भूमि पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करा लिया एवं वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा भू-विन्यास मानचित्र भी स्वीकृत कराने में वह सफल हो गए।