कहीं बंदूक...तो कहीं चल रहे हथियार आनलाइन गेमिंग कर रहा भविष्य बर्बाद
वाराणसी (रणभेरी सं.)। मोबाइल के स्मार्ट होने के साथ-साथ वीडियो गेमिंग भी अपना दायरा बढ़ा रही है। कम्प्यूटर पर आनलाइन वीडियो गेम्स, प्ले स्टेशन और वीडियो कंसोल जैसे तमाम जरिए हैं गेम खेलने के। स्मार्ट फोन में भी कई गेम एप्स मौजूद हैं जो गेमिंग की लत का सबसे बड़ा कारण हैं। गेमिंग बहुत जल्दी लत में तब्दील हो जाती है। जीतने की चाह, नए लेवल पार करना, हाई स्कोर बनाना जैसे उद्देश्य और खेलने के लिए उत्साहित करते हैं। ऐसे में व्यक्ति बिना सोचे-समझे गेम खेलता जाता है। और असली मैदान के खेलों से विपरीत इसका दुष्प्रभाव शरीर पर पड़ता है और यह खेल मानसिक रूप से भी कमजोर बनाता है। खिलाड़ी असल दुनिया से दूर होता जाता है। ऐसे में इस लत को तभी दूर किया जा सकता है जब व्यक्ति खुद इससे दूर होना चाहे।
बच्चों से लेकर युवाओं में बढ़ते आॅनलाइन गेमिंग का क्रेज उनका भविष्य बर्बाद कर सकता है। दरअसल आॅनलाइन गेम ने देशभर में युवाओं को पूरी तरह से जकड़ लिया है। बबार्दी का आॅनलाइन खेल इन दिनों इंटरनेट पर खुलेआम चल रहा है। ज्यादातर लोग आॅनलाइन गेमिंग में हिंसात्मक गेम खेलते हैं। गेम में तरह-तरह के बंदूक, हथियार का इस्तेमाल करते हुए ज्यादा समय मोबाइल में बिता रहे हैं। अगर आपके आसपास या परिवार के बच्चों में ऐसी स्थिति है तो सावधान होने की बेहद जरूरत है, नहीं तो इससे बहुत सारे नुकसान हो सकते हैं।
मनोरोग विशेषज्ञ की माने तो आजकल आॅनलाइन गेमिंग का बहुत क्रेज बढ़ रहा है. ज्यादातर देखा जाता है कि जो बच्चे एक दिन में दो घंटे से अधिक किसी भी स्क्रीन के सामने बैठते हैं, चाहे वह मोबाइल,लैपटॉप, कम्प्यूटर या आईपैड हो, ऐसे बच्चों में हिंसाकता ज्यादा आ जाती है। बच्चे चिड़चिड़ापन के शिकार होने लगते हैं। अमेरिका में हुए सर्वे के अनुसार पाया गया कि जो बच्चे ज्यादा स्क्रीन के सामने समय व्यतीत करते हैं, वे इमोशनली ब्लंड हो जाते हैं, यानि कि हमारे सामने कोई व्यक्ति है, हम उसके इमोशन चेहरे को देखकर नहीं समझ पाते हैं। ऐसे में सामने वाले की स्थिति क्या है, वह दु:खी या गुस्से में है या हमारी बात सुनना नहीं चाह रहा है, यह सब बातें बच्चे नहीं समझ पाते हैं।
बच्चे बन रहे डिमांडिंग
अगर बच्चों से स्क्रीन छूट या हट जाती है, तो वे बहुत ज्यादा जिद्दी बन जाते हैं और बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। साथ ही किसी चीज को लेकर डिमांडिंग बन जाते हैं। आॅनलाइन गेमिंग की वजह से बच्चे फ्यूचर में दूसरों के साथ मिलना-जुलना पसंद कर रहे हैं। सोशल गेदरिंग में जाना पसंद नहीं कर रहे हैं, अकेले रहना पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा बच्चों को मेंटल बीमारियां भी हो सकती हैं। आईसेड कमजोर, कंसन्ट्रेशन पावर कमजोर, न्यूट्रिशनल डेफिशिएंसी, स्वभाव में परिवर्तन , माता पिता और दोस्तों के साथ उग्र व्यवहार कर सकते हैं। इसके अलावा कई तरह की फिजिकल बीमारी भी हो जाती है और आगे जाकर बच्चे नशे के शिकार हो जाते हैं।
लत और शौक में फर्क़ है
दिनभर बैठकर गेम खेलना, कोई काम ना करना या काम के बीच से जबरन समय निकालकर गेम खेलना, आसपास क्या हो रहा है और कौन-क्या बोल रहा है इस पर ध्यान ना रहना, गाड़ी में, टीवी देखते वक़्त, बाजार में समय मिले तो मोबाइल पर वीडियो गेम खेलते रहना, ना खेल पाने पर चिड़चिड़ाना (बच्चों में गुस्से से बिफरने की आदत देखी गई है), देर रात तक जागना, हारने पर परेशान होना, गुस्सा करना और जब तक जीत हासिल ना हो तब तक खेलते रहना जैसे व्यवहार लत की ओर इशारा करते हैं।