हादसों से सड़कें लहूलुहान, 10 महीने में सैकड़ों की गई जान

हादसों से सड़कें लहूलुहान, 10 महीने में सैकड़ों की गई जान

वाराणसी (रणभेरी सं.)। कोहरे की दस्तक ने सर्दियों में सड़कों पर जान का खतरा बढ़ा दिया है। घना कोहरा और धुंध दृश्यता को इतना घटित कर देते हैं कि वाहन चालक और पैदल यात्री दोनों को अपने कदम बढ़ाने में मुश्किल होती है। इस बीच, सड़क पर दौड़ती मौत ने 10 महीने में सैकड़ों लोगों की जान ले ली है। सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, खासकर सुबह के समय जब कोहरा अपनी चादर ओढ़े रहता है। साथ ही, धूल और प्रदूषण के कारण धुंध का स्तर और भी बढ़ गया है, जो और भी ज्यादा समस्याएँ उत्पन्न कर रहा है।

मोहनसराय सिक्स लेन पर सुबह से शाम तक धुंध छाया रहता है। शहर में लगभग सभी जर्जर सड़कों की स्थिति यही है। ऐसे में सुबह के समय कोहरे की वजह से स्थिति और गंभीर हो जाती है। दिन में ही लाइट जलाकर वाहन चलाना लोगों की मजबूरी बन गई है। पिछले एक महीने में धूल की वजह से कई लोग डंपर, ट्रैक्टर व बस की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके हैं। रविवार सुबह मिजार्मुराद के हरपुर निवासी राकेश गुप्ता अपने चाचा रामचंद्र गुप्ता और भतीजी गुनगुन को बाइक पर बिठाकर बुआ के लड़के की शादी में शामिल होकर मंडुवाडीह लौट रहे थे। सड़क चौड़ीकरण के कारण एक लेन पर आवागमन के बीच शहावाबाद से रोहनिया की तरफ जा रही तेज रफ्तार कार ने बाइक में टक्कर मारी तो राकेश गुप्ता दाहिने तरफ सड़क के बीच जा गिरे, जिसे बस ने कुचल दिया। 

जान ही नहीं स्वास्थ्य भी सांसत में

धूल में फंसकर लोग जान ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य भी खराब हो रही है। धूल की वजह से लोगों की सांस फूलने लगी है। आंखों पर असर पड़ रहा है। सबसे अधिक परेशानी सड़क किनारे रहने वाले लोगों को हो रही है। लोगों का कहना है कि जब से सिक्स लेन का काम शुरू हुआ है। वे रात में भी मास्क लगाकर सोते हैं। अधिकतर लोग एलर्जी, श्वांस व आंखों की तकलीफ के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार धूल की वजह से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। शहाबाबाद, जगतपुर, रोहनिया, भुल्लनपुर, केसरीपुर, नरउर, मढ़ौली, चांदपुर, मंडुवाडीह, रविंद्रपुरी, अस्सी रोड समेत कई क्षेत्र इससे प्रभावित हैं।

10 महीने में 249 की गई जान

वाराणसी में सड़क हादसों में इस साल एक जनवरी से 31 अक्टूबर तक 249 लोगों ने जान गंवाई। वहीं 286 लोग सड़क हादसों में घायल हुए। इसमें एक दिलचस्प तथ्य यह है कि जनवरी से अक्टूबर तक एक से 15 तारीख की अपेक्षा 16 से 30 या 31 तारीख के बीच ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। जनवरी से अक्टूबर तक एक से 15 तारीख के बीच 196 सड़क हादसे हुए। इनमें 110 लोगों की जान गई और 137 लोग घायल हुए। जनवरी से अक्टूबर तक ही 16 से 30 या 31 तारीख तक 239 सड़क हादसे हुए। इनमें 139 लोगों की जान गई और 149 लोग घायल हुए। हर महीने 16 से 30 या 31 तारीख तक सड़क हादसे ज्यादा क्यों होते हैं, इसकी पड़ताल की जा रही है।

अक्टूबर में सबसे ज्यादा मौत

हादसों से सड़कें लहूलुहान हैं। ट्रैफिक नियमों की अनदेखी के चलते लगातार जानें जा रही हैं, लेकिन एक जनवरी से 31 अक्टूबर के बीच 30 सड़क हादसे ऐसे भी हुए, जिनमें न किसी की जान गई और न कोई घायल हुआ। सिर्फ 30 वाहन क्षतिग्रस्त हुए। वहीं, इस साल अब तक सड़क हादसों में सबसे ज्यादा 33 लोगों की मौत अक्टूबर के महीने में हुई।