123 साल में 38.19 लाख बढ़ी काशी की आबादी, लिंगानुपात घटता गया और साक्षरता दर बढ़ती गई

123 साल में 38.19 लाख बढ़ी काशी की आबादी, लिंगानुपात घटता गया और साक्षरता दर बढ़ती गई

वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी की आबादी बीते 123 वर्षों में करीब सात गुना बढ़ी है। 2021 में यहां की आबादी अनुमानित 42 लाख और 2024 में आबादी 45 लाख है। यहां साल दर साल लिंगानुपात घटता गया और साक्षरता दर बढ़ती गई।  बीते 123 साल में काशी की आबादी तकरीबन सात गुना बढ़ी है। 1901 में यहां की आबादी 6.81 लाख थी। 2011 की जनगणना के अनुसार 36.76 लाख है। जनगणना विभाग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार 2021 में यहां की आबादी अनुमानित 42 लाख और 2024 में आबादी 45 लाख है। काशी में लिंगानुपात घटा है जबकि साक्षरता दर बढ़ी है। दरअसल कोविड के चलते हर दस साल पर होने वाली जनगणना सरकार ने स्थगित कर दी थी। इसके चलते 2021 में जनगणना नहीं हो सकी। पूर्व जिला सांख्यिकी अधिकारी आरएन यादव के अनुसार बीते 24 सालों में जनसंख्या वृद्धि की दर घटी है, लेकिन यदि काशी की बात करें तो इसमें आबादी बढ़ी है। इसके पीछे प्रमुख कारण है कि आस पास के जिलों से आकर लोगों के बसने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यही कारण है कि इस समय यहां की आबादी तकरीबन 45 लाख के आसपास है। शहर की आबादी 22 लाख है।  ज्यादातर लोग गाजीपुर, मऊ, बलिया, सोनभद्र, मिजार्पुर, चंदौली, भदोही, आजमगढ़, बिहार, कैमूर, भभुआ, सासाराम, आदि जिलों के लोग काशी में आकर बसे हैं। इस नाते यहां आबादी में बढ़ोतरी हुई है। 40 प्रतिशत लोग यहां से माइग्रेट किए हैं। जबकि 60 प्रतिशत लोग बाहर से आकर बसे हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार 43.44 प्रतिशत आबादी शहरी इलाकों में रहती है। इस समय 45 फीसदी आबादी शहर में रह रही है।

लिंगानुपात प्रत्येक 1000 पुरुष पर 909 महिला
वर्तमान में जिले का लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 909 महिलाएं हैं। 2001 में लिंगानुपात 932 रहा जो 2011 में घटकर 919 हो गया था। वर्तमान आंकड़े पर नजर डाले तो 91 महिलाओं की कमी अभी है। ऐसी स्थिति में लिंगानुपात बढ़ाने के लिए प्रयास की आवश्यकता है।

वर्तमान में साक्षरता दर 79.05 प्रतिशत
काशी की साक्षरता दर 79.05 प्रतिशत है। 2001 में साक्षरता दर 75.06 प्रतिशत रही जो बढ़कर 2011 में 77.05 हो गई थी। उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 73.4 प्रतिशत और शहरी में 78.4 प्रतिशत रही। इन आंकड़ों पर नजर डालें तो साक्षरता दर बढ़ रही है।

हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस
हर साल 11 जुलाई को दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बढ़ती आबादी से जुड़ी समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है। दुनियाभर में बढ़ती आबादी कई गंभीर समस्याओं का कारण बनती जा रही है। किसी भी देश के विकास में जनसंख्या ह्यूमन रिसोर्स के तौर पर उसके लिए उपयोगी हो सकती है। लेकिन, अनियंत्रित जनसंख्या देश के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है।

ये हैं आंकड़े
साल    आबादी प्रति दस साल में बढ़ोतरी
1901    6.81 लाख
1911     6.85 लाख
1921    6.96 लाख
1931    7.45 लाख
1941    8.84 लाख
1951    10.47 लाख
1961     12.41 लाख
1971     15.14 लाख
1981    19.19 लाख
1981    25.08 लाख
1981    31.38 लाख
2011     36.76 लाख
2021    42 लाख (अनुमानित)
2024     45 लाख (अनुमानित)