काव्य- रचना

काव्य- रचना

    मै... पिता रह गया       

तुम और मैं पति पत्नी थे,
तुम मां बन गई, मै पिता रह गया.

तुमने घर संभाला मैंने कमाई
लेकिन तुम...
"मां के हाथ का खाना" बन गई,
मै कमाने वाला पिता रह गया.

बच्चों को चोट लगी,
और तुमने गले लगाया, मैंने समझाया.
तुम ममतामई मां बन गई, मै पिता रह गया.

बच्चों ने गलतियां करी, तुम पक्ष लेकर "Understanding mom" बन गई
और मै...
"पापा नहीं समझते" वाला पिता रह गया.

"पापा नाराज होंगे" कह कर
तुम बच्चों की बेस्ट फ्रेंड बन गई 
और मै...
गुस्सा करने वाला पिता रह गया.

तुम्हारे आंसू में मां का प्यार
और मेरे छुपे हुए आंसुओ में 
मै निष्ठुर पिता रह गया

तुम चंद्रमा की तरह 
शीतल बनती चली गई और
पता नहीं कब...
मै सूर्य की अग्नि सा पिता रह गया.

तुम धरती मां, भारत मां और
मदर नेचर बनती गई, और मै...
जीवन को प्रारंभ करने का दायित्व लिए 
सिर्फ एक पिता रह गया...


     सूरज कुमार सेठ