काव्य-रचना

काव्य-रचना

  मैं विपक्ष हूँ   

 संसद में चिल्हट मचाने,
फिर पीछे से हाथ मिलाने
साथ बैठ के खाना खाने में
मेरा कोई प्रतिकार नहीं, 
मैं विपक्ष हूँ, जनता सुन लो!
मैं संघी सरकार नहीं।।
जाति का आक्षेप लगाने
रोजगार का भाव बताने
भ्रष्टाचारी उन्हें बनाने में
कोई  मुझको तक़रार नहीं
मैं विपक्ष हूँ, जनता सुन लो!
 मैं संघी सरकार नहीं।।
ना जनता में दुःख बटाने,
ना बाटें तुम रोटी-दाने,
जहाँ पक्ष में सत्ता तेरी
वहाँ न बदले ताने-बाने,
देश गर्त में अध्यक्ष महोदय,
मैं इसमें जिम्मेदार नहीं
मैं विपक्ष हूँ, जनता सुन लो!
मैं संघी सरकार नहीं।।
सत्ता भोगी तो तुम लोभी
कोई अपना पैरोकार नहीं
देश सुन लो, यही विपक्ष है,
कोई अपनी सरकार नहीं।।

 -प्रवीण वशिष्ठ