काशी का कण-कण बोला...बम बम भोले

काशी का कण-कण बोला...बम बम भोले

नागा साधुओं ने भांजी त्रिशूल, तलवार, गदा,शिव बारात में महाकुंभ के जल से हुआ छिड़काव

चहुंओर महादेव की जयकारे, शिवालयों में दर्शन-पूजन संग वेद मंत्र और लोकगीत होते रहे एकाकार

वाराणसी (रणभेरी सं.)। काशी के कण-कण शंकर की मान्यता है। लेकिन बाबा भोले शंकर के विवाह पर्व महाशिरात्रि पर हर ओर श्रद्धा का भाव समाया। गांव से लेकर शहर तक बम-बम भोले की गूंज और भक्ति भाव में हर एक ने गोता लगाया। महाकुंभ से भगवान शिव की काशी में भक्तों का सैलाब उमड़ा। 45 दिनों में 4.32 करोड़ लोग वाराणसी पहुंचे। महाशिवरात्रि पर 7 शैव अखाड़ों के साधु-संत गदा, तलवारें लहराते हुए निकले। बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। भक्तों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए। शिव बारात निकली। हर दिन औसतन 5 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में भक्तों की लाइनें रहीं। पिछले 24 घंटे में 25 लाख भक्त काशी पहुंचे। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने आए देशभर के श्रद्धालुओं पर हॉलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। इसके अलावा मंदिर न्यास ने भी माला फूल पहनाकर बाबा धाम में भक्तों का स्वागत किया।सुबह सवेरे शैव संप्रदाय से जुड़े नागा साधुओं ने शाही शोभायात्रा निकाली। इस दौरान नागा त्रिशूल, तलवार और गदा भाजते दिखाई दिए। सिर्फ सड़को पर नहीं बल्कि काशी विश्वनाथ के आंगन में भी नागा साधुओं ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा काशी गूंजता रहा। शहर के विभिन्न इलाकों से शिव बारात निकाली गई जिसमें विभिन्न झांकियां दिखाई दी वहीं काशी का सबसे पुराना शिव बारात निकल गया जिसमें शामिल होने वाले भक्तों पर महाकुंभ के जल से छिड़काव किया गया। बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए भोर तक लाइन लगी रही। मंदिर प्रशासन ने आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि कुल 12 लाख श्रद्धालुओं ने महाशिवरात्रि पर दर्शन पूजन किया।

अविनाशी का राजसी दर्शन कर धन्य हुए नागा संन्यासी

अद्भुत... अनुपम और... अप्रतिम। 'हर-हर महादेव' के जयघोष के बीच अवधूती वैभव की विहंगम छवि महाशिवरात्रि पर दिखी। देह पर भस्म-भभूत लपटाए और मालाओं का श्रृंगार सजाए जटाधारी महायोगियों का जत्था जब काशीपुराधिपति महादेव के राजसी दर्शन को सड़कों पर निकला तो विस्मृत छटा बिखेर दिया। इसकी साक्षी बनी काशी... काशीवासी और श्रद्धालुओं की लक्खा राशी। उदिताचलगामी सूर्य की स्वर्ण रश्मियों के साथ एकसार हो श्री शंभू पंचदशनाम जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी और श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के आभामंडल ने शिव की नगरी को धर्म अध्यात्म से जगमगा दिया। ढोल-नक्कारों की धुनक, शंखनाद और डमरुओं की गगनभेदी धमक संग 'हर-हर महादेव' का अनहद नाद अविस्मरणीय रहा। बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए जाते साधु-संतों के डेरे और नागाओं को घेरे जिस ओर गुजरे उस ओर फूलों की बारिश और बम-बम भोले के भक्ति की तपिश बरस पड़ी। बैंड धुनों के बीच वातावरण में गूंजती भक्ति लहरियां मन को आल्हादित कर रही थीं। ऐसा नजारा है, मानों दिव्य पुरुष और संत-महात्माओं के दर्शन को संपूर्ण काशीनगरी सड़कों पर उमड़ आई हो। किसी ने पांव पखारा तो किसी ने चरणों की धुली सिर-माथे संवारा। सनातनी संस्कृति की वैभवशाली परंपरा के दर्शन कर सभी धन्य होते रहे। पेशवाई का विशेष आकर्षण अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित नागा संन्यासियों की जमात रही। जिनके करतब हर किसी को भावविभोर कर रहे थे। साधुओं का हर दल अपने-अपने अखाड़े से संबंधित वाद्य यंत्रों पर भक्ति संगीत पेश करता हुआ चल रहा था। सड़क और विश्वनाथ धाम में गदा, त्रिशूल, लाठी-तलवार से शक्ति प्रदर्शन और करतब-कलाबाजी दिखाते रहे। कई नागा साधु लोगों को फूल, बेलपत्र, रुद्राक्ष देते रहे

महाकुंभ की पूर्णाहुति का अभिषेक

नागा संन्यासियों ने बाबा दरबार में हाजिरी लगाकर महाकुंभ की पूणार्हुति की। मंदिर में शंखनाद और डमरुओं की डिम-डिम संग नागाओं ने नृत्य किया। काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि महाशिवरात्रि के अवसर पर सभी पांच अखाड़ों ने महादेव की पूजा-अर्चना की और महाकुंभ की 'पूणार्हुति' के लिए 'अभिषेक' किया।

केंद्रीय कारागार में निकाली गई शिव बरात

महाशिवरात्रि का पर्व बुधवार को केंद्रीय कारागार में धूमधाम से मनाया गया। बंदियों ने शिव बरात निकाली जो जेल के बैरकों से होते हुए ड्रामा हाल में पहुंच भोलेनाथ और पार्वती की शादी के साथ पूर्ण हुई। बंदियों ने आयोजन का जमकर लुत्फ उठाया तो, जेल प्रशासन ने भी महाशिवरात्रि पर्व को यादगार बनान में कोई कमी बाकी नहीं रखी। केंद्रीय कारागार स्थित हनुमान मंदिर में बुधवार सुबह से ही अखंड रामचरित मानस पाठ का आयोजन हुआ।

यजमान रहे उपकारापाल अशोक राय ने विधि विधान से पूजन अर्चन के बाद श्रीरामचरित मानस का संकल्प लिया। कारागार में निरुद्ध बंदियों ने रामचरितमानस का पाठ में सहभागिता की। शिव बरात में भी बंदियों ने भूत-पिचाश का वेश धारण कर बरात की शोभा बढ़ाई। बंदी अरविंद भगवान शिव का रूप धारण किए थे, जबकि आशुतोष मिश्र ने मां पार्वती का रूप शोभायमान किया। बंदी हर-हर, बम-बम का जयकारा लगाते ढोल एवं नगाड़ों की थाप पर थिरकते हुए जेल परिसर में भ्रमणशील रहे। स्वामीनाथ यादव, राहुल, करिया ने बंदियों का मेकअप कर कार्यक्रम को जीवंत बनाने में मदद की।

वीआईपी-प्रोटोकॉल दर्शन पर रही रोक

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वीआईपी और प्रोटोकॉल को निरस्त कर दिया गया है, ताकि हर भक्त को बाबा के दर्शन का समान अवसर मिले। मंगलवार रात 2:15 बजे मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट खोले गए और बाबा को दूल्हे की तरह सजाया गया। 

वहीं काशी के गंगा घाटों पर महाशिवरात्रि के पर्व पर बड़ी संख्या में स्नानार्थियों ने पहुंचकर पुण्य की डुबकी लगाई। सीएम योगी के निर्देश पर वरिष्ठ अफसरों की देखरेख में किए गए इंतजाम न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुखद अनुभव बना रहे हैं, बल्कि काशी की वैश्विक पहचान को भी मजबूत कर रहे हैं। भक्तों का कहना है कि योगी सरकार की सक्रियता से यह महाशिवरात्रि ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बन गई है।

काशी के प्राचीन शिव बारात में दिखी महाकुंभ की झांकी

हर साल महाशिवरात्रि पर निकलने वाली शिव बारात को लेकर इस बार खास उत्साह देखने को मिला। मृत्युंजय महादेवमंदिर से निकलने वाली शिव बारात अत्यंत धूमधाम से निकाली गई। गाजे-बाजे के साथ निकली इस भव्य शोभायात्रा में हजारों भक्त शिव के बाराती बनने के लिए उमड़े। इस बारात में प्रयागराज महाकुंभ पर केंद्रित झांकी आकर्षण का केंद्र रही, वहीं मथुरा-वृंदावन की होली की झलक भी देखने को मिली। खास बात यह रही कि प्रयागराज से मंगाए गए त्रिवेणी के जल का छिड़काव भक्तों पर किया गया, जिससे पूरे मार्ग में एक आध्यात्मिक वातावरण बन गया। परंपरागत रूप से इस बारात में देवी-देवता, किन्नर, जादूगर, सपेरे और भूत-पिशाच बाराती बने। शिवभक्ति के रंग में रंगे इस जुलूस में काशी की मशहूर मसाने की होली, मटका फोड़ होली और बरसाने की लट्ठमार होली के दृश्य भी नजर आए। इस आयोजन में प्रतीक दूल्हे की भूमिका कवि सुदामा प्रसाद तिवारी 'सांड बनारसी' ने निभाई, जबकि व्यापारी नेता हाजी बदरुद्दीन दुल्हन के रूप में रथ पर सवार हुए। शिव बारात मैदागिन से शुरू होकर बुलानाला, चौक, ज्ञानवापी और गोदौलिया होते हुए चितरंजन पार्क पहुंची, जहां शिव-पार्वती विवाह की भव्य लीला संपन्न हुई। इस दिव्य आयोजन को कैद करने के लिए कई विदेशी टीवी चैनलों की टीमें भी मौजूद रहीं, जो इस अद्भुत भारतीय परंपरा को अपने कैमरों में रिकॉर्ड करने में व्यस्त दिखीं।

साधु-संतों और श्रद्धालुओं की अगवानी

काशी में महाशिवरात्रि पर अखाड़ों की शोभायात्रा भी इस बार भव्यता के साथ निकली। जूना अखाड़े के नागा साधु त्रिशूल, तलवार और गदा लेकर हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए निकले। पेशवाई का स्वागत फूलों की वर्षा और माल्यार्पण के साथ किया गया। सीएम योगी के निर्देश पर काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार पर मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा और पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी एस राजलिंगम सहित आला अधिकारियों ने नागा साधुओं का अभिनंदन किया।

जूना, अग्नि, आनंद, आवाहन और निरंजनी की हाजिरी

गंगा स्नान के बाद सुबह चार बजे राजघाट से श्री पंच दशनाम अग्नि अखाड़े अखाड़े के साधु, आदिकेशव घाट से आनंद अखाड़े के नागा, दशाश्वमेध घाट से श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा और सुबह छह बजे हनुमान घाट स्थित श्री शंभू पंचदशनाम जूना अखाड़े से नागा संन्यासी निकले। घाटों से निकले अखाड़े गोदौलिया पर मिले। इसके बाद विश्वनाथ धाम के लिए रवाना हुए। पेशवाई में 12 रथ, घोड़े, डमरू दल के साथ बैंडबाजा भी शामिल रहा। पालकी और भाला निशान को कंधे पर लिए नागाओं का हुजूम 'हर-हर महादेव' का उद्घोष करते हुए सोनारपुरा, मदनपुरा, गोदौलिया और बांसफाटक होते ज्ञानवापी (गेट नंबर चार) पहुंचा। इसी क्रम में श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की पेशवाई प्रात: 6:30 बजे निकली। उधर, गोदौलिया पर एकत्र होकर सभी बाबा के दरबार पहुंचे और बाबा के ज्योतिर्लिंग से देवताओं का स्पर्श कराया और फिर बाबा का अभिषेक-पूजन किया। दर्शन-पूजन कर नागाओं का दल इसी मार्ग से अपने अखाड़े की ओर प्रस्थान किये। निकलता रहा और सड़क पर लाठी-तलवार से शक्ति प्रदर्शन और करतब-कलाबाजी दिखाते वापस अखाड़ों की ओर बढ़ते रहे।