काव्य-रचना

काव्य-रचना

        मेरा बनारस           

एक बनारस मृत्यु है और एक बनारस जीवन;
एक बनारस जेठ दुपहरी,एक बनारस सावन!
एक बनारस गरम जलेबी,एक बनारस लस्सी;
एक बनारस चौक पे बसता,एक बनारस अस्सी!

एक बनारस मेला ठेला, एक बनारस मॉल;
एक बनारस गमछा ओढ़े,एक सिल्क की शॉल!
एक बनारस शहनाई है,एक बनारस कजरी;

एक बनारस ना धिन धिन्ना,एक है चैती-ठुमरी!

एक बनारस जाम में फँसा,एक भाँग पी टल्ली;
एक बनारस सड़क पे घूमे,एक बनारस गल्ली!

एक बनारस घाट पे उतरा और चढ़ गया नैया;
एक बनारस साँड़ से बचा तो पीछे पड़ गयी गैया!

एक बनारस सेल्फी लेता,एक बनारस मस्त;
एक बनारस हँसता- गाता,एक बनारस पस्त

एक बनारस पिज़्ज़ा-नूडल, एक बनारस पान;
एक बनारस चाट कचौड़ी और ठंडाई छान!

एक बनारस महादेव का,एक बनारस गंगा;
एक बनारस ऐसा ऐंठा, बच के लेना पंगा!
एक बनारस बाकी सबका,दिखता है जो बाहर
अपना तो है वही बनारस बसा जो अपने अंदर

विवेक पाण्डेय