श्री रमता पंच दशनाम अखाड़े की पेशवाई: शरीर पर चिता भस्म लगाकर बुलेट से निकले बाबा, डमरू की धुन पर त्रिशूल-भाले से करतब, देखिये तस्वीरें

श्री रमता पंच दशनाम अखाड़े की पेशवाई: शरीर पर चिता भस्म लगाकर बुलेट से निकले बाबा, डमरू की धुन पर त्रिशूल-भाले से करतब, देखिये तस्वीरें

वाराणसी (रणभेरी): महाकुंभ के बाद अखाड़ो की पेशवाई अब काशी में शुरू हो गई है। मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच बेनियाबाग से दशाश्वमेध घाट तक पेशवाई निकली। पेशवाई में शामिल श्री रमता पंच दशनाम आवाहन अखाड़े से जुड़े नागा संतों के स्वागत के लिए मार्ग में काशीवासियों की कतार जुटी रही। लोग हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच नागा संतों पर पुष्प वर्षा करते रहे। पेशवाई में शामिल नागा संत शरीर पर चिता भस्म लगा कर अपनी जटाओं को लहराते हुए बैंडबाजा, डमरू, नगाड़ा आदि वाद्य यंत्रों की धुन पर भाला, तलवार, त्रिशूल, गदा से करतब दिखाते चले रहे थे। नागा साधुओं ने दशाश्वमेध घाट पहुंचकर गंगा में डुबकी लगाई।

इस दौरान महामंडलेश्वर अरुण गिरी महाराज ने कहा काशी में महा शाही स्नान होता है। शिव के बिना हम कुछ नहीं हैं। इसलिए हम यहां शिव के साथ मसान की होली खेलते हैं। यहां सभी लोग अखाड़े की होली एक साथ खेलते हैं। उन्होंने कहा- 9 लाख एकड़ जमीन सनातन बोर्ड को वापस किया जाए।

राधा नंद भारती ने कहा मैं 11 वर्ष की अवस्था में संन्यासी हो गई थी। मैं पूरे देश में गंगा के स्वच्छता के लिए काम कर रही हूं। मैं कहना चाहती हूं कि गंगा में स्नान के बाद अपना एक अवगुण जरूर त्याग करके जाएं। आवाहन पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधूत बाबा उर्फ पर्यावरण बाबा ने कहा सनातन धर्म यह सिखाता है कि हर व्यक्ति को 2 पेड़ लगाने चाहिए, जिसमें एक पेड़ अंतिम संस्कार के लिए और दूसरा पीपल का पेड़ ऑक्सीजन के लिए होना चाहिए। 

महाकुंभ भव्य और दिव्य रहा। पेशवाई के दौरान नागा साधुओं ने भव्य शोभायात्रा निकाल रहे हैं। इस दौरान संतों के स्वागत और उनकी फोटो लेने के लिए लोग सड़क किनारे खड़े रहे। सड़क की दोनों ओर और छतों पर खड़े होकर लोग फूल बरसा रहे हैं। 

आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर रामगिरी महाराज ने बताया- इस बार कुंभ बहुत अच्छा रहा। पहली बार इतनी भीड़ देखी कुंभ में। इस बार 15 प्रतिशत बुजुर्ग हैं और 85 प्रतिशत युवा लोग कुंभ में पहुंचे हैं। धर्म बहुत जाग गया है। भारत के साथ ही विदेश के लोग उमड़े पड़े हैं। इससे धर्म का बहुत प्रचार हुआ है। धर्म आगे बढ़ रहा है।