हनुमत लला के दरबार में झूमे सुर-लय-ताल
वाराणसी(रणभेरी)। श्री संकट मोचन संगीत समारोह की पांचवी दिशा में बुधवार को सुर, लय व ताल का अद्भुत संगम देखने को मिला और इस संगम में श्रोता देर रात तक आनन्द की डुबकी लगाते रहे। पांचवी निशा का शुभारंभ जयपुर घराने के हरीश गंगानी के कथक नृत्य से हुआ। उन्होंने कथक में उठान, आमद, टुकड़ा परन, तिहाईयां प्रस्तुत करके श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इसके साथ उन्होंने हनुमत वंदना की सुंदर प्रस्तुति कथक के माध्यम से की। दूसरी प्रस्तुति पुणे के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक उल्लास कुसलकर के गायन से हुआ उन्होंने राग तिलक में सुर लगाया इसके साथ उन्होंने 14 मात्रा में बंदीश सुनाई। उनके गायन ने जयपुर, आगरा व ग्वालियर घराने की छाप का एहसास कराया । तबले पर सुरेश तलवरकर ने सुंदर संगत की। तीसरी प्रस्तुति किराना घराने के पंडित जयतीर्थ मेवडी के गायन से हुआ उन्होंने राग मालकोश विलंबित एक ताल में जिनके मन राम बिराजे को सुना कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया । इसी राग में विलंबित तीन ताल में मेरे घर आए बालमा सुन कर सोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। चौथी प्रस्तुति में प्रसिद्ध बांसुरी वादक हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे मैहर घराने के ग्रैमी अवार्ड बिजेता राकेश चौरसिया के बांसुरी बादल से हुआ उन्होंने आलाप, जोड़ और झाला में अपने घराने के विशेषताओं को पिरोया। श्रोताओं के फरमाइश पर राज मिश्र पीलू में धूल सुनाई। संजू सहाय ने उनके साथ तबले पर सुंदर संगत की।
अपने चाचा हरी प्रसाद का नाम आगे बढ़ाऊ यही कामना -राकेश चौरसिया
मैहर घराने के प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे राकेश चौरसिया बुधवार को अपने बांसुरी से संकट मोचन संगीत समारोह में सोताओं को खूब आनंदित किये। कार्यक्रम समापन के बाद बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अपने चाचा पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के प्रेरणा से ही वह बांसुरी वादन कर रहे हैं। उनकी यही कामना है की वह अपने चाचा हरी प्रसाद चौरसिया का का नाम, यश कीर्ति को और फैलाएं साथ ही उन्होंने कहा कि हनुमान जी के आशीर्वाद से वह इस संगीत समारोह में अपनी कला का प्रदर्शन किया और उनकी भी यही कामना है कि वह हर वर्ष यहां पर आकर हनुमत चरणों में अपनी भावांजलि अर्पित करें। उन्होंने युवाओं से कहा की वह संगीत मे अपना मन लगाए शास्त्रीय संगीत उनको आनंद और शांति की प्रदान करेगा।
अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत बजाएंगे पखावज
श्री शिव संकट मोचन संगीत समारोह के 101 वर्ष के इतिहास में दूसरी बार महंत परिवार का कोई प्रतिनिधि मंच साझा करेगा। समारोह की छठवीं और अंतिम दिशा में अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र रात 9 बजे में मंच पर उपस्थित होंगे और पखावज ( मृदंग ) से हनुमत चरणों में अपनी भावांजलि अर्पित करेंगे। महंत विश्वम्भर नाथ मिश्र उसने बताया कि संकट मोचन संगीत समारोह में इसके पूर्व उनके बाबा पंडित अमरनाथ मिश्रा ने भी मंच साझा कर बड़े कलाकारों के साथ पखावज बजाए हैं।