जोशो ख़रोश से मुस्लिम बंधु हो रहे नमाजे तरावीह में शामिल

जोशो ख़रोश से मुस्लिम बंधु हो रहे नमाजे तरावीह में शामिल

वाराणसी (रणभेरी): रमजान का पवित्र महीना 2 मार्च से शुरू हो चूका है। रमजान के महीने में खासतौर पर मुस्लिम समाज के लोग रात में एक विशेष नमाज पढ़ते हैं, जिसे तरावीह की नमाज कहा जाता है। रमजान में तरावीह नमाज पढ़ने की परंपरा मुसलमानों ने 1400 साल से चली आ रही है। ये नमाज सिर्फ रमजान के महीने में ही पढ़ी जाती है, रमजान के चांद निकलने से शुरू होती है और ईद का चांद निकलने के साथ ही खत्म हो जाती है. मुस्लिम समाज के लोग तीस दिन जिस तरह से रोजा रखते हैं, वैसे ही हर रोज रात में तरावीह की नमाज पढ़ते हैं।  1 मार्च की रात से ही मस्जिदों में तरावीह की नमाज एशा की नमाज के साथ शुरू हो गई। पैगंबर साहब के वक़्त से पढ़ाई जा रही इस नमाज को शहर की सभी मस्जिदों में पढ़ाया जाता है।

वहीं कई मस्जिदों में यह नमाज ए तरावीह खत्म भी हो रही है। शहर की तीन मस्जिदों कचहरी, लाट मस्जिद सरैया और मखदूम शाह बाबा की मस्जिद में रमजान के चौथे दिन तरावीह की नमाज खत्म हो गई।

..शहर मुफ्ती मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने बताया- रमजान शुरू होते ही चांद रात से ही सभी मस्जिदों में तरावीह की नामाज शुरू हो जाती है। तरावीह की नमाज पैगम्बर साहब के जमाने से पढ़ी जा रही है। सहाबी ए रसूल ने पढ़ाई और अब हर मस्जिदों में हाफिजे कुरआन इसे पढ़ाते हैं। जिसमें कुरआन के पारे पढ़ाए जाते हैं।

शहर मुफ्ती ने बताया कि तरावीह की नाम 20 रकत पढ़ाई जाती है। सही मस्जिदों में इसे पढ़ाया जाता है। कहीं तीन दिन में, कहीं 15 दिन में कहीं 10 दिन में और कहीं महीने भर में तरावीह की नमाज खत्म होती है। तरावीह हर हाल में पढ़नी चाहिए। बिना किसी खास वजह के तरावीह की नमाज नहीं छोड़नी चाहिए। तरावीह के दौरान बैठना, हंसी-मजाक करना, बातचीत करना और सिर्फ सजदा रुकू करना गलत है। कोशिश करें की इमाम जो पढ़ रहा है उसे दोहराएं ताकि उसे भी सवाब हासिल हो।

शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के घर हड़हा सराय में आज इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया है। हाजी फरमान हैदर ने बताया कि उस्ताद के घर की यह रवायत 80 साल से अधिक पुरानी है। इफ्तार के साथ ही साथ मजलिस का भी आयोजन किया जाएगा।