आईआईटी बीएचयू : सूजन रोग उपचार को पॉलिमरिक-नैनोमेडिसिन तैयार
रिसर्चर दिव्या पारिक को मिला जीवाईटीआई अवॉर्ड, चूहे पर किया गया रिसर्च
वाराणसी (रणभेरी): आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने सूजन संबंधी रोगों के उपचार की दिशा में एक बड़ी सफलता हासिल की है। संस्थान के स्कूल ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के ट्रांसलेशनल नैनोमेडिसिन फॉर थेरेप्यूटिक अप्लीकेशन लैब में शोधकर्ताओं ने पॉलिमरिक नैनोमेडिसिन तैयार की है।
इस परियोजना की प्रमुख सहयोगी और पीएच.डी. शोधार्थी दिव्या पारीक को गांधीअन यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अप्रिशिएशन अवॉर्ड 2024 से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार की घोषणा 12 नवंबर 2025 को हुई। शोध का नेतृत्व कर रहे प्रो. प्रदीप पाईक के बताया नैनोमेडिसिन बहुत कम मात्रा में भी उच्च चिकित्सकीय प्रभाव देती है, इम्यून-संवेदनशील है और गंभीर सूजन स्थितियों के खिलाफ मजबूत सुरक्षा प्रदान करती है।
यह रूमेटाइड आर्थराइटिस और सिस्टमिक इंफ्लेमेशन जैसी बीमारियों के साथ-साथ हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, गुर्दा रोग, फैटी लिवर, ऑटोइम्यून और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों में भी लाभकारी सिद्ध हो सकती है। सूजन संबंधी बीमारियाँ विश्वभर में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती हैं और क्रॉनिक इंफ्लेमेशन रूमेटाइड आर्थराइटिस, इंफ्लेमेट्री बाउल डिजीज, सोरायसिस तथा ल्यूपस जैसी गंभीर स्थितियों का मुख्य कारण है। लंबे समय तक अनियंत्रित सूजन अंगों की कार्यक्षमता कम कर सकती है और बहु-अंग विफलता का जोखिम बढ़ा सकती है।
ऐसे में यह नई नैनोमेडिसिन उपचार के लिए एक प्रभावशाली विकल्प के रूप में सामने आई है। आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने इस उपलब्धि पर शोध टीम को बधाई देते हुए कहा कि यह नवाचार संस्थान की समाजोपयोगी ट्रांसलेशनल रिसर्च के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सूजन संबंधी व्यापक रोगों के उपचार में सक्षम यह नैनोमेडिसिन वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।











