वाराणसी नगर निगम में आज भी जिंदा है दस्तूरी

वाराणसी नगर निगम में आज भी जिंदा है दस्तूरी
  • पूरे शहर में सफाईकर्मियों के वेतन से होती है वसूली 
  • महज कोतवाली जोन से प्रतिमाह 7 लाख की अवैध कमाई 
  • सफाई सुपरवाईजरों से करायी जाती है वार्डवार वसूली 

रणभेरी एक्सक्लूसिव  - ''रणभेरी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मुहीम की शुरूआत की है जिसके जरिये हम बेनकाब करेंगे उन चेहरों को जो सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश को भी अपने ठेंगे पर रखते है। भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों को बेनकाब करने की कड़ी में आज हम आपको अवगत करायेंगे नगर निगम के कोतवाली जोन पर तैनात सफाई निरीक्षक महेंद्र यादव के कुकर्मो से जिसके जरिये एक सफाई निरीक्षक ने न केवल करोड़ो की संपत्ति बना लिया बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश को भी अपने जूते की नोख पर रखता है।''

वाराणसी (रणभेरी) : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के मामले में चाहे जितने बड़े-बड़े दावे करते रहे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता दिखाई नहीं दे रहा। हम बात कर रहे है भ्रष्टाचार के मामले में अव्वल दर्जा प्राप्त संस्थान वाराणसी नगर निगम की। नगर निगम वाराणसी के भ्रष्ट अधिकारियों के बेहयायी का कोई मुकाबला नहीं। आपको जानकर हैरत होगी कि वाराणसी नगर निगम में काम करने वाले केवल सफाईकर्मियो के वेतन से ही प्रतिमाह लाखों रुपए की अवैध वसूली की जाती है। जिसे दस्तूरी प्रथा के नाम से जाना जाता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खुद के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भ्रष्टाचार का बोलबाला चरम पर है। बनारस नगर निगम एक ऐसी ही परंपरा का संवाहक बना है जो इस शहर पर एक कलंक है। जो दलितों के शोषण की एक लंबी दास्तान सुनाता है। जी हां वाराणसी में आज भी एक ऐसी कुप्रथा जिंदा है जिसे हम दस्तूरी प्रथा के नाम से जानते हैं। बनारस नगर निगम के स्वच्छता विभाग का वास्तविक चेहरा इतना गंदा है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। स्वच्छता का दावा करने वाली संस्था, स्वच्छ भारत अभियान न का अभिन्न हिस्सा, शहर को स्वच्छ बनाने का दावा करने वाले लोग कहीं न कहीं इस कदर कलंकित है जो आप कभी  सोच नहीं सकते। दरअसल वाराणसी में सफाई कर्मियों के वेतन से अवैध रूप से धन उगाही की वर्षो पुरानी एक कुप्रथा आज भी  जिंदा है। यह मुद्दा है सफाई व्यवस्था में भ्रष्टाचार  का जिसके तहत प्रथम शिकार है समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े सफाईकर्मी। 

रणभेरी  की विशेष पड़ताल में यह रिपोर्ट सामने आयी कि वाराणसी नगर निगम में सफाई का कार्य करने वाले सफाईकर्मियों के वेतन से प्रत्येक माह अवैध रूप से वसूली की जाती है इस वसूली को दस्तूरी प्रथा कहा जाता है। सूत्र बताते हैं कि जब छठा वेतन आयोग लागू नहीं था उस वक्त सफाईकर्मियो के वेतन से हर माह दस्तूरी की रकम के रूप में नगर निगम के अधिकारी प्रत्येक कर्मचारी से 1000 से 1500 तक वसूली करते थे और जबसे वेतन बढ़ा तब से प्रत्येक सफाई कर्मी से प्रतिमाह 3000 से 4500 तक की वसूली नगर स्वास्थ्य अधिकारी के नाम पर की जाने लगी। इस वसूली के बदले में इन सफाईकर्मियों को यह सुविधा दी गई कि ये आधे वक्त क्षेत्र में काम करके अपने घर को लौट जाते हैं लेकिन इनकी हाजिरी पूरे वक्त की लगाई जाती है, असल में इनके वेतन का जो एक हिस्सा निगम प्रशासन द्वारा वसूला जाता है उसके एवज में ही इनके विरुद्ध किसी प्रकार की कोई विभागीय कार्यवाही नहीं की जाती। नगर निगम वाराणसी में वर्तमान समय में लगभग  4 हजार सफाई कर्मी काम कर रहे हैं। शहर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है जहां से सफाई कर्मियों के वेतन से अवैध रूप से दस्तूरी की वसूली न की जाती हो। हम यहां आपको वाराणसी नगर निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत कोतवाली जोन के वार्डों से की जाने वाली अवैध वसूली का विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं। हमारे विश्वस्त सूत्रों से हमें यह प्रमाण उपलब्ध कराया गया है कि वाराणसी नगर निगम के कोतवाली और आदमपुर जोन के सेनेटरी इंस्पेक्टर महेंद्र यादव द्वारा लगभग 7 लाख  रुपए की दस्तूरी प्रति माह वसूली जाती है। बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग में दस्तूरी की परंपरा नौकरशाहों एवं तथाकथित जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत  से नगर निगम के स्थापना काल से ही लागू है जो आज भी  बदस्तूर जारी है यह केवल क्षेत्रीय सुपरवाइजर, सेनेटरी इंस्पेक्टर और स्वास्थ्य अधिकारी के बस की बात नहीं है कि हर माह वसूली जाने वाली दस्तूरी की रकम से अकेले पचा सके। वाराणसी नगर निगम में दस्तूरी के रकम के बंटवारे में नीचे से ऊपर तक सबका हिस्सा लगता है जिसमें कुछ तथाकथित भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों से लेकर नौकरशाहों तक का हिस्सा तय होता है। निर्धारित की गई रकम प्रत्येक माह ईमानदारी के साथ सम्बंधित तक पहुंचा दी जाती है। 

यह तो स्पष्ट है कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश का नगर निगम के अधिकारियों की नजर में कोई मायने नहीं है। यह बात साफ है कि मुख्यमंत्री चाहे जितने बड़े-बड़े दावे कर ले नगर निगम के नौकरशाह मुख्यमंत्री के आदेश को अपने जूते की नोक पर रखते है। आश्चर्यजनक है कि पहली बार में ही सांसद के रूप में चुने जाने से पहले नरेंद्र मोदी अपने मंच से कहा करते थे कि ह्यह्णना मैं खाऊंगा और ना ही खाने दूंगाह्णह्ण। मुख्यमंत्री भी  बार-बार भ्रष्टाचार में जीरो टालरेंस की बात करते है, हाल में ही उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार करने वालों को जेल में डलवा दूंगा। सवाल इस बात का है कि 8 वर्षों से देश के प्रधानमंत्री जिस शहर के सांसद है उस शहर में जब भ्रष्टाचार चरम पर है तो अन्य शहरों का क्या हाल होगा। क्या प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के दावे झूठे हैं या फिर नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों की चमड़ी इतनी मोटी है इनके ऊपर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के बातों का कोई असर नहीं होता। भ्रष्टाचार की आगोश में आकंठ डूबे नगर निगम के नौकरशाहों एवं भ्रष्टाचारियों के संरक्षणदाता जनप्रतिनिधियों पर सरकार के आदेशों का कोई असर नहीं पड़ता। 

वाराणसी नगर निगम में महापौर के पद पर जहां भाजपा  की श्रीमती मृदुला जायसवाल हैं वहीं नगर के तीन विधायक भी भाजपा के है जोकि मिनी सदन के सम्मानित सदस्य भी  हैं। खास बात यह है कि वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी  नगर निगम के सदस्य हैं जिन्हें नगर निगम कार्यकारिणी के चुनाव में मतदान करने का भी  अधिकार प्राप्त है। इसके बावजूद वाराणसी नगर निगम में भ्रष्टाचार का बोलबाला शासन प्रशासन पर बड़े सवाल खड़े करता है।