चाय की अड़ियों पर भी मोदी से ज्यादा के चर्चे

चाय की अड़ियों पर भी मोदी से ज्यादा  के चर्चे

वाराणसी (रणभेरी)। देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी बिगत दो महीना से देश की राजनीतिक राजधानी के रूप में भी तब्दील हो गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने के कारण  काशी पर पूरे विश्व की नजरें टिकी हुई थी। देश-विदेश का कोई ऐसा चैनल, अखबार ऐसा नहीं था जो बनारस में न आया हो, शहर के गली-गली, चट्टी चौराहा, चाय की आडियो पर सुबह से लेकर शाम तक चुनावी चर्चा ही होती रहती थी और चुनाव जीतने के बाद भी जब परिणाम सबके सामने आ गया है। उसके बाद भी आज काशी के गलीययों, चट्टी-चौराहों हो या चाय की अड़ी सब पर  अभी भी चुनावी चचार्एं ही हो रही है। हां यह बात और है कि अब ब चर्चा सिर्फ और सिर्फ बनारस को लेकर ही हो रहा है। असि पप्पू की प्रसिद्ध चाय की अड़ी पर चाय की चुस्किया ले रहे अड़ीबाजों का सबसे बड़ा आश्चर्य प्रधानमंत्री मोदी की जीत नहीं थी उनका सबसे बड़ा सवाल इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय का चार लाख से ऊपर वोट कैसे पाए यह था। बहुत लोगों को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था की विपक्ष इतना मजबूती से बनारस में चुनाव लड़ेगा। चाय पी रहे पुराने समाजवादी कुंवर सुरेश सिंह ने कहा कि यह चुनाव तो इस समय ही समझ में आ गया था जब डिंपल यादव और प्रियंका का रोड शो लंका पर हुआ था और उसे रोड शो में उमड़ने वाली भीड़ को देखकर ये आभास हो गया था कि बार कुछ नया होगा। वही लोलार्क द्विवेदी ने कहा कि इस बार मोदी जी जब अपना नामांकन करने आए थे तो उनके रोड शो में भी वह भीड़ नहीं देखी थी जो  2014 और 2019 में  थी। यह दोनों चुनावी रोड शो बनारस के मिजाज को बताने के लिए काफी था और इस बार का चुनाव तो एक तरफ से आम जनता बनाम केंद्र सरकार बन गया था। वही विक्रमादित्य पांडे ने कहा कि जगन्नाथ कॉरिडोर का मामला भी सरकार को ले डूबा जिस तरह  से काशी में कॉरिडोर संस्कृति पनप रही है वह आने वाले  समय में काशी की पहचान को खत्म कर देगी।