... तो क्या चेतावनी बोर्ड से पूरी हो गई जिम्मेदारी !
वाराणसी (रणभेरी)। तुलसी घाट पर स्नान के दौरान डूबने का सिलसिला नहीं थमा रहा है। हालाकिं बीते साल जब तुलसी घाट पर डूबने वालों की संख्या बढ़ी तो प्रशासन ने घाट पर एक चेतावनी बोर्ड लगवाकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली। भीषण गर्मी में गंगा में स्नान करने वालो की संख्या में वृद्धि हुई है। स्थानीय लोगों के अलावा दूसरे शहर से बनारस घूमने आने वाले लोग भी गंगा स्नान के लिए जाते है। स्थानीय लोग तो घाट से परिचित हैं लेकिन बाहरी लोग जानकारी के अभाव में स्नान के दौरान गहरे पानी में चले जाते है। समय रहते किसी ने बचा लिया तो ठीक अन्यथा पानी में डूबकर उनकी मौत हो जाती है। प्रशासन यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेती है कि घाट पर चेतावनी की बोर्ड लगा है की गहरे पानी में न जाए। लोगों का कहना है कि जल पुलिस या स्थानीय पुलिस कभी घाट पर गश्त नहीं करती, न लोगों को जागरूक करती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या सिर्फ चेतावनी बोर्ड लगा देने से प्रशासन की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है ! अभी दो दिन पहले उसी घाट पर डूबने से एक युवक की मौत हो गई थी। गुरुवार को फिर स्नान करने के दौरान गहरे पानी में जाने से महाराष्ट्र के रहने वाले सागर दिनकर की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के रहने वाले सागर दिनकर तुलसी घाट पर गंगा स्नान करने पहुंचे थे। स्नान करने के दौरान हुए गहरे पानी में चले गए और डूबने से मौत हो गई। उनके मित्रों ने बताया कि हम 5 लोग काशी बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन करने के लिए आये थे। उससे पहले गंगा स्नान के लिए पहुंचे थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि जल पुलिस द्वारा गंगा में स्नान करते समय चेतावनी दी गई थी बैरिकेडिंग के आगे न जाए लेकिन ये लोग आगे चले गये थे। तभी अचानक दो दोस्त डूबने लगे जिसमें एक गहरे पानी के तरफ चला गया और डूब गया। मृतक के दोस्त धनंजय ने बताया कि सागर महाराष्ट्र में पीडब्ल्यूडी कर्मचारी था। उसके परिवार में माता पिता और बहन हैं। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उसपर ही थी। उसके पिता दिनकर तुकाराम दिव्यांग है और बहन अभी पढ़ाई कर रही हैं। वही परिवार वालों को भी सूचना दे दिया गया हैं। एक साल में करीब 40 से 50 लोग डूबते है: शव को निकालने वाले राकेश साहनी ने बताया कि हम लोग नाव चलाते हैं और जलपुलिस की सूचना पर नि:शुल्क गंगा से शव भी निकालते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक सप्ताह में हमने 5 से 6 शव निकाला और अगर साल भर का आंकड़ा निकल जाए तो 40 से 50 लोगों का शव हमने निकाला है। उन्होंने बताया यहां लोग जब गंगा स्नान करने आते हैं तो उन्हें चेतावनी दी जाती है कि वह गहरे पानी में न जाए लेकिन लोग नहीं मानते हैं और गहरे पानी में चले जाते हैं जिससे वह डूब जाते हैं।