कांग्रेस के टिकट बंटवारे के बाद टकराव

कांग्रेस के टिकट बंटवारे के बाद टकराव

कई जगहों पर फूटा विरोध का स्वर, नए चेहरों पर भरोसे ने बढ़ाई मुश्किल

वाराणसी (रणभेरी): उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ का नारा देने वाली कांग्रेस में वाराणसी के विधानसभा सीटों पर टिकट बंटवारे के बाद टकराव छिड़ गया। पूर्वांचल की राजनीति के केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेस का सशक्त चेहरा रेखा शर्मा बगावत के मूड में हैं। प्रत्याशी न घोषित किए जाने से आहत रेखा शर्मा का दो टूक कहना है कि वह अकेले कांग्रेस नहीं छोड़ेंगी, बल्कि उनके साथ अलग-अलग जिलों के हजारों कांग्रेसी भी पाला बदलेंगे। इस तरह से प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही फिसड्डी प्यादों और नए चेहरों पर पार्टी नेतृत्व के भरोसे ने पुराने कांग्रेसियों का कलह सतह पर लाकर चुनावी समय में नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। संगठन में एकजुटता का संदेश देने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा के अपने के ही सुर बागी हो गए हैं। वाराणसी के रामनगर की नगर पालिका की अध्यक्ष रेखा शर्मा को उनके जुझारू तेवर के लिए जाना जाता है। 2017 में कांग्रेस ने उन्हें नगर पालिका अध्यक्ष का चेहरा नहीं घोषित किया तो वह अपने दम पर लड़ीं और लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कीं। इसके बाद कांग्रेस में उन्हें फिर शामिल किया गया।

बकौल रेखा शर्मा उन्हें मंगलवार की रात और बुधवार की सुबह तक कहा गया कि आप कैंट विधानसभा से अपनी तैयारी जारी रखें। दोपहर में प्रत्याशियों की घोषणा हुई तो उनकी जगह डॉ. राजेश मिश्रा का नाम था। रेखा शर्मा का कहना है कि आखिर इस तरह का दोहरा रवैया क्यों...? वहीं, डॉ. राजेश मिश्रा को कैंट से कांग्रेसियों का एक और भी खेमा प्रत्याशी नहीं चाहता है और इसके लिए उसने सड़क पर उतर कर आवाज बुलंद की। कांग्रेस के पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा 2009 का लोकसभा चुनाव हारे। 2014 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया। 2017 में डॉ. मिश्रा विधानसभा का चुनाव लड़े तो उन्हें फिर हार मिली। इस बार चर्चा थी कि डॉ. मिश्रा शहर दक्षिणी विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे लेकिन जब प्रत्याशियों की घोषणा हुई तो उनका नाम कैंट विधानसभा के प्रत्याशी के तौर पर था। फिर क्या था, कांग्रेस के अलग-अलग खेमे बगावत पर उतर आए। 

शहर दक्षिणी के प्रत्याशी का विरोध सड़क पर

शहर दक्षिणी से कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के रिसर्च डिपार्टमेंट के चेयरमैन गौरव कपूर की पत्नी मुदिता कपूर को प्रत्याशी घोषित किया है। इसे लेकर कांग्रेसी मुखर हैं। उनका कहना है कि वर्षों से पार्टी के लिए सड़क पर संघर्ष करने वालों की उपेक्षा कर एक नए चेहरे पर नेतृत्व ने भरोसा क्यों जताया...? अगर प्रत्याशी नहीं बदला गया तो वह अपनी उपेक्षा बर्दाश्त नहीं करेंगे और किसी अन्य दल का दामन थामने को विवश होंगे। इसके अलावा शहर उत्तरी विधानसभा की प्रत्याशी गुलराना तबस्सुम को लेकर भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं। कुछेक कांग्रेसियों का तो यह भी कहना है कि वह निर्दल ही सही लेकिन पर्चा जरूर दाखिल करेंगे।