शहर में डेंगू के लिए बने हॉट स्पॉट पर आयल बॉल का होगा प्रयोग, सीडीओ की पहल
वाराणसी (रणभेरी सं.)। जिले में मच्छरों के लार्वा के रोकथाम और घनत्व को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब आयल बॉल तकनीक का सहारा लेगा। सीडीओ हिमांशु नागपाल की पहल पर मच्छरों के लार्वा की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए इजात की गई इस नई तकनीक के प्रायोगिक अध्ययन के सफल होने के बाद अब इसको डेंगू नियंत्रण के लिए बनाए गए शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के हॉट स्पॉट में उपयोग किया जाएगा। आयल बॉल को पानी से भरे उन खाली प्लाटों और गड्ढों में डाला जाएगा, जहां मच्छरों के लार्वा पनपने की बहुत अधिक संभावनाएं रहती हैं। खास बात यह है कि इस पहल में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का योगदान है। जिला मलेरिया अधिकारी शरत चंद पाण्डेय का कहना है कि कि पिछले माह सीर गोवर्धन क्षेत्र के काशीपुरम कॉलोनी के जल जमाव वाले खाली प्लाटों, नालियों और गड्ढों में 15 से 20 दिन का तकनीक के प्रयोग का अध्ययन किया गया, जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।
आयल बॉल पिंडरा ब्लॉक के पतिराजपुर गाँव की स्वयं सहायता की महिलाएं अपने रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए तैयार कर रही हैं। एक आयल बॉल लगभग 50 मिली इंजन आॅयल अवशोषित करता है। इस तरह एक बीघा (करीब 50 मी लंबे और 50 मी चौड़े) वाले पानी से भरे हुए खाली प्लॉट के लिए लगभग आठ आयल बॉल चाहिए होंगे। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी के निर्देशन, नगर आयुक्त अक्षत वर्मा के नेतृत्व में शहर और जिला पंचायती राज अधिकारी आदर्श कुमार पटेल के नेतृत्व में ग्रामीण के चिन्हित हॉट स्पॉट क्षेत्रों में आॅयल बॉल को पानी से भरे खाली प्लाटों और गड्ढों में डाला जाएगा।
क्या है आयल बॉल विधि
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि लकड़ी के बुरादे को कपड़े की पोटली में बांधकर छोटे-छोटे बॉल बनाए गए। इन्हें निष्प्रयोज्य इंजन आॅयल में डुबोया जाता है। इसके बाद बॉल को ठहरे हुए पानी में डाला जाता है, जिससे आॅयल की परत धीरे-धीरे पानी की सतह पर फैल जाती है, इस कारण मच्छरों के लार्वा को आक्सीजन की उचित मात्रा नहीं मिल पाती और लार्वा नष्ट हो जाता है।
ऐसे हुआ प्रायोगिक अध्ययन
एक खाली प्लाट जिसमें कई महीनों से पानी भरा था, जिसमें लार्वा पाया गया। लार्वा घनत्व 10 था। आयल बॉल का प्रयोग किया गया। 24 घंटे के उपरांत आयल बॉल के चारों ओर आयल की परत पानी की सतह पर लगभग तीन मीटर की परिधि में फेल गई, जिससे लार्वा की संख्या में गिरावट देखी गई। लार्वा घनत्व दो पाया गया। साथ हीएक बड़ी नाली, जिसमें काफी संख्या में लार्वा थे। वहाँ बॉल का प्रयोग किया गया। 24 घंटे के बाद अध्ययन में देखा गया कि आयल बॉल 20 से 30 सेमी की परिधि में लार्वा नष्ट हुए।