आंखि एक्को नाहीं, कजरौटा नौ ठे

आंखि एक्को नाहीं, कजरौटा नौ ठे

अड़ी का प्रात: कालीन सत्र 
समय-सुबह के 8 बजे

*जे अड़ी पर चंप के लड़ी उहे रण में भारी पड़ी
वाराणसी (रणभेरी )। अस्सी अड़ी पर चाय की तीसरी खेप घान पर चढ़ी है। जैसे-जैसे केतली का पानी खदक रहा है। उसके साथ ही अड़ी पर जमे सत्ता और विपक्ष के हिमायती अड़ीबाजों का मिजाज बहक रहा है। आज की चर्चा का केंद्रीय विषय है चुनाव में बंटने वाली रेवड़ियां। भाजपा समर्थक प्रोफेसर आरपी सिंह बुजुर्गों के आयुष्मान योजना की खबर। हांक रहे है। दूसरी ओर कांग्रेस समर्थक रमाशंकर तिवारी खटाखट-ठकाठक बरसाने वाली कांग्रेसी तिजोरी में झिर्रियों से झांक रहे। प्रो आरपी सिंह की माने तो भाजपा की आयुष्मान योजना से 70 से ऊपर का कोई भी बुड्ढा बीमारी से नहीं मरेगा। तिवारी जी की दलील है कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद कोई भी हिंदुस्तानी पैसे के लिये हाय-हाय किच-किच नहीं करेगा। अंदर लोगों को पता ही नहीं कि दुकान के अंदर झौंझार का शोर जैसे जैसे बढ़ रहा है, उसी रफ्तार से अड़ी की महंतई कर रहे पप्पू पुत्र मनोज के मिजाज का पारा बढ़ रहा है।
 इस शोर के बीच महंत मनोज दाये पर बायापैर चढ़ाते है और जोर से ललकार लगाते है ह्य सब बकवास हव, करनी-धरनी कुछों नाहीं सबही थोथा गाल बजावत हव जनता के मूरख समझ के लग्घी से पानी पियावत हव। यही के कहल जाला आंखि एको एक्कों नाही, कजरौटा नौ ठे।
इसी बीच अड़ी पर विपक्ष के नेता सूर्यकुमार तिवारी नया शिगूफा छोड़ते है बतकही को प्रियंका और डिंपल के 25 मई को होने वाले रोड शो की ओर मोड़ते है। कहते है शनीचर के जब निकली प्रियंका दीदी और डिंपल भौजी क कनवाई त पूरे बनारस के आँख फटल के फटल रह जाई। पूरा शहर रोड शो क इंतजार करत हव। चारों ओर इंडिया गठबंधन क बयार चलत हव। अबतक अपने को बहुत ही सईयम के सीमा में बांधे हुए समीर माथुर के सब्र का बांध टूट जाता है। सारा गुस्सा बेचारे तिवारी जी पर फूट जाता है। कहते है, के निकाली मरदवा रोड शो, प्रदेश अध्यक्ष जी के छोड़ के आज तीन दशक बाद भी कांग्रेस में सतीश चौबे, राघवेंद्र चौबे, राजेश्वर पटेल, बैजनाथ सिंह, अनिल श्रीवास्तव और प्रो. सतीश राय के छोड़के छठवीं मूड़ी नाहीं देखात हव। दु-चार ठे जे अचल-बचल रहल ओहूं राजेश मिश्रा के संगे चलल जात हव। अब तो विपक्ष का खेमा आस्तीन चढ़ा लेता है। सत्ता पक्ष को कस के जवाब देता है। घबरा मत लोगन, एही आठ-दस ठे मूढ़ी कल के बाद हाहाकार मचाई। हम ना कहत हई पूरा जहान कहत हव सपा और कांग्रेस क ई गठबंधन एदवा बनारस में मोदी जी के गल्ली-गल्ली घुमाई। उधर कोने में बैठे जननेता राजेश आजाद दाहिनी मुट्ठी हवा में उछालकर ललकार लगाते है, विषय को गंभीर बनाने का जतन करते नजर आते है। कहते है, असली मुद्दा पर त कोई बाते ना करत हव। बनारस हो, गाजीपुर हो, बलिया हो या देवरिया हो पुरबिया विकास के बयार तबे राह पर आई जब  पूर्वांचल के अलग राज्य बनावल जाई। उनका कहना है यह सवाल आज छोटा ही सही कल जरुर रंग दिखाएगा। कहते हैं अभिषेक सिंह मायावती बहन जी भी कह चुकी है की पूर्वांचल का विकास तभी होगा जब पूरब का नौजवान मुरेठा बांधकर पूर्वांचल राज्य के लिए कसकर ललकार लगाएगा। समाजवादी पार्टी के अलमबरदार गुड्डू भइया चाय की गिलास खड़काते हुए महंगाई का सवाल उठाते है और इसके पहले उनके बयान में कोई व्यवधान आये महंगी पर ही लंबा बोलते चले जाते है। उन्हें टोकते है पीयूष मिश्रा कहते है कि महंगाई क रोना कितने साल चली भइया। यही महंगी क रोना रोअत रोअत मर गईलन लाखन बब्बा मईया। सत्तर के दशक में जब मनोज कुमार हाय महंगाई-हाय महंगाई गाना बनौले रहलन तब त भाजपा का सरकार नाही रहल, लेकिन इतना तय हव की ओ समय भी कोने कतरे में महंगईया रहल जरुर।

*आप प्रबुद्ध होने का पटका गले में लटकाकर राजनीति के पंडित होने का दावा करते रहिए, टीवी डिबेट के आधार पर चुनावी रण के सटीक विश्लेषण का दम भरते रहिए। फक्कड़ मस्त बनारसी तो अपने मिजाज के मुताबिक हालात का आकलन करता है। वह शहर की गलियों से लेकर सड़क के कोने कतरों तक पसरी चाय की हर वक़्त गुलजार अड़ियों की नब्ज टटोलकर ही चुनावी हरारत की खबर रखता है। किसी ढांप-तोप की परवाह किए बगैर अड़ियों पर हर वक्त जारी मौखिक घमासान ही उसकी घनघोर जानकारियों का सोता (स्रोत) है। दरअसल, बनारस में चाय की ये अड़ियां सिर्फ चायखाना नहीं बल्कि शहर का करेजा है। पूरे दुनिया जहान से लेकर नगर के टोले-मोहल्लों तक की धमनियां और शिराएं यहां से सीधी जुड़ती है। रोजमर्रा की जिंदगी हो या कोई खास इवेंट, चेतना की धारा यहीं से दाएं-बाएं मुड़ती है। तभी तो शहर की विभिन्न अड़ियों के घनघोर अड़ीबाजी सीना ठोककर दाबा करता है की - जे अड़ी पर चंप के लड़ी, उहे रण में भारी पड़ी। तो आइए रणभेरी के संग और समझिए इन अड़ियों व इनके महंतों से की आखिर किस तरफ जा रही है आज की सियासी जंग। किसके झंडे का गरने वाला है डंडा और किसके झंडे का उड़ने वाला है रंग!  - कुमार अजय