जइसन गुरु वइसन चेला मंगलस गुड़ त दिहलन ढेला

जइसन गुरु वइसन चेला मंगलस गुड़ त दिहलन ढेला

यादव चाय की अड़ी (बैंक आफ बड़ौदा, लंका)
*जे अड़ी पर चंप के लड़ी उहे रण में भारी पड़ी
प्रस्तुति-राहुल सावर्ण
वाराणसी (रणभेरी)। जेठ की गर्मी शुरू होते ही बनारस में राजनीति सरगर्मी भी तेजी से बढ़ रही है। बढ़े भी क्यों न ! 1 जून को वोटिंग को लेकर बनारस में राजनेताओं के हलचल के बीच काशी के जनताओं में भी लोकसभा चुनाव को लेकर जीत-हार की चचार्ओं का बाजार गर्म हो रहा है। इसी बीच बनारस के जनताओं का मिजाज जानने हमारी रणभेरी की टीम शुक्रवार की शाम लंका बैंक आॅफ बड़ौदा के पास यादव चाय की अड़ी पर पहुंची। वहां चाय के चुस्कियों के बीच कुछ लोग आपस में हंसी-मजाक कर रहे थे तभी वहां सुंदरम त्रिपाठी पहुंचे। कुछ देर बाद भाजपा समर्थक सुंदरम त्रिपाठी ने अबकी बार 400 पार, एक बार फिर मोदी सरकार बोलकर चुनावी तान छेड़ दी। फिर क्या था, फिर लोग आपसी हंसी-मजाक छोड़ चुनावी बहस में मशगूल हो गए। सुंदरम के बातों को सुन वहां मौजूद राजेश सोनकर का पारा चढ़ गया। दरअसल राजेश सपा के सक्रिय कार्यकर्ता है। राजेश ने कहा की पहिले 272 ले आवा फिर 400 पार करिहाअ। जनता महंगाई और बेरोजगारी से तंग आ चुकल हुअन, ऐ बार बदलाव होई। मोदी जी सब पर बोलत हुअन लेकिन महंगाई, बेरोजगारी, किसानन, महिला उत्पीड़न पर काहे नाही बोलत हुअन। तभी वहां मौजूद पप्पू तिवारी ने कहा की कुछ भी हो जाए आएगी भाजपा ही। मोदी के टक्कर में कोई नहीं है। मोदी एक मजबूत प्रधानमंत्री है। मोदी ने विश्व स्तर पर भारत को लोहा मनवाया है। बनारस को बनारस बना दिया। देश दुनिया से लोग अब बनारस घूमने आते हैं, बनारस में रोजगार बढ़ा है। 
   पप्पू तिवारी की बात सुन वहां मौजूद बाबू सोनकर आग बबूला हो गए। बोले ढ़ेर गुणगान मत करा, हमहुं मोदी के वोट देने रहली। का रोजगार मिलल बनारस के! सब जगह त गुजरात के लोग आपन पैर जमाइले हुअन। महंगाई बेरोजगारी चरम पर हौअ। पहिले बोललन की स्वनिधि योजना के तहत रोजगार मिली। हमहू 10 हजार लेके रेरी लगाईली की कमाइब-खाईब। कुछ दिना तक ठीक रहल, ओकरे बाद उनकरे प्रशासन लाठी मार के भागवत हुअन। हम रोड पर कमाए वाला आदमी कहां जाई। बाबू को समझाते हुए जितेंद्र बोले की घबराई नहीं सब सही हो जाएगा। बनारस का विकास होगा तो आपका भी विकास होगा। पहले के बनारस और आज के बनारस में अंतर देख लीजिए। जितेंद्र के बातों को समर्थन करते हुए पारस पटेल बोले की सही बात है। 10 साल में बनारस में बहुत कुछ बदला है। हालांकि महंगाई बेरोजगारी एक समस्या जरूर है लेकिन मोदी के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। अब तक किसी प्रधानमंत्री ने बनारस के बारे में इतना नहीं सोचा और किया जितना मोदी कर दिए। यहां तो विधायक बनने के बाद भी कोई अपने क्षेत्र में नहीं जाता लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी बनारस को नहीं भूले। अपने चाय की अड़ी पर चुनावी ज्ञान को सुनकर गुड्डुवा माथा पर पगड़ी लपेटे चाय बनाते हुए मंद मंद मुस्कुरा रहा था। तभी ब्रिजेशबा अपने दोनों हाथों में चाय की पुरबा में 50-50 ग्राम लस्सी लेकर समूह में बैठे सतेंद्र सिंह और डॉ. सुनील सिंह को थमाते हुए कहा की ला... तु लोग लस्सी पीके दिमाग ठंढा करा। ई लोगन के गर्मी में दिमाग खराब हो गईल हौअ। तभी डॉ. सुनील सिंह ब्रिजेशबा को समझाते हुए बोलें की जाने दो। चुनावी मौसम है। देश के मतदाताओं को राजनीति की चर्चा करनी चाहिए। तुम जाकर लस्सी बनाओ और 1 तारीख को समय निकालकर वोट देने चले जाना। मताधिकार सबका अधिकार है, इसका प्रयोग हर मतदाताओं को करनी चाहिए। डॉ. सुनील सिंह द्वरा ब्रिजेशबा को समझाते देख सतेंद्र सिंह उनसे बोल पड़े। सर किसको ज्ञान की बात समझा रहे। ई सरबा बैल है। चुनावी बहसबाजी के शोरगुल को सुन बगल में पकौड़ा की दुकान लगाने वाले सूरज केशरी भी दुकान छोड़कर आया और बोला की कोई ऐसा नहीं है जो भाजपा को सत्ता से अगले 10 साल तक बेदखल कर सके। मोदी जी ने जितना विकास का काम किया उतना किसी प्रधानमंत्री ने आज तक नहीं किया। मोदी जी जीतना काम 10 साल में किए उतना काम अगर कांग्रेस 70 साल में की होती तो आज हमारा देश विकाशशील नहीं बल्कि विकसित देश होता। तभी वहां खांटी भाजपाई अनूप पांडे भी अपनी फटफटिया से चाय पीने पहुंच गए।
 शोरगुल सुन अनूप पांडेय भला कहां चुप रहने वाले थे। पहले हाथ में चाय का पुरबा थामे फिर कुछ देर चुनावी बहस सुनने के बाद तपाक से बोल पड़े अबकी बार 400 नहीं 500 पार, तीसरी बार भी मोदी सरकार.... कोई नहीं है टक्कर में क्यों पड़े हो चक्कर में। मोदी जी का रोड शो आॅफ जनसभा में भीड़ यब बता रहा है की अबकी बार 500 पार। बहुत लंबे समय से सबकी बात खामोशी से सुन रहे अनुज त्रिपाठी ने जब अनूप पांडे का यह उद्घोष सुना तो अनुज त्रिपाठी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। दरअसल जैसे अनूप पांडे खांटी भाजपाई है ठीक वैसे ही अनुज त्रिपाठी खांटी कांग्रेसी। यह चुनावी दौर में ही नहीं बल्कि अनूप पांडेय और अनुज त्रिपाठी जब भी मिलते है तो बहसा-बहसी तय है। आज तो अनूप पांडेय ने अबकी बार 500 पार बोलकर आग में घी डालने जैसा काम कर दिए। अनुज त्रिपाठी ने सूरज केशरी और अनूप त्रिपाठी को आड़े हाथ लेते हुए जुबानी हमला कर दिया। उनका तेवर देखकर ऐसा लग रहा था की भले भाजपा 400 पार करे या न करे लेकिन उनका ब्लड प्रेशर 400 पार जरूर हो जाएगा। बोले तुमलोग अंधभक्त हो, तुम लोग एक ही थाली के चट्टे बट्टे हो। तुमलोग मोदी मोदी ही करोगे जीवन भर। आजादी से लेकर आज तक कांग्रेस ने जो देश को दिया वह कोई नहीं दे पाएगा। सारा योजना कांग्रेस का भुनाकर कहते हो विकास हुआ है। कहीं किसान हक की लड़ाई लड़ रहा, कहीं महिलाएं न्याय मांग रही, कहीं युवा रोजगार मांग रहा लेकिन मोदी जी को इसकी कोई फिकर ही नहीं है। अनुज बोले की रोड शो की बात मत करो। भाड़े पर खरीद कर लाए भीड़ से वोट नहीं बढ़ता। प्रियंका-डिंपल का रोड शो देखे की नहीं की आन्हर बन गए थे। प्रियंका-डिंपल के रोड से में जो भीड़ थी वह लोकल थी। जो भीड़ में थे वो वोट भी करेंगे। प्रियंका-डिंपल के रैली के बाद भाजपा का हाथ-पैर फूलने लगा है। तभी तो भाजपा का पूरा कुनबा बनारस आकर हरमुनिया बजा रहे। अनुज रुकने वाले कहां थे। सूरज की तरफ भृकुटि आंखों से देखते हुए बोले की तुम भाजपा-भाजपा करते हो, भाजपा ने क्या दिया तुमको ? तुम मांगे रोजगार तो मिला पकौड़ी तलने का दिव्य ज्ञान, इसीलिए पकौड़ा बेच रहे हो। मांगे विकास तो मिला 5 किलो का राशन। तुमलोग भक्त नहीं अंधभक्त हो, जाकर थाली पिटो। इसी पर उन्होंने एक कहावत भी कह डाली- जइसन गुरु वइसन चेला, मंगलस गुड़ त दिहलन ढेला।

*आप प्रबुद्ध होने का पटका गले में लटकाकर राजनीति के पंडित होने का दावा करते रहिए, टीवी डिबेट के आधार पर चुनावी रण के सटीक विश्लेषण का दम भरते रहिए। फक्कड़ मस्त बनारसी तो अपने मिजाज के मुताबिक हालात का आकलन करता है। वह शहर की गलियों से लेकर सड़क के कोने कतरों तक पसरी चाय की हर वक़्त गुलजार अड़ियों की नब्ज टटोलकर ही चुनावी हरारत की खबर रखता है। किसी ढांप-तोप की परवाह किए बगैर अड़ियों पर हर वक्त जारी मौखिक घमासान ही उसकी घनघोर जानकारियों का सोता (स्रोत) है। दरअसल, बनारस में चाय की ये अड़ियां सिर्फ चायखाना नहीं बल्कि शहर का करेजा है। पूरे दुनिया जहान से लेकर नगर के टोले-मोहल्लों तक की धमनियां और शिराएं यहां से सीधी जुड़ती है। रोजमर्रा की जिंदगी हो या कोई खास इवेंट, चेतना की धारा यहीं से दाएं-बाएं मुड़ती है। तभी तो शहर की विभिन्न अड़ियों के घनघोर अड़ीबाजी सीना ठोककर दाबा करता है की - जे अड़ी पर चंप के लड़ी, उहे रण में भारी पड़ी। तो आइए रणभेरी के संग और समझिए इन अड़ियों व इनके महंतों से की आखिर किस तरफ जा रही है आज की सियासी जंग। किसके झंडे का गरने वाला है डंडा और किसके झंडे का उड़ने वाला है रंग!  - कुमार अजय