टी-20 जइसन हो गइल हौ 2024 के चुनाव
*जे अड़ी पर चंप के लड़ी उहे रण में भारी पड़ी
प्रस्तुति-रामयश मिश्र
वाराणसी (रणभेरी)। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है राजनीतिक दलों के नेताओं की सभा और रैलियां भी बढ़ती जा रही है। वहीं काशी की जनता भी सभी की स्थिति को अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं। चट्टी-चौराहा एवं चाय की अड़ियों पर चुनाव की चर्चा अब खुलकर होने लगी है। एक तरफ राजनीतिक दल अपने-अपने बयानों से जनता को रिझाने का काम कर रहे है तो वही जनता भी इन सभी की बातों को दरकिनार करते हुए अपने हिसाब से वोट देने का मन बना रही है। इसी क्रम में हमारे रणभेरी की टीम पहुंची शिवाला के प्रसिद्ध मनाऊ यादव की चाय की अड़ी पर। सुबह-सुबह चुनाव को लेकर चचार्एं शुरू थी। तपती गर्मी के बीच हाथों में गरम-गरम चाय लेकर लोग चुनावी चर्चा में मशगुल दिखाई दे रहे थे। चाय के चुस्की के ही बीच हो रहे चर्चा में लोगों का ही कहना था कि चुनाव भी टी- 20 मैच हो गयल हव, कभी येकर त, कभी वोकर पलड़ा भारी हो जात हव। चार दिन पहले डिंपल प्रियंका के रोड शो में गजबे के भीड़ जुटल। ई समझ में ना आएल की भीड़वा कहां से आयल और कहां गएल। जैसे लगल की तुलसी घाट के नागनथिया मेला हो गयल रहल। इस रोड शो के बाद अजय राय सब पर भारी हो गए हैं। वहीं बगल में चाय पी रहे एक सज्जन ने कहा कि इंडिया गठबंधन के रोड शो में लोग प्रियंका डिंपल के देखने आए थे। वे सब मिला भाजपा का रहलन यहां से चुनाव तो मोदी ही जितिहन। यह बात सुनकर चाय की चुस्की गले में उतारकर एक अड़ीबाज बोले- ए पारी का चुनाव हर चुनाव से अलग है। इस बार लड़ाई बहुत कांटे की है और जीत हार का अंतर बहुत कम वोट से होगा। इंडिया गठबंधन भी मजबूती से चुनाव लड़ रहा है। मोदी जी खाली हवा हवाई बात कर रहे हैं। युवाओं को रोजगार नहीं है, किसानों को खाद, बीज, बिजली नहीं मिल रही है। महंगाई से लोग त्रस्त है। सुबह-सुबह अड़ी पर चल रही चर्चा में एक बात तो समझ में आ गई की 2024 का चुनाव बनारस में एक नया इतिहास लिखने जा रहा है। भाजपा के लोग भले अति आत्मविश्वास में प्रचार कर रहे हैं कि बनारस का चुनाव एक तरफा है लेकिन अभी तक जो माहौल है उसको देखकर लग रहा है कि यह चुनाव एक तरफा नहीं बहुत ही कांटे का होने वाला है और कोई भी चुनाव जीत-हार सकता है। मनारू यादव की चाय की अड़ी पर बैठे व्यास जी अयोध्या वाले ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा कि इस बार का चुनाव भगवान राम के नाम पर हो रहा है और अयोध्या में जिसने भगवान राम का मंदिर बनाने में सहयोग किया है। काशी की जनता उसी को ही वोट देगी क्योंकि भगवान शिव के आराध्य भगवान राम है इसलिए काशी की जनता भगवान शंकर के भक्त है। वह भगवान राम को लाने वाले को वोट देगी। इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रमोद यादव ने कहा कि भगवान राम को लाने वाला आज तक कोई पैदा ही नहीं हुआ है। भगवान राम तो सबको लेकर आए हैं उनका ना तो कोई आदि है ना कोई अंत है। सनातन धर्म हजारों वर्ष से चला रहा है और आगे भी इसी तरह चलता रहेगा। आज रोजगार, खेती-किसानी, शिक्षा की बात नहीं हो रही है बस धर्म के नाम पर रोटी सेंका जा रहा है। देश के युवा बेरोजगार होकर घूम रहे हैं। किसानों के खेत में पानी नहीं पहुंच रहा है। लोगों को सही चिकित्सा नहीं मिल रही है और हम बात कर रहे हैं मंदिरों की। उनकी बात का समर्थन करते हुए राकेश यादव ने कहा कि देश से मूल मुद्दे को दबा दिया गया है। आज ना तो महंगाई की बात हो रही है ना तो बेरोजगारी की। ना किसानों के खाद की बात हो रही है। बात सिर्फ और सिर्फ वही हो रही है जिससे जनता का कोई फायदा नहीं होने वाला है।इसी बीच अड़ी पर चाय पी रहे गोपाल जी ने सभी पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि सुबह-सुबह राजनीति को छोड़कर और किसी और बात पर चर्चा नहीं हो सकती है। देश में और भी समस्याएं हैं राजनीति को छोड़कर। वही लोगों को सुबह-सुबह गरमा गरम चाय पिला रहे आशीष यादव चाय वाले ने कहा कि आज काशी में एक अलग ही बयार बह रही है। गंगा घाटों पर जो कुछ हो रहा है वह देखकर मन दुखी हो जाता है। युवाओं के पास रोजगार नहीं है वह पढ़ लिखकर चाय और समोसा बेच रहा है। मैं खुद एसएमएस से वीवीए किया हूं। उसके साथ स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई करने के बाद जब रोजगार नहीं मिला तो अपने पूर्वजों की इस चाय की दुकान को चल रहा हूं। आशीष यादव ने बताया कि 1978 में मेरे पिता स्वर्गीय मनाऊ यादव ने इस चाय की दुकान की नीवं रखी और तभी से यह दुकान चली आ रही है। आशीष ने बताया कि आज बनारस पर्यटकों पर निर्भर हो गया है। उसे रोजगार के नाम पर सिर्फ और सिर्फ यात्रियों का भरोसा ही है। अगर यात्री बनारस में ना आए तो बनारस में रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो जाएगा।
*आप प्रबुद्ध होने का पटका गले में लटकाकर राजनीति के पंडित होने का दावा करते रहिए, टीवी डिबेट के आधार पर चुनावी रण के सटीक विश्लेषण का दम भरते रहिए। फक्कड़ मस्त बनारसी तो अपने मिजाज के मुताबिक हालात का आकलन करता है। वह शहर की गलियों से लेकर सड़क के कोने कतरों तक पसरी चाय की हर वक़्त गुलजार अड़ियों की नब्ज टटोलकर ही चुनावी हरारत की खबर रखता है। किसी ढांप-तोप की परवाह किए बगैर अड़ियों पर हर वक्त जारी मौखिक घमासान ही उसकी घनघोर जानकारियों का सोता (स्रोत) है। दरअसल, बनारस में चाय की ये अड़ियां सिर्फ चायखाना नहीं बल्कि शहर का करेजा है। पूरे दुनिया जहान से लेकर नगर के टोले-मोहल्लों तक की धमनियां और शिराएं यहां से सीधी जुड़ती है। रोजमर्रा की जिंदगी हो या कोई खास इवेंट, चेतना की धारा यहीं से दाएं-बाएं मुड़ती है। तभी तो शहर की विभिन्न अड़ियों के घनघोर अड़ीबाजी सीना ठोककर दाबा करता है की - जे अड़ी पर चंप के लड़ी, उहे रण में भारी पड़ी। तो आइए रणभेरी के संग और समझिए इन अड़ियों व इनके महंतों से की आखिर किस तरफ जा रही है आज की सियासी जंग। किसके झंडे का गरने वाला है डंडा और किसके झंडे का उड़ने वाला है रंग! - कुमार अजय