कुछ ठीक-ठाक ना चलत हव कुछ गड़बड़ त हउए...

कुछ ठीक-ठाक ना चलत हव कुछ गड़बड़ त हउए...
कुछ ठीक-ठाक ना चलत हव कुछ गड़बड़ त हउए...

*जे अड़ी पर चंप के लड़ी उहे रण में भारी पड़ी
- रामयश मिश्र
वाराणसी (रणभेरी)।
जैसे-जैसे गर्मी का पारा चढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे बनारस की चुनावी फिजा का रंग भी चटक होता जा रहा है। वाराणसी में सातवें चरण में मतदान होना है जिसके लिए अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। आखिरी चरण में होने वाले वाराणसी संसदीय सीट के मतदान से पहले जहां एक तरफ देश के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का रूख वाराणसी की तरफ होना लगभग तय है वहीं दूसरी तरफ इस मस्त-मौला शहर के चट्टी-चौराहों से लेकर अड़ीबाजों की अड़ियां भी इन दिनों कुछ ज्यादा ही जुलजार दिख रही हैं। वह चाय की अड़ीयो पर खुलकर पार्टियो और उनके जीत हार की चर्चा होने लगी है।  बहरहाल चुनावी फिजा के चटक होते रंगों के बीच आपके पसंदीदा अखबार रणभेरी ने चाय वाले प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के कुछ प्रमुख चाय वालों का ओपिनियन पोल अपने पाठकों तक पहुचाने की एक मुहिम शुरू की है। जिसके जरिये हम आप तक न केवल चाय वाले के मन की बात पहुचाएंगे बल्कि चाय की अड़ी पर चटर-पटर करने वाले तमाम आम से लेकर खास तक एवं राजनैतिक दलों के समर्थकों का मिजाज बताएँगे। इसी कड़ी में आज रणभेरी की टीम अस्सी घाट मार्ग स्थित चर्चित चाय की अड़ी वीरेंद्र चाय वाले के यहाँ पहुची। अस्सी की इस चर्चित चाय की अड़ी पर रणभेरी की टीम से चाय विक्रेता अर्पित यादव की मुलाकात हुई। अर्पित से जब हमारे प्रतिनिधि ने चुनावी चर्चा छेड़ा तो बिना कुछ सोचे-समझे ही अर्पित विरेंद ने एक ही झटके में कहा 'कुछ ठीक-ठाक ना चलत हव, कुछ त गड़बड़ हउये' अर्पित की आवाज सुनते ही चाय की दूकान पर मौजूद अड़ी बाजों का रूख अर्पित की ओर होते देर न लगा इसके बाद अर्पित ने अपनी बात कहानी शुरू कर दी। इस छोटी से चुनावी चर्चा में युवा चाय विक्रेता अर्पित यादव ने पूरी गंभीरता के साथ कहा कि यह ठीक है कि मोदी जी के आने के बाद काशी का विकास हुआ है लेकिन वहीं दूसरी तरफ काशी की धार्मिक संस्कृतिक परम्परा भी नष्ट हुई है। आज कॉरिडोर के नाम पर बनारस की धार्मिक रीति रिवाज और उसके परंपरा को नष्ट किया जा रहा है। हम चाहते हैं काशी का विकास हो लेकिन उसकी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए ही विकास होना चाहिए। अर्पित ने संदेह व्यक्त करते हुये आगे कहा कि इस बार का चुनाव बहुत अलग है। फिर खाटी बनारसी अंदाल में कहा कि एदा बारी कुछ तो गड़बड़ हव...काहे की मोदी जी फिर 21 तारीख के आवत हऊअन। अऊर ओनके साथे नामांकन में जो भीड़ भयल रहल ओम्मे बाहरी लोग ज्यादा रहलन और इंहा क लोग बहुत कम रहलन। आगे अर्पित यादव ने कहा कि हर बार भौकाल नाहि चली कभी तो कभी धरातल पर आवे के पड़ी, ए बार ऊंट पहाड़ के नीचे आई। इस चर्चा के बीच में ही अड़ी पर मौजूद आम व खास लोग भी अपनी राय रखने से जरा भी पीछे ना रहें। उनकी राय भी हम यहाँ सचित्र प्रकाशित कर रहें हैं। 
अंत में अर्पित ने गिरे हुये मन से यह भी कहा कि हम बहुत चुनाव देखे हैं लेकिन जब से मोदी जी आए हैं चुनाव का रंग ही बदल गया है। अब बात-बात पर प्रत्याशियों के समर्थकों के बीच गाली-गलौज मार पीट शुरू हो जा रहा है। पहले पार्टी का विरोध होता था लेकिन दिल हमेशा एक रहता था लोग चर्चा के बाद सब बातें भूलकर एक दूसरे के पास बैठकर हंसी मजाक करते थे लेकिन अब तो चुनाव को लेकर दुश्मनी तक हो जा रही है।


*आप प्रबुद्ध होने का पटका गले में लटकाकर राजनीति के पंडित होने का दावा करते रहिए, टीवी डिबेट के आधार पर चुनावी रण के सटीक विश्लेषण का दम भरते रहिए। फक्कड़ मस्त बनारसी तो अपने मिजाज के मुताबिक हालात का आकलन करता है। वह शहर की गलियों से लेकर सड़क के कोने कतरों तक पसरी चाय की हर वक़्त गुलजार अड़ियों की नब्ज टटोलकर ही चुनावी हरारत की खबर रखता है। किसी ढांप-तोप की परवाह किए बगैर अड़ियों पर हर वक्त जारी मौखिक घमासान ही उसकी घनघोर जानकारियों का सोता (स्रोत) है। दरअसल, बनारस में चाय की ये अड़ियां सिर्फ चायखाना नहीं बल्कि शहर का करेजा है। पूरे दुनिया जहान से लेकर नगर के टोले-मोहल्लों तक की धमनियां और शिराएं यहां से सीधी जुड़ती है। रोजमर्रा की जिंदगी हो या कोई खास इवेंट, चेतना की धारा यहीं से दाएं-बाएं मुड़ती है। तभी तो शहर की विभिन्न अड़ियों के घनघोर अड़ीबाजी सीना ठोककर दाबा करता है की - जे अड़ी पर चंप के लड़ी, उहे रण में भारी पड़ी। तो आइए रणभेरी के संग और समझिए इन अड़ियों व इनके महंतों से की आखिर किस तरफ जा रही है आज की सियासी जंग। किसके झंडे का गरने वाला है डंडा और किसके झंडे का उड़ने वाला है रंग! -कुमार अजय 

इस बार भाजपा का 2019 वाला हवा नहीं है बनारस में बेरोजगारी अपने चरम पर है। आज का युवा कब तक चाय और पकौड़ी तलेगा। उसे रोजगार चाहिए लेकिन मोदी जी उसे रोजगार नहीं दिए अब वह खाली हाथ में मोबाइल लेकर घूम रहा है। -संतोष त्रिपाठी
काशी में युवाओं को बहुत रोजगार मिला है। मोदी जी ने काशी का खूब विकास किया है और बनारस के विकास पर खूब रुपया बहाया है। एयरपोर्ट से लेकर ट्रामा सेंटर यहां तक की अब जल्द ही बनारस में रोपवे भी चालू होगा। -जगरनाथ ओझा
हमी से शिकायत है तो जमानत विरोधियों की क्यों जप्त होती है।" यह व्यंग करते हुये भाजपा समर्थक अवनीश पांडे कहते हैं अगर मोदी जी और बीजेपी इतना खराब है तो आखिर हम लोगों को जीत कैसे मिलती है। इस बार भी मोदी जी भारी बहुमत से जीतेंगे और तीसरी बार केंद्र में भाजपा की सरकार बनेगी।  -अवनीश पांडे
आप लोग सबसे पहले तो मतदान करिए काशी में मतदान का प्रतिशत बहुत ही कम है। शिक्षा की इस नगरी में हमेशा कम मतदान होता है। तो सबसे पहले आप और अपने घर के परिवार के लोगों को मतदान कराइये और उसके बाद खूब कुछ चर्चा करिए। -रामा पांडे