पहिले ओट दे के आवा, ओकरे बाद चाय भिड़ावा

पहिले ओट दे के आवा, ओकरे बाद चाय भिड़ावा

पल्लू पाल की अड़ी (सोनारपुरा)
*जे अड़ी पर चंप के लड़ी उहे रण में भारी पड़ी
प्रस्तुति- रामयश मिश्र
वाराणसी (रणभेरी)। लोकसभा चुनाव अब पूरे चरम पर है। शनिवार को सातवें चरण का मतदान जनता करेगी। लेकिन बनारस की चाय की अड़ीयो पर जीत हार का फैसला लगभग हो गया है। कौन जीतेगा, कौन हारेगा, यहां के अड़ीबाज पहले ही तय कर चुके हैं। इनके बहस  को देखकर बड़े-बड़े चुनाव विश्लेषक भी दंग रह जाएंगे।  सोनारपुर स्थित मशहूर पल्लू की चाय की अड़ी पर शुक्रवार सुबह से ही चाय पीने वालों की भीड़ लगी थी। सबसे खास बातें थी आज चाय पीने वालों में महिलाएं ज्यादा थी। वहीं चाय पी रहे अरुण सिंह ने कहा कि अब तो कल वोट पड़ी हमार। प्रत्याशी तो प्रचंड रूप से जीतत हव, ओकरे आगे सब कर हवा खराब हव। हमार प्रत्याशी सब पर भारी हुअन। इस पर बगल में ही चाय पी रहे बीवी गिरी ने कहा कि देखा मजाक मत करा अगले बार तो तू  वोट देवे गईले ना रहला, आगे जाके आपन मतदाता सूची में नाम देखा और वोट देकर आवा  त चाय पिया। इस पर अरुण सिंह ने कहा कि हम मतदाता सूची में अपन और अपने परिवार को नाम चढ़ावा लेले हई और इस बार चाप के अपने प्रत्याशी का बटन दबाईब और वही जीती। इस पर बीवी गिरी ने कहा कि देखिए इस बार तो हमारे प्रत्याशी का टेंपो बहुत हाई हव और इस बार तो वह डंके की चोट पर जीती चाहे जो हो जाए। हमार प्रत्याशी एक बार जरूर जीती। इन दोनों लोगों की चर्चा सुन रहे गोड़ीया मठ के गोविंद दास व श्री कृष्ण दास जी बोले इतनी गर्मी में मतदान करना भी बड़ी कठिन है। एक तरफ तो मौसम विभाग अलर्ट जारी किया है कर किया है कि नौतपा में आप लोग सुबह 10 बजे से 3 बजे तक घर से मत निकले और दूसरी तरफ मतदान करने का भी समय यही है। आखिर मतदान कैसे होगा चुनाव आयोग को समय में बदलाव करना चाहिए। गोविंद दास ने कहा कि चुनाव आयोग को सुबह 6 बजे से मतदान शुरू कर देना चाहिए और रात को 8 बजे तक मतदान हो तभी लोग मतदान करने के लिए घर से निकलेंगे। इस पर चाय पी रहे श्री कृष्ण दास ने कहा कि  ऐसा कुछ नहीं है जेके वोट डाले के होई ऊ वोट डलब करी, वोट देवल बहुत जरूरी है। देश के नागरिक है आप अपना वोट जरूर डालिए। वही सब की बात बड़ी गौर से सुन रहे पल्लू यादव ने तपाक से कहा कि बनारस में जिस तरह से प्रचंड गर्मी है उसको देखते हुए ऐसा लग रहा है कि 50 फीसद से अधिक वोट इस बार नहीं पड़ेगा। पल्लू यादव ने बताया कि हमारी यह चाय की अड़ी  लगभग 60 साल पुरानी है। पढ़ाई लिखाई करने के बाद हमने यह चाय की बड़ी लगनी शुरू कर दी और आज हमारे इस चाय की घड़ी पर तमाम नेता समाजसेवी और व्यवसायी आते हैं और घंटों बैठकर देश के सामाजिक राजनीतिक विषयों पर चर्चा करते लेकिन सबसे बड़ी बात है कि आप काशी का मिजाज धीरे-धीरे बदल रहा है। अब काशी की रंगत बदल रही है। अब काशी में व्यायाम साला, दूध दही पशुपालन कम होता जा रहा है। उसकी जगह आज पिज्जा, बर्गर मसाला दोसा जगह बनाती जा रही है। कचौड़ी जलेबी का स्वाद भी धीरे-धीरे कम हो रहा है।  पल्लू यादव ने बताया कि आज काशी बदल रही है और यही स्थिति रही तो कुछ सालों में यह पूरी तरह से बदल जाएगी।

*आप प्रबुद्ध होने का पटका गले में लटकाकर राजनीति के पंडित होने का दावा करते रहिए, टीवी डिबेट के आधार पर चुनावी रण के सटीक विश्लेषण का दम भरते रहिए। फक्कड़ मस्त बनारसी तो अपने मिजाज के मुताबिक हालात का आकलन करता है। वह शहर की गलियों से लेकर सड़क के कोने कतरों तक पसरी चाय की हर वक़्त गुलजार अड़ियों की नब्ज टटोलकर ही चुनावी हरारत की खबर रखता है। किसी ढांप-तोप की परवाह किए बगैर अड़ियों पर हर वक्त जारी मौखिक घमासान ही उसकी घनघोर जानकारियों का सोता (स्रोत) है। दरअसल, बनारस में चाय की ये अड़ियां सिर्फ चायखाना नहीं बल्कि शहर का करेजा है। पूरे दुनिया जहान से लेकर नगर के टोले-मोहल्लों तक की धमनियां और शिराएं यहां से सीधी जुड़ती है। रोजमर्रा की जिंदगी हो या कोई खास इवेंट, चेतना की धारा यहीं से दाएं-बाएं मुड़ती है। तभी तो शहर की विभिन्न अड़ियों के घनघोर अड़ीबाजी सीना ठोककर दाबा करता है की - जे अड़ी पर चंप के लड़ी, उहे रण में भारी पड़ी। तो आइए रणभेरी के संग और समझिए इन अड़ियों व इनके महंतों से की आखिर किस तरफ जा रही है आज की सियासी जंग। किसके झंडे का गरने वाला है डंडा और किसके झंडे का उड़ने वाला है रंग!  - कुमार अजय