सबही लड़त हौ, जितत हौ सबही
हजारी चाय की अड़ी (अस्सी चौराहा)
*जे अड़ी पर चंप के लड़ी उहे रण में भारी पड़ी
प्रस्तुति- रामयश मिश्र
वाराणसी (रणभेरी)। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे बनारस का सियासी पारा गरम होता जा रहा है। तपती गर्मी और पारा 47 डिग्री के पार होने के बावजूद बनारस मे चाय की अड़ी पर चुनावी चर्चा में लोग मशगुल दिखाई दिए। जब रणभेरी की टीम दुबारा अस्सी के एक अन्य, मशहूर हजारी के चाय की अड़ी पर पहुंची तो वहां सुबह से ही अड़ीबाज सरकार बना रहे थे और बिगाड़ रहे थे। कई लोग तो मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण भी कर दिए। देश के आजादी के पहले की प्रसिद्ध हजारी की चाय की अड़ी पर चुनावी चर्चा करते हुए लोगों का यही कहना था कि इस बार का चुनाव सबसे अलग हटकर है। इस बार जनता कुछ नया करने वाली है। बनारस में भले मोदी जी जीत जाएं लेकिन यूपी में तो जनता सभी दलों के प्रत्याशियों को जीताकर संसद में भेज रही है। लोगों का यही कहना है कि राम मंदिर और धारा 370 हटाना जितना जरूरी था उससे अधिक जरूरी देश के युवाओं को रोजगार, गरीबों को मकान, किसानों को बिजली पानी और देश की आम जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य देने की जरूरत है । बाबा विश्वनाथ और संकट मोचन हनुमान जी का दर्शन करने के बाद चाय की अड़ी पर चाय पीते हुए रविंद्र पाठक ने कहा कि इस बार मोदी 400 पार जाएंगे। सरकार तो भाजपा की ही बनेगी पूरे देश में उनके टक्कर का कोई नहीं है। वह सनातनी है और हिंदुओं के भलाई के लिए काम कर रहे हैं। इस पर बगल में ही चाय पी रहे मुसे ने आरोप लगाते हुए कहा की हां यह सरकार हिंदुओं की है तभी तो सबसे ज्यादा गौमांस का निर्यात इन्हीं के सरकार में हुआ है और गौ मांस बेचने वाले भाजपा को करोड़ो का चन्दा देकर चुनाव लड़वा रहे हैं ताकि फिर उनकी ही सरकार आए और हम वह मांस बेच सके। उनकी इस बात का विरोध करते हुए आचार्य ओमप्रकाश तिवारी ने कहा कि यह झूठ है भाजपा कभी मांस निर्यातकों के साथ नहीं है। वह मांस बेचने वालों को विरोध करती है और हमेशा करती रहेगी। इस बीच बगल में ही चाय पी रहे असि क्षेत्र निवासी रमेश ओझा ने कहा कि भाजपा सरकार सबका साथ सबका विकास के तहत काम कर रही है और इन 10 सालों में पूरे देश में बहुत विकास हुआ है और काशी में तो विकास की गंगा बह रही है। गली से लेकर सड़क तक हर जगह विकास ही विकास दिखाई दे रहा है मोदी और योगी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार यूपी का चौतरफा विकास कर रही है। उनकी इस बात का समर्थन करते हुए ओंकारनाथ पांडे ने कहा कि इस बार के चुनाव में मोदी जी प्रचंड बहुमत से तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाएंगे और उसके कार्यकाल में काशी का ऐतिहासिक विकास होगा। यहां पर कॉरिडोर का निर्माण कर पर्यटकों के लिए सुगम संसाधन की व्यवस्था की जाएगी ताकि बाहर से आने वाले लोग काशी में रह सके और दर्शन पूजन कर आनंद की अनुभुति करें। वही अरुण सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार मे काशी का चौमुखी विकास हुआ है। सड़के ठीक हुई है, रोपवे का निर्माण चल रहा है। मां गंगा स्वच्छ एवं निर्मल हुई है जिसके कारण काशी में पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है और काशी वासियों को खूब रोजगार भी मिल रहा है। वही सबको गरमा गरम चाय पिला रहे स्वर्गीय हजारी प्रसाद के प्रपौत्र विनोद कुशवाहा ने कहा कि हमारे दादा बुढ़ू प्रसाद 1940 में असि चौराहे पर चाय की दुकान खोली उसके बाद उनके पिता हजारी प्रसाद इस दुकान पर बैठने लगे उसके बाद अब मैं इस दुकान को संचालित कर रहा हूं। देश के आजादी के पहले की इस चाय की अड़ी पर देश के तमाम बड़े-बड़े राजनेता, समाजसेवी, शिक्षाविद आते-जाते हैं। इस बार के चुनाव में बनारस में एक अलग तरह का सियासी हवा चल रहा है लोग अपने मन की बात करने से डर रहे हैं साथ ही चुनावी चर्चा में भी खुलकर किसको वोट देंगे यह भी नहीं बता पा रहे हैं। कहीं ना कहीं उनके मन में एक भय व्याप्त है और वह अपनी बातों को सार्वजनिक नहीं कर रहे लेकिन अंदर ही अंदर एक आक्रोश लोगों में व्याप्त है और उनका यह आक्रोश 1 जून को मतदान के दिन दिखाई देगा। बनारस में विकास तो बहुत हुआ है लेकिन बनारस ने इस विकास के नाम पर बहुत कुछ अपना खो भी दिया है। आज बनारस से बनारस का बनारसी पान खत्म हो रहा है । काशी का मिजाज धीरे-धीरे मर रहा है। अब यहां लोग बस किसी तरह खा पी कर जी रहे हैं यही बहुत बड़ी बात है।
*आप प्रबुद्ध होने का पटका गले में लटकाकर राजनीति के पंडित होने का दावा करते रहिए, टीवी डिबेट के आधार पर चुनावी रण के सटीक विश्लेषण का दम भरते रहिए। फक्कड़ मस्त बनारसी तो अपने मिजाज के मुताबिक हालात का आकलन करता है। वह शहर की गलियों से लेकर सड़क के कोने कतरों तक पसरी चाय की हर वक़्त गुलजार अड़ियों की नब्ज टटोलकर ही चुनावी हरारत की खबर रखता है। किसी ढांप-तोप की परवाह किए बगैर अड़ियों पर हर वक्त जारी मौखिक घमासान ही उसकी घनघोर जानकारियों का सोता (स्रोत) है। दरअसल, बनारस में चाय की ये अड़ियां सिर्फ चायखाना नहीं बल्कि शहर का करेजा है। पूरे दुनिया जहान से लेकर नगर के टोले-मोहल्लों तक की धमनियां और शिराएं यहां से सीधी जुड़ती है। रोजमर्रा की जिंदगी हो या कोई खास इवेंट, चेतना की धारा यहीं से दाएं-बाएं मुड़ती है। तभी तो शहर की विभिन्न अड़ियों के घनघोर अड़ीबाजी सीना ठोककर दाबा करता है की - जे अड़ी पर चंप के लड़ी, उहे रण में भारी पड़ी। तो आइए रणभेरी के संग और समझिए इन अड़ियों व इनके महंतों से की आखिर किस तरफ जा रही है आज की सियासी जंग। किसके झंडे का गरने वाला है डंडा और किसके झंडे का उड़ने वाला है रंग! - कुमार अजय