महाकुंभ में हादसे के बाद प्रयागराज से काशी पहुंचने में यात्रियों को लग गए 12 घंटे, 18 घंटे तक की देरी से चलीं ट्रेनें
वाराणसी (रणभेरी): महाकुंभ में हादसे के बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पूर्वांचल के 9 जिलों की सीमाएं बुधवार को 12 घंटे (सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक) तक सील रहीं। सोनभद्र में यूपी के अलावा चार राज्यों उड़ीसा, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से आने वाले श्रद्धालुओं के 2500 वाहन रोके गए। साथ ही जिले की बाहरी सीमाओं पर ही बाहरी गाड़ियों को रोक दिया जा रहा है। नियमित और स्पेशल ट्रेनें 16 से 17 घंटे की देरी से चल रही हैं। ऐसे में प्रयागराज से वाराणसी आने में यात्रियों को 10 से 12 घंटे का समय लग जा रहा है।
यात्रियों ने बताया कि प्रयागराज जंक्शन, झूंसी और प्रयागराज रामबाग स्टेशनों पर इतनी भीड़ है कि यात्री ट्रेनों में सवार नहीं हो पा रहे हैं। प्रयागराज से जौनपुर रूट पर ट्रेनें आ रही हैं तो वहां उतारकर बस के जरिये यात्रियों को भेजा जा रहा है। भूख, प्यास से यात्री तड़प जा रहे हैं।
गुजरात के कच्छ से पहुंचे वी. कुमार ने बताया कि वह बुधवार की रात से ही प्रयागराज में रहे और वाराणसी आने के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन ट्रेन में सवार नहीं हो सके। एक स्पेशल ट्रेन में किसी तरह बैठे तो वह 12 घंटे बाद कैंट स्टेशन पर अपराह्न 3 बजे पहुंची। यात्री शिव प्रकाश रेड्डी ने एक्स पर शिकायत दर्ज कराई कि वाराणसी के प्लेटफॉर्मों पर ट्रेनों का एनाउसमेंट नहीं किया जा रहा है। स्क्रीन और एनटीईएस एप पर लोकेशन भी गायब है।
यात्री अनिल तिवारी ने बताया कि ट्रेनों की लेटलतीफी ने रूला मारा है। गोरखपुर भीटी के रहने वाले रविंद्र श्रीवास्तव अपने परिवार और 22 लोगों के साथ बुधवार की सुबह 10 बजे से गोरखपुर जाने के लिए बैठे थे।
बेटी सोनल ने बताया कि प्रशासन की मदद से रात एक बजे किसी तरह प्रयागराज से स्पेशल ट्रेन में बैठाया गया। ट्रेन को वाया जौनपुर वाराणसी के लिए चलाया गया। बृहस्पतिवार की रात 10 बजे तक ट्रेन जौनपुर में खड़ी हो गई। हंगामा के बाद यात्रियों को बस के जरिये जौनपुर से वाराणसी भेजा गया।