किसानों को जैविक खेती के लिए किया जागरूक
वाराणसी(रणभेरी)। भारत सरकार की अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत संचालित आईआईवीआर गतिविधियों के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान महिला किसानों को जैविक विधि से सब्जी की खेती के लिए प्रेरित किया। संस्थान के निदेशक डॉ तुषार कांति बेहेरा के मार्गदर्शन में ग्राम बगहीं, धर्मबरपुर, नरायनपुर आदि गांवों की 50 से अधिक महिला किसानों को जैविक तौर तरीकों को अपनाते हुए सब्जी के उत्पादन के लिए प्रेरित किया गया। डॉ बेहेरा के अनुसार सब्जी उत्पादन महिला किसानों के लिए न केवल आर्थिक उन्नयन का एक माध्यम है, बल्कि इससे परिवार की पोषण संबंधी आवश्यकताओं की भी पूर्ति की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है और संस्थान की ओर से हमारा प्रयास यही है कि खेतों पर काम करने वाली महिलाएं परिवार की आर्थिक समृद्धि के साथ ही पोषण सुरक्षा हेतु जैविक रूप से सब्जी उत्पादकता के महत्व को समझें। इस अवसर पर प्रधान वैज्ञानिक डॉ डीपी सिंह ने संस्थान में विकसित किए जा रहे नाइट्रोजन के लिए एनपीके अनुकल्प एवं फोस्फेट के लिए बीसी6 कंसोर्टियम जीवाणुओं से बीज, जड़ एवं भूमि शोधन के विषय में बताया। वैज्ञानिक अनुराग चौरसिया ने विकसित किए जा रहे एक्टीनोमाईसीटीज के जैविक गुणों पर चर्चा की। डॉ इंदीवर प्रसाद एवं डॉ सुरेश रेड्डी ने महिला किसानों के बीच वितरित किए जा रहे बीजों की गुणवत्ता, उनको लगाए जाने के तरीकों पर चर्चा की। वैज्ञानिक डॉ सुजन मजुमदार ने सब्जी फसलों के रोगों एवं कीटों की रोकथाम हेतु अंधाधुंध प्रयोग किए जा रहे कीटनाशकों के प्रति लोगों को सचेत किया। महिला किसानों के समूह का नेतृत्व कर रहे एग्रिमित्र फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के प्रबंधक डॉ गोविंद ने आईआईवीआर के किसानों के प्रति किए जा रहे कार्यों से जुड़कर किसानों को वैज्ञानिकों के प्रयासों का समुचित लाभ किसानों के बीच पहुंचाने की बात कही। कार्यक्रम में महिला किसानों को सूरन, हल्दी, भिंडी, लौकी, नेनुआ एवं तोरई के बीजों का वितरण किया गया। इसके उत्पादन से किसानों को लाभ मिलेगा। कार्यक्रम को सफल बनाने में यशपाल, लवकुश आदि की सक्रिय भागीदारी रही।