काव्य रचना
मेरे महाकाल
मैं न जानू काल को,
मैं जानू बस महाकाल।
रिद्धि सिद्धि
मुझे न भाए
प्रेम,स्नेह और भक्ति
मुझे में वो सदा जगाये।
हंसते खेलते
मुझे अपने गले लगाएं।
जान शिशु अपना
मुझे रिझाए।
अलख निरंजन बन
मुझे नाद सुनाएं।
चार वेदों का भी
मुझे ज्ञान करवाएं।
योग विद्या मुझे सिखाएं,
महाविद्याओं का भी
अभ्यास करवाएं।
पूर्ण परब्रह्म
मुझको ज्ञान करावे,
तभी जग में महाकाल
जगतगुरु कहलवाये।
राजीव डोगरा