BHU के अस्पताल में 12वीं पास कर रहे थे इलाज, 4 MBBS और 3 इंटर्न पर FIR, PMO तक पहुंचा मामला
वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल में फर्जी डॉक्टरों के रैकेट का खुलासा हुआ है। अस्पताल में MBBS डॉक्टर की जगह फर्जी इंटर्नशिप करने वाले 3 लोगों को पकड़ लिया गया है। पूछताछ में पता चला है कि कई महीनों से ये अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे थे। इस फर्जीवाड़े में 2017 बैच के MBBS पासआउट 5 डॉक्टरों का नाम सामने आ आया है। इसमें एक महिला डॉक्टर भी है। पकड़े गए फर्जी डॉक्टरों के पास मेडिकल की कोई डिग्री तो दूर, उसमें से कुछ तो इंटर ही पास हैं। यहां MBBS डॉक्टर इंटर्न को 6000 रुपए महीना देकर अपनी ड्यूटी कराते थे। इसमें एक इंटर्न 12वीं पास करके डॉक्टरी कर रही थी। पकड़े गए इंटर्न को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। पीएमओ तक मामला पहुंच गया है। मामला BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल और ट्रॉमा सेंBHU के अस्पताल में 12वीं पास कर रहे थे इलाज, 4 MBBS और 3 इंटर्न पर FIR, PMO तक पहुंचा मामलाटर का है। BHU के छात्रों ने पीएमओ के साथ ही शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान से भी शिकायत की है। आरोप है कि इस मामले में अस्पताल के कई सीनियर डॉक्टर शामिल हैं। शोध छात्र पतंजलि ने कहा, "एक कमेटी बनाकर मामले की निष्पक्ष जांच हो। इस दौरान अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट और गायनेकोलॉजी विभाग की अध्यक्ष को कार्य से अलग रखा जाए। जिससे जांच प्रभावित ना हो।"
BHU के अस्पताल में फर्जी डॉक्टरों से ड्यूटी कराने के मामले में कुल 7 लोगों पर मुकदमा हुआ है। 2017 बैच के पासआउट MBBS डॉक्टरों की जगह 3 लोगों को ड्यूटी करते पकड़ा गया। फर्जी इंटर्न की पहचान वाराणसी के विशेश्वरगंज की प्रीती चौहान, मिर्जापुर अदलहाट के मोहित सिंह और सोनभद्र के अनपरा के अभिषेख सिंह के रूप में हुई है। ये इंटर्न MBBS पास आउट डॉ. नितिन, डॉ. शुभम, डॉ. सौमिक डे और डॉ. कृति की जगह डॉक्टरी कर रहे थे। MBBS डॉक्टर इन्हें 6000 रुपए महीना देकर ड्यूटी कराते थे। प्रीति केवल 12वीं पास ही है और वह MBBS डॉक्टर की तरह ही काम कर रही थी। पकड़े गए फर्जी इंटर्न को लंका पुलिस थाने को सौंप दिया गया है। BHU सुरक्षा निरीक्षक अरुण कुमार की तहरीर पर पुलिस कार्रवाई कर रही है।
पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने बताया कि डॉक्टर की जगह इंटर्न काम कर रहे थे। BHU की जांच में यह बात सामने आई और उन्होंने इंटर्न को हमें सौंप दिया। मामले में FIR दर्ज कर ली गई है और आगे जांच की जा रही है। जांच के बाद पता चलेगा कि ये सभी कब से वहां फर्जी ड्यूटी कर रहे थे। डॉक्टरों की ड्यूटी जब भी वार्ड, ट्रामा सेंटर और ओपीडी में लगती थी, तब फर्जी इंटर्न को व्हाट्सएप के जरिए सूचना देते थे। बताते थे कि छह घंटे ड्यूटी करनी है। महिला डॉक्टर की फर्जी इंटर्न प्रीति चौहान की व्हाट्सएप चैट मिली है। महिला डॉक्टर ने लिखा कि प्रीति (फर्जी इंटर्न) तुम्हें मोहित (फर्जी इंटर्न) ने बताया कि 14-18 तक ऑर्थो पोस्टिंग करनी है मेरी? इस पर प्रीति ने लिखा कि जी मैम। भइया ने अभी बताया... तो कितने बजे से कितने बजे तक समय रहेगा। इस पर महिला डॉक्टर ने लिखा कि सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ड्यूटी रहेगी। बीच में लंच ब्रेक भी मिलेगा।
25 हजार मिलता है स्टाइपेंड
BHU अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. के. के. गुप्ता ने बताया , "IMS-BHU के चार MBBS छात्रों के नाम पर उपस्थिति दर्ज करने और पैसे ट्रांसफर के डिटेल मिली है। इसी को आधार मानकर मुकदमा हुआ है। IMS-BHU के डायरेक्टर प्रो. एसके सिंह को भी इन छात्रों पर कार्रवाई के लिए संस्तुति की गई है। वे ही तय करेंगे कि इन छात्रों पर किस तरह का और कब तक एकेडमिक एक्शन लिया जाएगा। वहीं, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भी कार्रवाई कर सकता है। उन्हें भी पत्र लिखा गया है"
उन्होंने कहा, "2017 बैच के MBBS के डॉक्टरों ने अपनी जगह इनको रखा था। यह क्रिमिनल ऑफेंस है। MBBS की पढ़ाई के बाद एक साल की ट्रेनिंग की जाती है, जिसे इंटर्नशिप कहा जाता है। इसके लिए 25 हजार स्टाइपेंड भी मिलता है। उन्होंने आगे बताया कि उनकी टीम ने ही फर्जी इंटर्न को अस्पताल से पकड़ा है। पकड़े गए सभी लोग नॉन मेडिकल हैं।" BHU अस्पताल में मरीजों को बेड देने के 100 नियम कायदे बताए जाते हैं। मगर, सवाल उठता है कि क्या डॉक्टरों की अटेंडेंस शीट नहीं चेक होती। उनका फर्जी डॉक्टरों से काम कराना एक मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं।छात्रों ने भी PM को लेटर में लिखा है कि घटना के बाहर आने पर भी अस्पताल के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। मामले को दबाने में लगे हैं। ऐसा संभव ही नहीं है कि बिना किसी प्रशासनिक व्यक्ति या सीनियर डॉक्टरों के संरक्षण के लंबे समय तक कोई अस्पताल में ड्यूटी कर सके।