सपा के एजेंडे के केंद्र में नौजवान और किसान, 60 फीसदी वोट हासिल करने के लिए अपना रहे हैं हर हथकंडे
(रणभेरी): यूपी में विधानसभा चुनाव को लेकर सपा इस बार के चुनाव में अपने वोट प्रतिशत को अधिकतम तक ले जाने के रणनीति के साथ काम कर रही है। अक्तूबर 1992 में बनी समाजवादी पार्टी तीन बार सत्ता में रह चुकी है। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव इस चुनाव में ‘वन मैन शो’ की भूमिका में हैं। ऐसे में वोट प्रतिशत को लेकर वह लंबी लकीर खींचना चाहते हैं। यही वजह है कि अब तक के चुनावों में अधिकतम 30 फीसदी का आंकड़ा न छू सकी पार्टी के रणनीतिकार 60 फीसदी वोट हासिल करने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं। पुराने बसपाइयों व भाजपा विधायकों के सपा में आने से पार्टी काफी उत्साहित है। वहीं, पार्टी के रणनीतिकार वोटबैंक का ग्राफ बढ़ाने के लिए लगातार प्रयोग कर रहे हैं। सपा पार्टी के घोषणा पत्र में नौजवानों व किसानों से जुड़े मुद्दों की खास झलक दिखेगी। पार्टी की रणनीति है कि रोजगार व संसाधन विकास के जरिए युवाओं को जोड़ा जाए। पार्टी ने खुले तौर पर सामाजिक न्याय की बात शुरू कर दी है। पार्टी के रणनीतिकार हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक वोट पर निगाह गड़ाए हुए हैं।
उम्मीदवार चयन में भी दूसरी पार्टियों के उम्मीदवारों को ध्यान में रखा जा रहा है। यही वजह है कि अभी तक पहले व दूसरे चरण के कुछ उम्मीदवारों की ही घोषणा की गई है। इसी तरह अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए बूथ प्रबंधन पर विशेष जोर है। हर 15 दिन पर बूथ कमेटी के अलग-अलग सदस्यों से फीडबैक लेकर आगे की रणनीति से वाकिफ कराया जा रहा है। जिताऊ उम्मीदवार को देख अपने पुराने नेताओं को धैर्य रखने की नसीहत दी जा रही है। चुनाव लड़ने के आतुर नेताओं को बूथवार टॉरगेट देकर भविष्य में इनाम देने का आश्वासन दिया जा रहा है।