आदमखोर होने लगे भेड़िए: बाढ़ ने छीना जंगल का ठौर,अब इसलिए खा रहे बकरे का गोश्त
गोरखपुर। बाघ-तेंदुओं के डर से जंगल की ओर जाने से डरते हैं, इसलिए वे इंसानों के बीच आ गए। विशेषज्ञों की मानें तो ठौर छिन जाने और भरपेट भोजन नहीं मिलने से इनके व्यवहार में बदलाव आ गया और वे आदमखोर होने लगे हैं। इनके आदमखोर होने का पता इंसान पर हमले के 24 घंटे के भीतर सैंपल लेने पर ही पता चलता है। चिड़ियाघर के चिकित्सक डॉ. योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि बहराइच और आसपास के इलाकों में बाढ़ का पानी पहुंचने की वजह से भेड़िए मजबूरन इंसानों की बस्ती के करीब आ गए। उन इलाकों के विशेषज्ञों से भी ऐसे ही तथ्या सामने आए हैं। प्राकृतिक आवास में इनको भोजन का संकट नहीं होता, लेकिन उसमें बदलाव के साथ ही इनके सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया। इसकी वजह से इन्होंने पहले भेड़-बकरियों और बाद में इंसानों पर हमला शुरू कर दिया।
भेड़िया रेस्क्यू करके भेजा, इसलिए आदमखोर होने का पता लगाना मुश्किल
भेड़िए आदमखोर हैं या नहीं, इसको जांच के जरिए पता लगाया जा सकता है। इसमें भेड़िया के मल-मूत्र का विश्लेषण कर पता लगाया जाता है कि उसने मानव मांस खाया है या नहीं। इसके दांतों की जांच की जाती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने मानव हड्डियों को चबाया है या नहीं। साथ ही डीएनए के विश्लेषण से भी पता चल जाता है कि उसने मानव मांस खाया है या नहीं। हालांकि, यह प्रक्रिया हमले के 24 घंटे के अंदर करनी होती है।
गोरखपुर चिड़ियाघर में आए भेड़ियों के इंसानों पर हमले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। साथ ही उनको कई दिनों के बाद रेस्क्यू कर चिड़ियाघर भेजा गया। ऐसे में उनकी जांच कर पाना अब मुश्किल है। चिड़ियाघर प्रबंधन का कहना है कि इस जांच के लिए कोई निर्देश भी राप्त नहीं हैं। फिलहाल यहां भेड़ियों को रखकर उनकी देखभाल करनी है।
बहराइच के आदमखोर भेड़िए को भा रहा सिर्फ बकरे का गोश्त
बहराइच से रेस्क्यू कर दो भेड़ियों को शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान के रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। 29 अगस्त को आया नर भेड़िया अब धीरे-धीरे शांत हो रहा है। वजह यह है कि उसको शांत वातावरण मिल रहा है। साथ ही भरपेट भोजन मिल रहा है। साथ ही वह इंसानों से दूर हैं।