आखिर रहस्यमयी आश्रम के बाबा पर क्यों मेहरबान है पुलिस !

- नाबालिग से जघन्य अपराध में अभियुक्त की रिहाई पर उठे सवाल, पूर्व सैनिक पिता ने लगाई न्याय की गुहार
- पीड़िता ने सात लोगों को नामजद बनाया है अभियुक्त, पुलिस की जांच प्रणाली पर उठ रहे सवाल
- बेबी एंड मॉम रिटेल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में नौकरी करता है अभियुक्त शीतांशु सिंह (सत्यम)
- जीडी से कथित छेड़छाड़ मामले में कोर्ट ने सारनाथ थाने से तलब की है आख्या
- पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने सारनाथ पुलिस की कार्रवाई पर लगाए थे गंभीर आरोप
वाराणसी (रणभेरी): शिवपुर थाना क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की के साथ हुए जघन्य अपराध में मुख्य अभियुक्त बाबा संजय कुमार सिंह की रिहाई ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता के पिता दीपक कुमार सिंह, जो एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और अभियुक्तों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए पुलिस प्रशासन और न्यायालय से न्याय की गुहार लगाई है। दीपक सिंह ने एक प्रेसवार्ता में बताया कि उनकी नाबालिग पुत्री के साथ हुए इस वीभत्स कृत्य की शिकायत 4 सितंबर 2024 को शिवपुर थाने में दर्ज कराई गई थी। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब लगातार अनदेखी के बाद विवेचना की जिम्मेदारी शिवपुर थाने से हटाकर सारनाथ थाने को दी गई। सारनाथ पुलिस ने गंभीरता दिखाते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 458 (गंभीर और संज्ञेय अपराध) जोड़ते हुए 16 मई 2025 को अभियुक्त संजय कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी की पुष्टि थाना सारनाथ के रोजनामचा संख्या 19 में सुबह 8:10 बजे दर्ज की गई। लेकिन उसी दिन दोपहर 1:46 बजे वरिष्ठ अधिवक्ता चेग्वेवारा रघुवंशी ने ट्विटर (अब एक्स) पर यह आशंका जताई कि संजय कुमार सिंह को राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव में बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के छोड़ा जा सकता है। यह आशंका तब सच साबित हो गई जब बिना किसी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए और रिमांड की प्रक्रिया के बगैर ही अभियुक्त को पुलिस ने रिहा कर दिया। इस पूरी प्रक्रिया को गैर-कानूनी और न्याय के साथ खिलवाड़ बताते हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं श्रीनाथ त्रिपाठी, चेग्वेवारा रघुवंशी, चंद्रशेखर मिश्रा, अश्विनी कुमार दूबे और सुजीत कुमार गौतम ने 21 मई 2025 को इस पूरे प्रकरण को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 23 मई 2025 तक थाना सारनाथ से सम्पूर्ण रिपोर्ट तलब की है।
प्रशासनिक चुप्पी और राजनीतिक दबाव की आशंका
पूर्व सैनिक दीपक कुमार सिंह का कहना है कि यह केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम की परीक्षा है। उन्होंने कहा, मैंने देश के लिए अपनी सेवाएं दी हैं, लेकिन आज जब मेरी बेटी को न्याय की आवश्यकता है, तो मुझे एक आम नागरिक की तरह दर-दर भटकना पड़ रहा है। क्या प्रभावशाली लोग कानून से ऊपर हो गए हैं ? स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी यही मानना है कि इस प्रकरण में राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप हुआ है, जिससे पुलिस की कार्यवाही संदिग्ध हो गई है। यदि प्रभावशाली अभियुक्तों को ऐसे ही रिहा किया जाता रहा, तो आम नागरिकों का कानून और न्यायपालिका से भरोसा उठ जाएगा।
न्यायपालिका की कसौटी पर पुलिस प्रशासन
इस मामले ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बेहद आवश्यक है। यदि न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों की अनदेखी की जाती रही, तो यह लोकतंत्र और संविधान की मूल आत्मा के साथ धोखा होगा। अब पूरे शहर की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि दीपक कुमार सिंह को न्याय मिलेगा या नहीं। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि क्या प्रशासन प्रभावशाली लोगों के दबाव से ऊपर उठकर निष्पक्ष कार्यवाही कर पाएगा। यह मामला केवल एक लड़की के न्याय की मांग नहीं है, यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि अगर आज आवाज़ नहीं उठी, तो कल हर बच्ची असुरक्षित होगी।
जीडी से कथित छेड़छाड़ मामले में कोर्ट ने सारनाथ थाने से तलब की आख्या
शिवपुर थाने के आरोपित को कथित तौर पर सारनाथ पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद उसे छोड़ने, जीडी में छेड़छाड़ करने का मामला अब अदालत पहुंच गया है। इस मामले में शिकायतकर्ता दीपक कुमार सिंह की ओर से अधिवक्ताओं ने न्यायालय को सम्पूर्ण मामले की जानकारी देते हुए न्याय की मांग की है। दो दिन पहले कोर्ट ने सारनाथ पुलिस ने मामले से सम्बंधित आख्या सारनाथ पुलिस से तलब की है। गौरतलब है कि पूर्व आईपीएस और आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने बाबा संजय कुमार सिंह नामक आरोपित को सारनाथ थाने में पकड़े जाने और जीडी से छेड़छाड़ कर थाने से ही छोड़ दिये जाने की शिकायत की थी। उन्होंने वीडियो जारी किया और जीडी की प्रति प्रदेश और वाराणसी के आला पुलिस अधिकारियों को भेजी थी। उन्होंने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। अब शिकायतकर्ता दीपक सिंह की ओर से अधिवक्ता चेग्वेवारा रघुवंशी समेत अन्य वकीलों की ओर से इस मामले को कोर्ट में संज्ञान में लाया गया है। बड़ागांव थाना क्षेत्र के लच्छीरामपुर अनेई निवासी दीपक कुमार सिंह का कहना है कि उन्होंने न्यायालय के आदेश पर चार सितम्बर 2024 को शिवपुर थाना वाराणसी में बाबा संजय कुमार सिंह व अन्य के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया। शिवपुर पुलिस ने कोई कार्रवाई नही की। शिवपुर पुलिस ने विवेचना को सारनाथ थाना स्थानांतरित कर दिया। उनका आरोप है कि आरोपित को हिरासत में लेने के बाद छोड़ दिया गया। उन्होंने पुलिस पर लीपापोती का आरोप लगाते हुए न्याय की मांग की है।
अभियुक्तों की सूची और पृष्ठभूमि
इस मामले में कुल सात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है
1. बाबा संजय कुमार सिंह (पिता: स्व. मार्कण्डेय सिंह)
2. बबिता सिंह (पत्नी: संजय कुमार सिंह)
3. निशांत सिंह उर्फ शिवम सिंह (पिता: संजय कुमार सिंह)
4. शीतांशु सिंह उर्फ सत्यम (पिता: संजय कुमार सिंह), जो बेबी एंड मॉम रिटेल प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत है।
5. स्वाति सिंह (पिता: धर्मदेव सिंह)
6. धर्मदेव सिंह (पिता: अज्ञात)
7. अरविंद कुमार वर्मा (पिता: अज्ञात)
अभियुक्त सात, गिरफ्तारी एक...बाकी छह को क्यों बचा रही सारनाथ पुलिस?
वाराणसी में बाबा संजय कुमार सिंह से जुड़ा एक गंभीर मामला अब न्याय की चौखट पर पहुंच चुका है। शिवपुर थाने में दर्ज मामले की विवेचना सारनाथ पुलिस को सौंपे जाने के बाद आरोप है कि पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेने के बावजूद छोड़ दिया और यहां तक कि थाने की जनरल डायरी (जीडी) में भी कथित छेड़छाड़ की गई। अब यह पूरा प्रकरण न्यायालय के संज्ञान में है, जहां से सारनाथ पुलिस से इस पर विस्तृत आख्या तलब की गई है। बता दें कि इस मामले की शिकायत दीपक कुमार सिंह का आरोप है कि उन्होंने चार सितंबर 2024 को न्यायालय के आदेश पर शिवपुर थाने में बाबा संजय कुमार सिंह सहित सात लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया। लेकिन पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं, क्योंकि पुलिस ने एकमात्र गिरफ्तारी बाबा संजय सिंह की किया, जिसे बाद में पूछताछ के नाम पर छोड़ दिया गया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि बाकी छह आरोपियों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन्हें पुलिस ने पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया ? क्या पुलिस बाबा संजय सिंह के रसूख के दम और राजनीतिक दवाब की वजह से बाकी 6 अभियुक्तों को बचा रही है ? अब देखना होगा कि सारनाथ की पुलिस छात्रा के साथ न्याय करती है या फिर रसूखदारों के आगे कानून की बली चढ़ा देते हैं।