नशीले एवं नकली दवाओं का ट्रांजिट हब बन चुका है वाराणसी

नशीले एवं नकली दवाओं का ट्रांजिट हब बन चुका है वाराणसी
  •    ब्रांडेड के नाम नकली दवाओं के कारोबार का भंडाफोड़     

  •   यूपी एसटीएफ की बड़ी कार्रवाई, 7.5 करोड़ का माल बरामद, सरगना गिरफ्तार     

वाराणसी (रणभेरी): उत्तर प्रदेश एसटीएफ की वाराणसी इकाई द्वारा बद्दी (हिमाचल प्रदेश) से ब्रांडेड कंपनियों के नाम की नकली दवाएं बनवाकर वाराणसी में अवैध तरीके से भंडारण करने वाले गिरोह के सरगना को पकड़ा गया। यह दवाएं वाराणसी सहित पूर्वांचल के अन्य जनपदों के अलावा पटना, गया, पूर्णिया, कोलकाता, हैदराबाद जैसे स्थानों पर सप्लाई की जाती थी। गुरुवार को यूपी एसटीएफ की वाराणसी इकाई ने गैंग के सरगना को सिगरा क्षेत्र की चर्च कालोनी से गिरफ्तार किया। उसकी शिनाख्त बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाना क्षेत्र के टीचर्स कालोनी निवासी अशोक कुमार के तौर पर हुई है।

अशोक की निशानदेही पर महेशपुर थाना मंडुआडीह स्थित एक नकली दवाओं से भरा गोदाम  पर एसटीएफ ने छापा मारा। यहां पर करीब साढ़े 7 करोड़ की 300 पेटी नकली दवाएं स्टोर करके रखी गईं थीं। मौके से मोनोसेफ ओ,  गाबापिन एनटी, क्लावम 625, पैन डी, पैन 40, सेफ एजेड और टैक्सिम ओ जैसी दवाओं की लगभग 300 पेटी बरामद की गई हैं। इसमें, गैस और इंफेक्शन की नकली दवाएं भी मिली हैं। वहीं, गोदाम से 4 लाख 40 हजार रुपए कैश और कूटरचित दस्तावेज भी बरामद किए गए। गिरफ्तार अभियुक्त अशोक कुमार से पुलिस पूछताछ कर इस गैंग में शामिल सभी सदस्यों के नामों का पता कर रही है। वहीं, जरूरी विधिक कार्यवाही में स्थानीय थाना और खाद्य सुरक्षा-औषधि प्रशासन विभाग का सहयोग लिया जा रहा है। दवाओं का अनुमानित मूल्य लगभग 7.5 करोड़ रुपये है। ड्रग इंस्पेक्टर अमित बंसल ने बताया कि लहरतारा के साथ ही सिगरा थाना क्षेत्र में नकली दवा बनाने की कंपनी की शिकायत पर छापेमारी की गई। प्रथम दृष्टया पकड़ी गई दवा की कीमत करोड़ो में हैं। दवाओं को सील कर आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है। बताया कि, बद्दी, हिमाचल प्रदेश की ब्रांडेड कंपनियों के नाम की नकली दवाएं बनवाकर वाराणसी में अवैध तरीके से रिजर्व की गईं थीं। वाराणसी समेत पूर्वांचल के अन्य जिलों के साथ-साथ पटना, गया, पूर्णिया (बिहार), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) आदि जगहों पर ये दवाइयां सप्लाई होती थीं।

पिछले साल पकड़ी गई थी कोरोना वैक्सीन और टेस्टिंग किट

इससे पहले पिछले साल यूपी एसटीएफ ने वाराणसी के रोहित नगर में एक मकान में 4 करोड़ की कोरोना की नकली वैक्सीन और टेस्टिंग किट पकड़ी गई थी। पांचों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, पिछले साल सितंबर में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने भेलूपुर स्थित मेडिकल स्टोर पर नकली दवाओं के गिरोह का भंडाफोड़ किया था।

मिलावटी दवाओं के कहर से हो रही हैं मौतें 

बीते कुछ समय से अनेक देशों में खांसी-बलगम के सिरप से बच्चों के मरने या गंभीर रूप से बीमार होने के कई मामले सामने आये हैं। कुछ मामलों में दवाओं में घातक तत्वों के होने की पुष्टि हो चुकी है, तो कुछ में जांच की जा रही है। अभी हाल में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन घटनाओं का संज्ञान लेते हुए ऐसी दवाओं से बच्चों को बचाने का आह्वान किया है। ऐसे कफ सिरप में डाइएथिलिन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की बहुत अधिक मात्रा पायी गयी है। कम-से-कम सात देशों में इस तरह की शिकायतें आ चुकी हैं। इन मिलावटी दवाओं के कहर का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि तीन देशों में 300 से अधिक बच्चे मर चुके हैं। उनमें से अधिकतर की आयु पांच साल से कम थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार “मिलावट के लिए घातक रसायनों का इस्तेमाल हो रहा है, जिनकी मामूली मात्रा भी जानलेवा हो सकती है तथा दवाओं में कभी भी इन्हें नहीं मिलाया जाना चाहिए।“

संगठन ने तो सभी देशों से आग्रह किया है कि वे मिलावटी दवाओं के उत्पादन और कारोबार को रोकें तथा ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई करें। पिछले साल अक्तूबर से अब तक स्वास्थ्य संगठन तीन चेतावनियां जारी कर चुका है। जिन दवाओं की शिकायतें मिली हैं, वे भारत और इंडोनेशिया में निर्मित हैं। हमारा देश ‘दुनिया का दवाखाना’ कहा जाता है। भारतीय दवा उद्योग बहुत बड़ी घरेलू मांग को पूरा करने के साथ-साथ कई देशों को दवाओं और टीकों की आपूर्ति करता है। हमारे देश में भी नकली दवाओं के मामले सामने आते हैं। अस्पतालों और चिकित्सकों तथा खराब गुणवत्ता वाली दवाओं के निर्माताओं के बीच सांठ-गांठ की शिकायतें भी आयी हैं। दवाओं में मिलावट एक अक्षम्य अपराध होना चाहिए।

वाराणसी के कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत पूर्वांचल की सबसे बड़ी दवामंडी सप्तसागर से प्रतिदिन करोड़ो की दवाओं का व्यापार होता है. सूत्रों की माने तो कोतवाली थाना क्षेत्र के कई हिस्सों से अवैध नशीले सीरप की सप्लाई नेपाल और बांग्लादेश सहित बिहार, बंगाल और आसाम जैसे राज्यों में होती है. इन राज्यों में नशीली सीरप की बड़ी तादात में मांग है इसी बात का फायदा उठाकर वाराणसी के दवा माफिया बेख़ौफ़ होकर भारी तादात में नकली दवाओं का उत्पादन कर रहे हैं. यही से नशीले कफ सीरप की बड़ी मात्रा में सप्लाई पूर्वांचल से लेकर बिहार और उत्तर भारत तक बेरोक टोक होती है। 

हालांकि पूर्व में इस अवैध नशे के कारोबार पर एनसीबी और ड्रग विभाग ने छापा मारकर बड़ी कार्रवाई को अंजाम भी दिया है. वर्ष 2021 में वाराणसी की सप्तसागर दवामंडी में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रसाधन विभाग ने पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की थी तो  इस छापे के दौरान वहां से भारी मात्रा में नशीले कफ सीरप की बड़ी खेप बरामद की गई थी। पुलिस और एनसीबी रेड में यह पाया जा चूका है कि वाराणसी नशीले एवं नकली दवाओं का का एक ट्रांजिट हब बन चुका है।