नगर निगम में गहरी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें 

नगर निगम में गहरी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें 

पार्षद बोले- क्यूआर कोड में लापरवाही के पीछे खेल, निगम के ही संसाधनों का उपयोग कर रहे कंपनी के कर्मचारी

वाराणसी (रणभेरी सं.)। वाराणसी में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के मामले में नगर निगम प्राइवेट कंपनी वाराणसी वेस्ट सोल्यूशन्स लिमिटेड को हर महीने 15वें वित्त आयोग से लगभग चार करोड़ का भुगतान कर रहा है। 15वें वित्त आयोग की धनराशि विकास कार्यों के लिए है, किसी निजी कंपनी को इस मद से भुगतान का नियम नहीं है। कंपनी शहर के चार लाख से अधिक मकानों से कूड़ा उठाने का दावा कर रही है जिसे नगर के पार्षदों ने फर्जी करार दिया है। कंपनी और नगर निगम के बीच हुए अनुबंध के विपरीत कूड़ा उठाने के लिए निगम के ही संसाधनों का उपयोग कंपनी के कर्मचारी कर रहे हैं। मतलब कि कंपनी नगर निगम से पैसा भी ले रही है और उसके संसाधनों का उपयोग भी कर रही है। क्यूआर कोड लगाने में हो रही लापरवाही ने भी कंपनी के आंकड़ों पर सवाल उठा दिए हैं। इसका खुलासा पार्षदों के पूछे गए सवाल के जवाब में नगर निगम ने खुद लिखित में दिया है।
बता दें कि वाराणसी में अक्तूबर 2020 में नगर निगम ने वाराणसी वेस्ट सलूशंस के साथ शहर में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का अनुबंध किया। अनुबंध के तहत कंपनी को प्रत्येक यूजर के हिसाब से 92 रुपए नगर निगम देगा। यूजर्स से कूड़ा उठान के लिए 50 रुपए प्रतिमाह चार्ज करने की व्यवस्था है। यूजर्स से वसूली हो न हो, इससे फर्क नहीं। कंपनी कूड़ा उठान का जो डाटा प्रस्तुत कर रही है उसके हिसाब से नगर निगम पूर्ण धनराशि दे रहा है। मसलन बीते नवंबर माह में यूजर्स से वसूली हुई 50 लाख 60 हजार रुपए लेकिन कंपनी का बिल बना चार करोड़ 87 लाख 72 हजार रुपए का। जिसका भुगतान नगर निगम ने कर दिया है। कूड़ा कलेक्शन वाली कंपनी का दावा है कि वह वर्तमान में चार लाख 10 हजार घरों से कूड़ा उठान कर रहा है। इस कार्य के लिए उसने 1424 कर्मचारी लगाए हैं। आदिविश्वेश्वर वार्ड के इंद्रेश सिंह और अन्य पार्षदों ने बीते दिनों सदन की बैठक में कूड़ा कलेक्शन को लेकर सवाल किए थे जिसका जवाब नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने लिखित में दिया है।

तो इसलिए क्यूआर कोड की व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

 मोदी के संसदीय क्षेत्र में उनके जन्मदिन के अवसर पर बीते सितंबर माह में सीएम योगी ने क्यूआर कोड आधारित कूड़ा कलेक्शन की योजना का शुभारंभ किया था। क्यूआर कोड को मकानों पर लगाना था। कंपनी डोर से कूड़ा कलेक्शन के बाद कोड को स्कैन करती जिससे यूजर्स को पता चल जाता कि कूड़ा उठ गया। बिना कूड़ा उठान के ही मैसेज आता तो यूजर्स इसकी शिकायत कंट्रोल रूम कर सकते हैं। महापौर ने गुरुधाम कालोनी में क्यूआर कोड से कूड़ा उठान का अभियान शुरू किया।
नगर निगम के उपसभापति नरसिंह दास ने सदन की बैठक में नगर आयुक से इस बाबत सवाल किए थे।

 पूछा कि तीन महीने बाद भी महज 07 हजार घरों के बाहर ही क्यों क्यूआर कोड चस्पा हुए जबकि पहले चरण में भेलूपुर के 53 हजार घरों में क्यूआर कोड लगने थे। महापौर ने भी 10 हजार से अधिक क्यूआर कोड का बंडल नगर निगम कार्यालय में पाया था। क्यूआर कोड लगाने में लापरवाही बरती जा  रही है।

भ्रष्टाचार का लंबा खेल

पार्षद इंद्रेश, बलिराम कन्नौजिया, गुलशन अली अंसारी, श्रवण गुप्ता, अमरेश समेत अन्य पार्षदों ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी और नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। पार्षद इंद्रेश सिंह का कहना है कि जो कंपनी प्रतिमाह चार लाख दस हजार घरों से रोज कूड़ा उठाने का दावा कर रही है उसे आखिर क्यूआर कोड लगाने में क्या दिक्कत है। दरअसल अगर क्यूआर कोड लग गया तो कंपनी कूड़ा उठान को लेकर जो डाटा दे रही है उसकी पोल खुल जाएगी।

पेमेंट को लेकर हो चुकी है मारपीट

दावा किया जा रहा है नगर निगम के पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी और तत्कालीन जेडएसो के बीच बीते जुलाई माह में कंपनी को सात करोड़ रुपए पेमेंट को लेकर इस कदर विवाद हुआ कि नौबत हाथापाई तक पहुंच गई थी। नगर निगम के पार्षद अब कंपनी के दावे और 15वें वित्त आयोग से किए जा रहे पेमेंट को लेकर क्षुब्ध हैं। नगर निगम के उपसभापति ने भी सदन में अपनी बात रखते हुए प्रस्ताव दिया है कि अब से कंपनी जितना यूजर्स से चार्ज वसूलेगी, उसी के सापेक्ष उसे नगर निगम भुगतान करें।