दिमाग को पहुंचा रहा जर्क, मोबाइल में भेजा गया होमवर्क
- डायरी खरीदने के बाद भी इसमें दी जाती गिनी-चुनी सूचना, होमवर्क से लेकर नोटिस और असाइनमेंट तक मोबाइल पर भेजा रहा
वाराणसी (रणभेरी सं.)। शहर के स्कूलों में डायरी की जगह भी मोबाइल ने ले ली है। डायरी खरीदने के बाद भी इसमें अब गिनी-चुनी सूचना ही दी जाती है। होमवर्क से लेकर नोटिस और असाइनमेंट तक मोबाइल पर भेजा रहा है। इस कारण अभिभावकों को मजबूरी में बच्चों को मोबाइल थमाना पड़ता है। इसका सीधा असर बच्चों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर पड़ रहा है। खास बात यह है कि बच्चों को हो रही इन दिक्कतों को अभिभावक पहचान भी नहीं पा रहे। अभिभावक ने बताया की स्कूल ने वॉट्सऐप ग्रुप बनाया है, जिसमें हर दिन होमवर्क दिया जाता है। वर्कशीट तक वॉट्सऐप पर भेजी जाती है। इस कारण बच्चे को मजबूरी में मोबाइल देना पड़ता है। स्कूल के वॉट्सऐप ग्रुप पर ही होमवर्क मिलता है। पढ़ाई के लिए बच्चों को हर दिन दो-दो घंटे मोबाइल देना पड़ता था। कॉल आने पर पढ़ाई रुक जाती थी। इस कारण उन्हें अलग मोबाइल खरीदना पड़ा।
एक दशक पहले डायरी की थी अहमियत
दस साल पहले तक सभी स्कूलों में टीचर डायरी में होम वर्क या तो खुद नोट करते थे या बच्चों से लिखवाते थे। हर बच्चे की डायरी चेक होती थी। अभिभावकों से साइन भी करवाए जाते थे। इसमें समय भी लगता था। अब स्कूलों ने हर क्लास के लिए वॉट्सऐप ग्रुप बना लिया है। महज एक क्लिक में सभी बच्चों को ग्रुप पर होमवर्क और असाइनमेंट भेज दिया जाता है। इससे शिक्षकों को कम मेहनत करनी पड़ रही है, लेकिन अभिभावकों पर बोझ बढ़ गया है।
नहीं याद हो रहा सिलेबस
मनोरोग विशेषज्ञों के मुताबिक, स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में याद करने में परेशानी हो रही है। पहले कोई बच्चा कुछ याद नहीं कर पाता था तो उसे पढ़ाई में कमजोर माना जाता था। अब बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे इसका शिकार हो रहे हैं। मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से उनकी एकाग्रता घट रही है। मनोरोग विशेषज्ञ ने बताया की तीन से 17 साल तक के बच्चों में ऐसी दिक्कतें देखने को मिल रही है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों के बर्ताव और संवाद में भी बदलाव आ रहा है। ऐसे में स्कूलों को भी मोबाइल पर कम से कम होमवर्क भेजना चाहिए। अभिभावकों को भी चाहिए कि स्कूलों से आने वाले असाइनमेंट का प्रिंट निकालकर दें।
सिस्टम अभिभावकों के लिए
स्कूलों की माने तो उनका कहना है कि कई बार अभिभावक डायरी नहीं देखते। इसलिए मोबाइल पर सब भेजा जाता है, ताकि सब कुछ उनकी जानकारी में रहे। हम अभिभावकों से यह कहा जाता हैं कि बच्चों को मोबाइल कम से कम दें।
ग्रुप में खुद देखकर होमवर्क करवाएं। होमवर्क और सूचना देने के लिए स्कूल का अलग पोर्टल है। यह अभिभावकों के लिए है, ताकि वे देखकर बच्चों को बताएं। इस सिस्टम से बच्चों को मोबाइल देने की जरूरत नहीं। छोटे बच्चों के लिए अब भी डायरी सिस्टम है।