चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन: वाराणसी में मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन-पूजन को उमड़े श्रद्धालु
वाराणसी (रणभेरी): चैत्र नवरात्रि का आज दूसरा दिन है। आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है। देवी के इस रूप को माता पार्वती का अविवाहित रूप माना जाता है। इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी का मतलब है तप का आचरण करने वाली है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला और दूसरे हाथ में कमण्डल रहता है। इस दिन उन कन्याओं की पूजा की जाती है जिनकी शादी तय हो गई है लेकिन अभी शादी हुई ना हो. .इस दिन इन्हें अपने घर बुलाकर पूजा के बाद भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट करने चाहिए। काशी में मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर गंगा किनारे बालाजी घाट के किनारे है। मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन-पूजन के लिए भोर से ही श्रद्धालु कतारबद्ध हैं। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं को यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।
इससे पहले मां ब्रह्मचारिणी को पंचामृत स्नान करा कर उन्हें वस्त्र, आभूषण और मुकुट धारण कराया गया। फिर गुलाब, गुड़हल, बेला, चमेली और कमल सहित अन्य फूलों से मां ब्रह्माचारिणी का दरबार सजाकर उनकी महाआरती की गई। तब जाकर श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए मां ब्रह्मचारिणी का दरबार खोला गया।
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानी सोमवार को सुहाग और सौभाग्य की कामना के साथ विवाहिताएं गणगौर का व्रत रखेंगी। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा कर उनकी कथा सुनी जाती है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को गणगौर व्रत का विधान है। गणगौर पूजा में 16 या 18 दिन तक मां गणगौर और ईशरजी की पूजा की जाती है। इसके बाद उन्हें विदा किया जाता है।