फर्जी IAS का खेल खत्म: गोरखपुर में पकड़ा गया ‘गौरव कुमार’, करोड़ों की ठगी का खुलासा
(रणभेरी): खुद को IAS अधिकारी बताकर करोड़ों की जालसाजी करने वाला ललित किशोर उर्फ गौरव कुमार सिंह आखिरकार पुलिस के शिकंजे में आ गया। बिहार के सीतामढ़ी निवासी गौरव ने पिछले तीन वर्षों में ऐसा नेटवर्क खड़ा किया कि असली अधिकारी भी उसकी चालबाज़ी में आ जाते थे। लाल-नीली बत्ती वाली इनोवा, फर्जी सुरक्षा-कार्ड, 10–15 लोगों की टीम और सरकारी अंदाज़ में निरीक्षण-सब कुछ बिल्कुल एक असली अफसर के प्रोटोकॉल जैसा।
गौरव की ठगी की पोल तब खुलनी शुरू हुई जब बिहार के भागलपुर में निरीक्षण के दौरान उसकी मुलाकात असली SDM से हो गई। रैंक और बैच पर किए गए सवालों से वह बौखला गया और SDM को दो थप्पड़ मार दिए। इसके बावजूद घटना की शिकायत नहीं की गई और गौरव बेखौफ आगे बढ़ता रहा।
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि गौरव सोशल मीडिया पर भी खुद को IAS बताता था। इसी ‘अफसर वाली’ प्रोफाइल से उसने चार लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाया, जिनमें से तीन गर्लफ्रेंड इस समय प्रेग्नेंट हैं। किसी को भी इसके शादीशुदा होने और फर्जी पहचान के बारे में जानकारी नहीं थी। गौरव ने तीन साल पहले एक लड़की को भगाकर उससे शादी भी कर रखी थी।
उसकी जालसाजी का असली हथियार था AI। साथी अभिषेक कुमार और परमानंद गुप्ता की मदद से वह सरकारी टेंडर, निरीक्षण रिपोर्ट, मीटिंग की तस्वीरें और अखबारों की कतरनें तक एआई से तैयार कर लेता था। कई पेपरों में वह डीएम की कुर्सी पर बैठा हुआ नज़र आता था, जबकि बाकी लोग मातहत की तरह खड़े दिखते थे। इन फर्जी दस्तावेज़ों से वह बड़े ठेकेदारों तक को प्रभावित कर देता था।
पटना के ठेकेदार माधव उसकी सबसे बड़ी ठगी के शिकारों में से एक हैं। गौरव ने उन्हें 450 करोड़ का सरकारी ठेका दिलाने का वादा किया और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 5 करोड़ रुपये, दो इनोवा कार और ज्वेलरी तक ले ली। जब ठेकेदार ने दबाव बढ़ाना शुरू किया तो गौरव ने गोरखपुर के गुलरिहा इलाके में झुग्गीनुमा घर किराये पर लिया और अपनी पत्नी व बच्चों के साथ 'अफसर' बनकर छिपा रहने लगा। घर के बाहर बड़ा बोर्ड लगा था-IAS गौरव कुमार--जिसे देखकर लोग दूरी बनाए रखते थे।
इस गैंग का बड़ा खुलासा तब हुआ जब बीते विधानसभा चुनावों के दौरान वैशाली एक्सप्रेस में GRP ने 99.90 लाख रुपये बरामद किए। जांच में पता चला कि यह पैसा नौकरी दिलाने के नाम पर बिहार भेजा जा रहा था और इसका स्रोत फर्जी IAS ललित किशोर ही था। इसके बाद गोरखपुर पुलिस और खुफिया विभाग ने तीन महीने तक उसकी गतिविधियों पर नजर रखी और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया।
जांच में अब तक 40 से ज्यादा लोगों से ठगी का पता चल चुका है। गौरव का नेटवर्क यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश तक सक्रिय था। सरकारी कॉन्ट्रैक्ट, नौकरी और शादी- all इन वन ठगी मॉडल-के जरिए उसने करोड़ों की रकम ऐंठी।
SP सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि बरामद मोबाइल और कागजातों से कई नए तथ्य सामने आ रहे हैं। अन्य राज्यों की पुलिस से भी संपर्क किया गया है ताकि इस जालसाजी के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।











