बीएचयू : मेडल पाकर खिल उठे मेधावियों के चेहरे
- 29 गोल्ड मेडलिस्ट को कुलपति ने अंग्रेजी में दिलाई शपथ
- स्वतंत्रता भवन में आयोजित हुआ बीएचयू का 105वां दीक्षांत समारोह
- कुलपति बोले- श्रेष्ठता ब्राह्मण कुल में जन्म लेने से नहीं, ज्ञान और सदाचार से तय होती है
वाराणसी (रणभेरी): बीएचयू का 105वां दीक्षांत समारोह आज स्वतंत्रता भवन में मनाया जा रहा है। मुख्य अतिथि वीके सारस्वत और कुलपति अजित चतुर्वेदी ने महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। कार्यक्रम की शुरुआत में कुलपति ने छात्रों को सत्य और सेवा भाव से काम करने की शपथ दिलाई। इस दीक्षांत समारोह में कुल 13,650 उपाधियां प्रदान की गईं। इनमें 7449 स्नातक, 5889 स्नातकोत्तर, 4 एमफिल, 712 पीएचडी और 1 डीएससी की उपाधि शामिल है। मुख्य समारोह में कुल 29 टॉपरों को 33 पदक प्रदान किए गए।
इस साल भी छात्राओं का दबदबा बरकरार रहा। 29 मेधावियों में 20 छात्राएं और नौ छात्र शामिल हैं। बीपीए इंस्ट्रूमेंटल (बांसुरी) के तुहिन पर और एमए संस्कृत की अनुराधा द्विवेदी को सर्वाधिक अंक लाने पर चांसलर मेडल से सम्मानित किया गया।
कुलपति ने बताया कि मेधावियों के अभिभावकों और दूसरे शहरों, राज्यों या देशों में बैठे बीएचयू के छात्रों के लिए दीक्षांत समारोह की लाइव स्ट्रीमिंग की भी व्यवस्था की गई। बीएचयू के यूट्यूब और विभिन्न सोशल मीडिया पेज से समारोह लाइव दिखाया जा रहा है।
समाज की प्रथा को तोड़ा, तबला को चुना
छात्रा सिद्धान्ति तिवारी ने कहा कि समाज में बहुत कम लड़कियां हैं, जो तबला सिखाती हैं।मेरे माता-पिता का मन था, इसलिए मैंने इसको चुना है। आगे चलकर एक बड़े मंच पर पहुंचने का सपना है। इस कला को और बेहतर कैसे किया जाए, इस पर भी शोध करना है। आज मुझे बीएचयू मेडल मिला है या मैं अपने माता-पिता को समर्पित करती हूं।
हम शोध को पब्लिश करके खुश हो जाते हैं, मार्केट में नहीं ले जाते
वीके सारस्वत ने कहा- हमारे यूपीआई को पूरे देश ने कॉपी किया है। हम बाहर जाते हैं तो यह देखकर गर्व होता है। हमारे पास 35 साल से कम 453 मिलियन यंग हैं, जो हमारे देश की मजबूती हैं। यही सोचकर पीएम ने 2047 तक विकसित भारत का सपना देखा है। आप लोगों में शोध, कला का अद्भुत बल है और विकसित भारत के मजबूत स्तंभ हैं। उन्होंने कहा कि ग्रेजुएशन शिक्षा का अंत नहीं, बल्कि नये शोध और जिम्मेदारी का रस्ता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ उनको सही जगह लगना ही सही है। डिजाइन थिंकिंग प्रोडेक्ट डेवलप को पाने का एक रास्ता है।

साइबर सुरक्षा, अर्बन सहित विभिन्न क्षेत्रों में काम हो रहा है। हमारे देश की समस्या यही है कि हम अपनी क्रिएटिविटी को आगे नहीं ले जा पा रहे। खाली शोध को पब्लिश करके खुश हो जाते हैं। मार्केट में नहीं ले जाते हैं। सारस्वत ने बताया कि भारत की स्वतंत्रता यात्रा से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण तक शिक्षा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी शिक्षा ने स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्र-निर्माता, महान वैज्ञानिक, विद्वान, कलाकार और तकनीकी विशेषज्ञों को जन्म दिया, जिन्होंने राष्ट्रीय प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि आज भी शिक्षा वही शक्ति है जो युवाओं में आत्मविश्वास और जिम्मेदारी की भावना पैदा करती है। नीति आयोग सदस्य वी.के. सारस्वत ने कहा कि मेरे विश्वास के अनुसार, शिक्षा केवल ज्ञान नहीं देती, बल्कि हमें अपने अस्तित्व और जिम्मेदारियों को गहराई से समझने की शक्ति भी देती है। भारत की शिक्षा व्यवस्था ने स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर आधुनिक भारत के निर्माताओं तक हर महान व्यक्तित्व को गढ़ा है। आज विज्ञान, तकनीक और संस्कृति तीनों के संतुलन से ही राष्ट्र आगे बढ़ता है।
ब्राह्मण या किसी अन्य समूह की श्रेष्ठता का आधार केवल ज्ञान पर होना चाहिए : वीसी
कुलपति अजित चतुर्वेदी ने कहा- समाज को ऐसे मार्ग पर चलना चाहिए, जहां सदाचार, संयम, नम्रता, करुणा और धर्म निष्ठा को सर्वोच्च स्थान दिया जाए। उन्होंने कहा कि मनुष्य के सभी कर्म चाहे वे छोटे हों या बड़े ईश्वर की दृष्टि में महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए सही आचरण और उचित निर्णय हर स्थिति में आवश्यक है। कुलपति ने जोर देकर कहा कि अगर किसी निर्णय को लेकर मन में संदेह पैदा हो, तो व्यक्ति को धर्म, नैतिकता, तथा सद्बुद्धि का सहारा लेना चाहिए। समाज में आचार-व्यवहार को लेकर उन्होंने कहा कि ब्राह्मण या किसी अन्य समूह की श्रेष्ठता का आधार केवल ज्ञान, विनम्रता, और सद्गुणों के पालन पर ही होना चाहिए, न कि किसी जन्म आधारित पहचान पर। उन्होंने बताया कि वेदों की शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि अच्छे व्यवहार और कर्तव्यों को हृदय में बसाकर ही समाज में समरसता लाई जा सकती है।
99 के साथ विज्ञान संस्थान बना दूसरा सबसे बड़ा मेडल प्राप्तकर्ता
सबसे ज्यादा कला संकाय को 115 मेडल दिए जाएंगे। इनमें 112 गोल्ड और तीन सिल्वर मेडल शामिल हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर विज्ञान संस्थान है। संस्थान के मेधावियों को 99 गोल्ड मेडल दिए जाएंगे। मेडिसन, आयुर्वेद और दंत संकाय के हिस्से 68 गोल्ड मेडल, सामाजिक विज्ञान संकाय के हिस्से 44, विधि संकाय के 31, कृषि संकाय के 30, संगीत एवं मंच संकाय के 26, कॉमर्स के 22, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के 16, दृश्य कला संकाय के 13, मैनेजमेंट स्टडी के 11, शिक्षा संकाय के 9, पर्यावरण संस्थान के दो और विज्ञान एवं एनिमल हस्बैंड्री के हिस्से में एक गोल्ड मेडल आया है।











