ज्ञानवापी में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद विश्वेश्वर शिवलिंग की पूजन और भोग के लिए अड़े, 10 थानों की फोर्स और 3 ACP तैनात

ज्ञानवापी में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद विश्वेश्वर शिवलिंग की पूजन और भोग के लिए अड़े, 10 थानों की फोर्स और 3 ACP तैनात

वाराणसी (रणभेरी): ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा के लिए आज ज्ञानवापी जाने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने केदार घाट स्थित श्री विद्यामठ से बाहर निकलने से रोक दिया। ज्ञानवापी में पूजा करने से रोके जाने पर इससे नाराज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्रीविद्या मठ के गेट पर अनशन पर बैठ गए हैं। 

उन्होंने कहा कि जब तक ज्ञानवापी में प्रकट हुए आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग की पूजा नहीं करेंगे, तब तक अन्न-जल भी नहीं लेंगे।उनका कहना है, 'ज्ञानवापी में मिला शिवलिंग हमारे आदि विश्वेश्वर का पुराना ज्योतिर्लिंग है। देवता की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि उसमें प्राण होते हैं। भगवान को भूखा-प्यासा नहीं रखा जा सकता है। उनका स्नान, शृंगार, पूजा, भोग-राग नियमित होना चाहिए।' उन्होंने आगे कहा- 'हमारी छोटी सी मांग है कि हमें हमारे आराध्य की दिन में एक बार पूजा करने दें। पुलिस के लोग हमारा रास्ता रोक कर खड़े हो गए हैं। पुलिस अपना काम करेगी, हम अपना काम करेंगे। पूजा का अधिकार प्रत्येक सनातन धर्मी का मौलिक अधिकार है। वह ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति के लिए अपने वकील रमेश उपाध्याय के जरिये जिला जज की कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे'।

इधर, एसीपी भेलूपुर, एसीपी सुरक्षा, एसीपी दशाश्वमेध सहित 10 थाने की फोर्स के साथ एलआईयू और पीएसी के जवान तैनात हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि एक बार कोई पूजा के लिए निकल जाता है तो बिना पूजा किए भोजन नहीं करता है। हम भी पूजा के लिए निकल चुके थे। अब जबतक पूजा नहीं कर लेते भोजन नहीं कर सकते हैं। अब मठ में वापस भी नहीं जा सकते हैं। इसलिए पूजा की इजाजत मिलने तक गेट पर ही बैठेंगे।

ज्ञानवापी के शिवलिंग की उन्हें पूजा करने दिया जाए, या फिर प्रशासन पूजा-पाठ कर उन्हें अवगत कराए।  अगर मामला कोर्ट में लंबित है तो क्या हमारे भगवान तबतक भूखे रहेंगे। कहा कि मुझे पूजा से मतलब है। पूजा के अधिकार मिलने से मतलब नहीं है। जो न्यायालय में दूसरे पक्षकार जा रहे हैं, वो पूजा का अधिकार मांग रहे है। न्यायालय में दो महीने बाद उनको अधिकार मिलेगा। हम कोई अधिकार नहीं मांग रहे हैं। हम भगवान की पूजा की मांग रहे हैं। हमारी इस भावना को क्यों नहीं सुना और समझा जा रहा है। 

श्री विद्यामठ क्षेत्र छावनी में तब्दील है। भारी संख्या में फोर्स तैनात है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पूजा के लिए पुलिस कमिश्नरेट से इजाजत मांगी थी जिसको खारिज कर दिया गया था। शुक्रवार शाम से कई थानों की पुलिस ने उनके श्री विद्यामठ के आसपास तगड़ी घेराबंदी कर रखी है।

उक्त जगह कोर्ट के आदेश पर सील किया गया है और सीआरपीएफ की सुरक्षा घेरे में है। इन परिस्थितियों के मद्देनजर शांति और कानून व्यवस्था के दृष्टिकोण से प्रार्थना पत्र को निरस्त किया जाता है। इसके बावजूद यदि कोई कानून का उल्लंघन और शांति व्यवस्था भंग करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कठोर विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 

तीन दिन पहले गोवर्धनपीठ, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने काशी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। इसके एक दिन बाद ज्योतिष एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा करने का एलान कर दिया। फिर शुक्रवार को काशी धर्म परिषद की बैठक में संतों ने शिवलिंग की पूजा की मांग की। काशी के संतों ने कानूनी तौर पर पूजा के अधिकार को मांगने का फैसला किया।