वाराणसी: भीषण गर्मी से महाश्मशान में शवों की कतार, संस्कार को घंटो करना पड़ रहा इंतजार

वाराणसी: भीषण गर्मी से महाश्मशान में शवों की कतार, संस्कार को घंटो करना पड़ रहा इंतजार

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी समेत आसपास के जिलों में गर्मी और उमस का सितम जारी है। पिछले एक सप्ताह से तीखी धूप और गर्म हवाओं के कारण गर्मी बढ़ती जा रही है। गर्मी और उमस के सितम से न केवल जीते जी लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि मौत के बाद भी मोक्ष की कामना के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। लू की चपेट में आने से मंगलवार को तीन लोगों की मंडलीय अस्पताल में मौत हो गई। लगातार इस तरह के मरीजों के आने से वार्ड फुल हैं। लू से बेहोशी की हालत में मंडलीय अस्पताल के आकस्मिक कक्ष में भर्ती रुबिया (62) की दोपहर में मौत हो गई। लू से पीड़ित कोतवाली के गोलघर निवासी श्रीराम वर्मा (82 वर्ष) ने दम तोड़ दिया। उधर, लू की चपेट में आए चंदौली के बलुआ निवासी लल्लन पांडेय (90) की हालत बिगडऩे पर परिजन रात साढ़े आठ बजे उन्हें लेकर मंडलीय अस्पताल पहुंचे जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

वही काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शवों के आने का सिलसिला बढ़ चुका है। शवयात्रियों को शवों के साथ चिलचिलाती धूप में घाट की सीढ़ियों पर नंबर लगाकर घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। मणिकर्णिका तीर्थ पर प्लेटफार्म की कमी व निर्माण कार्य के कारण शवदाह संस्कार के लिए जगह कम पड़ रही है। भयानक गर्मी के बावजूद शवदाह के लिए आने वाले यात्रियों के लिए न छांव का इंतजाम है न पेयजल का।  मणिकर्णिका घाट पर पिछले सप्ताह से रोजाना 100 से 120 शव पहुंच रहे हैं। बनारस ही नहीं पूर्वांचल के जिलों के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश से लोग अंतिम संस्कार के लिए काशी आते हैं।

मुक्ति व मोक्ष की मान्यता होने के कारण शवदाह करने वालों की संख्या जहां आम दिनों में 40-50 हुआ करती थीं, अब 120 तक पहुंच चुकी है। सोमवार की शाम से लेकर मंगलवार की देर रात तक मणिकर्णिका घाट पर 135 से अधिक शवदाह हुए। पटना से आए शवयात्री रविशंकर ने बताया कि वह अपने दादा का शव लेकर मणिकर्णिका आए थे। ईश्वरपुर गांव में मंगलवार सुबह आबादी के बीच निजी जमीन में वृद्धा का शव दफनाने को लेकर विवाद हो गया। एसडीएम पिंडरा और थाने की पुलिस ने आबादी के बाहर शव दफनाने का आश्वासन देकर ग्रामीणों को शांत कराया। वृद्धा के शव को पुत्र ने अपने बगीचे की जमीन में दफनाया।

स्वास्थ्य विभाग में सीएमएस पद से सेवानिवृत्त गांव के रहने वाले डॉ. जयनरेश गौड़ की मां सुरजकली (85) का सुबह निधन हो गया। रिटायर्ड चिकित्सक ने आबादी के बीच स्थित निजी जमीन में शव दफनाने के लिए गड्ढा की खोदाई करा रहे थे। इसका ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया। सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीएम पिंडरा राजीव राय मौके पर पहुंचे। रिटायर्ड चिकित्सक ने अपनी गौड़ी परंपरा के अनुसार शव को दफनाने का हवाला दिया। वहीं, ग्रामीण अपनी बात पर अडिग हो गए। अंत में चिकित्सक ने अपने निजी जमीन में शव दफनाने पर सहमति दी।